Monday, November 26, 2007

असम में आदिवासी समुदाय पर गोलीबारी, विरोध में झारखंड बंद

असम में आदिवासियों के साथ दुर्व्यवहार के ख़िलाफ़ आज झारखंड बंद है। इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है राज्य के कई इलाकों में। राजधानी रांची में जनजीवन बिल्कुल ठप है। लोग सड़कों पर आ गए हैं नाराज़गी जताने के लिये। जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। कई इलाकों में ट्रेन यातायात भी रोक दी गई। ऐहतियात के तौर पर सुऱक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। पिछले दिनों असम में आदिवासी समुदाय, विशेष कर संथाल, लंबे अरसे से अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की माँग कर रहे हैं। ये समुदाय मूल रूप से बिहार और झारखंड से संबंधित हैं। इन राज्यों में संथाल आदिवासी को अनुसूचित जन जाति का दर्जा प्राप्त है। गुवाहाटी की हिंसक घटना के विरोध में रविवार को भी झारखंड में विरोध प्रदर्शन हुए थे. झारखंड की मधु कोडा सरकार नें शांति की अपील करते हुए एक उच्चस्तरीय दल गुवाहाटी भेजा है झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के नेतृत्व में।
पिछले शनिवार को ऑल असम आदिवासी स्टूडेंट्स फेडरेशन के नेतृत्व में हुई प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में दो आदिवासी मारे गए थे और तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे जिसके विरोध में आज झारखंड और असम में बंद का आयोजन किया गया।

Friday, November 23, 2007

शांति के लिये ठोस कदम उठाने की जरुरत

नंदीग्राम को लेकर राजनीतिक बहस जारी है। यह मामला संसद में भी उठा लेकिन सिर्फ बहस से कुछ नहीं होने वाला। सबसे पहले हिंसा बंद होनी चाहिये और जो लोग घर छोड़ कर जा चुके हैं उसे वापस फिर बसाया जाना चाहिये। हिंसा की शुरुआत 3 और 6 जनवरी को हुई थी जब नंदीग्राम के लोगों का गुस्सा औद्योगीकरण प्रोजेक्ट को लेकर हो रहे अन्याय के चलते उबाल पर आ गया था। लेकिन पिछले डेढ़ महीनों से सीपीएम कार्यकर्ताओं और तृणमूल कांग्रेस समर्थित भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) के बीच जो संघर्ष जारी है उससे एक साथ कई सवाल उठ खड़े हुये हैं। संघर्ष का मुख्य कारण है पश्चिम बंगाल की सबसे उपजाऊ ज़मीन( लगभग 64,000 एकड़) । ये वो ज़मीन है जो राज्य की पान की खेती का 55 फीसदी हिस्सा(लगभग 175 मीट्रिक टन) अकेले उत्पादित करती है। बड़ी मात्रा में चावल और दूसरे अनाज भी यहां पैदा होते हैं। और पड़ोस में मौजूद घनी आबादी वाले पूर्वी मिदनापुर ज़िले को साफ पानी वाली मछलियों की सौ फीसदी आपूर्ति भी यहीं से होती है। इसे उजाड़ कर राज्य सरकार कल कारखाने लगाना चाहती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या है 45 और ग़ैर सरकारी सूत्रों की माने तो ये 300 के पार जा चुका है। इस लड़ाई में अगर कुछ बचा है तो वो है बर्बादी। आगजनी और हिंसा ने 4500 से ज्यादा लोगों के सर से छत छीन ली है। इसने वाममोर्चे की गठबंधन सरकार में भी बिखराव की स्तिथियां पैदा कर दी हैं, सहयोगी भी इस हिंसा को अत्याचार करार दे रहे हैं। नंदीग्राम जाने वाले पूरे रास्ते में लाल झंडे लगा दिये गये हैं। इलाके में हर जगह लाल झंडे लहराते हथियारबंद सैंकड़ों मोटरसाइकिल सवार मिल जायेंगे जो सीपीएम की जीत का उद्घोष कर रहे होंगे। स्थिति काफी विस्फोटक है। इसे रोकना होगा अन्यथा खूनी हिंसा जारी रहेगी जो कि किसी के हित में नहीं है।