Friday, September 21, 2007

ईश्वर के प्रति आस्था बनी रहे इसके लिये जरुरी है कि धर्म का राजनीतिकरण न हो

भगवान राम के नाम पर विवाद बढता हीं जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने राम को पियक्कड़ बताया। उन्होने कहा कि वाल्मीकि रामायण में इस बात का उल्लेख है कि राम नशीले पदार्थों का सेवन करते थे। राम को पियक्कड़ बताने पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने गहरी आपति जतायी है। करुणानिधि ने आडवाणी को चुनौती देते हुये कहा कि वे आडवाणी से इस मामले में बहस करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आडवाणी पहले वाल्मीकि रामायण पढे फिर आकर बहस करें। करुणानिधि ने कहा कि राम काल्पनिक कहनी है जिसका उद्देश्य द्रविडों पर आर्यों की ताकत स्थापित करना था।
भाजपा आसानी से सोनिया गांधी को निशाना बनाती रही है लेकिन करुणानिधि को चुनौती देना भाजपा के लिये आसान नहीं होगा। क्योंकि करुणानिधि न तो विदेशी हैं और न हीं उनका इतिहास ईसाई समुदाय से रहा है।जहां तक हिन्दुत्व का सवाल है तो उस पर भी चुनौती नहीं दिया जा सकता। करुणानिधि के बयान के बाद कुछ इलाके में हिंसा भी हुई और करुणानिधि के बेटी के घर पर भी हमला हुआ। इसके जवाब में करुणानिधि ने कहा कि जिन इलाके में हिंसा हुई और बस जलायी गयी जिसमें दो लोगो की मौत हुई है वह कर्नाटक का इलाका है और कर्नाटक सरकार जरुर कार्रवाई करेगी। जहां तक मेरी बेटी के घर हमले का सवाल है तो यह धूल में कण के समान है। यह एक तरह से चेतावनी है कि यदि किसी प्रकार का और हमला हुआ तो हिंसा करने वालों की खैर नहीं।
ऐसे भगवान राम का नाम राजनिति के लिये इस्तेमाल नहीं होना चाहिये। इसका बुरा प्रभाव पड़ता है देश और समाज पर। भगवान राम के प्रति आस्था बनी रहे इसके लिये जरुरी है कि इसका राजनीतिकरण न हो। यदि आप इसी लाइन पर चलते रहे तो भगवान अभी धर्म के नाम पर बंटे हैं आगे जातीय आधार पर बंटने लगेगें।

1 comment:

अनुराग द्वारी said...

बिल्कुल ठीक राजेश जी ... लेकिन देखने लायक बात राष्ट्रीय राजनीति की है ... दरअसल भाजपा का टकराव कांग्रेस से सीधा है, तमिलनाडु में द्रमुक से दो दो हाथ करने की औकात उसमें है नहीं। वैसे आडवाणी ने करूणानिधी के खिलाफ मोर्चा खोला है, लेकिन आज खुद करूणानिधी लाइन पर लौट आए हैं। कुल मिलाकर धर्म की राजनीति रोकना जरूरी है पर है मुश्किल।