Sunday, March 15, 2009

तपने लगी है झारखंड की राजनीति

यूरेनियम, कोयला और लोहे की ताप से तपने लगी है झारखंड की राजनीति। यहां की राजनीति में अचानक तेजी आ गई है। लोक सभा चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल किसी से पीछे रहना नहीं चाहती। राजनीतिक दलों के सभी कप्तानों ने भी कमर कस ली है अपनी अपनी जीत पक्की करने के लिये। रणनीति बनाये जाने लगे हैं। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न झारखंड राज्य में इस बार भी मुख्य मुकाबला यूपीए और एनडीए के बीच तय है।

झारखंड में लोक सभा की सिर्फ चौदह सीटें हैं लेकिन हर दल यहां अपना प्रभुत्व चाहता है क्योंकि एक तो उसे संसद में फायदा होगा हीं, दूसरा वे विश्वव्यापी उद्योगपतियों से जुडे रहेंगे। क्योंकि झारखंड प्राकृतिक संसाधनों के मामले में विश्व के सबसे धनी इलाको में से एक है। और हर उद्योगपति यहां कल कारखाने लगाने के लिये बेताब हैं। आखिर क्यों ? इस पर फिर कभी चर्चा होगी लेकिन अभी महौल चुनाव का है इसलिये उसी पर चर्चा करना लाजमी होगा।

झारखंड के 14 लोक सभा सीटों में से 6 सीटें आरक्षित हैं, उनमें से पांच सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और एक सीट अनुसूचित जाति के लिये हैं। वर्तमान में 14 में से छह सीटें (धनबाद, रांची, गोड्डा, सिंहभूम, खुंटी, लोहरदगा) कांग्रेस के पास है। चार सीटे( दूमका, गिरिडीह, जमशेदपुर, राजमहल) झामुमो के पास है , दो सीटे( पलामू, चतरा) राजद के पास और एक-एक सीटें क्रमश: भाकपा(हजारीबाग) और झाविमो (कोडरमा) के पास है। 14 में से सिर्फ कोडरमा हीं एक ऐसी सीट थी जिसमें भाजपा जीत सकी थी और विजयी उम्मीदरवार थे बाबू लाल मरांडी। बाबू लाल मरांडी भाजपा से अलग अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा बना चुके हैं। और आगामी लोक सभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। 14 वीं लोक सभा से पहले तेरहवीं लोक सभा चुनाव में झारखंड में भाजपा का कब्जा था। उसके पास 14 में से 11 सीटें थी।

बहरहाल, इस बार का चुनाव यूपीए और एनडीए दोनो के लिये प्रतिष्ठा का विषय है। भाजपा अपनी गढ में वापसी के लिये हर संभव कोशिश में लगी है तो यूपीए अपनी वर्चस्व को बनाने की मकसद से इस बार फिर चुनावी तालमेल का ऐलान कर दिया है। यह गठबंधन कांग्रेस, झामुमो और राजद के बीच हुआ है। वामपंथी दलों के अलग होने से हजारीबाग का सीट झामुमो और कोडरमा का सीट राजद के कोटे में गया है। दूसरी ओर झारखंड में भाजपा की मुख्य सहयोगी पार्टी जनता(यू) के साथ तालमेल को लेकर भारी मतभेद हैं।