Friday, August 29, 2008

नक्सलवादियों से लड़ने के लिये 'कोबरा'

देश के कई राज्यों में फैले नस्कलवादियों से मुकाबला करने के लिये केन्द्र सरकार ने कोबरा (कॉम्बैट बटालियन रेजन्यूट एक्शन) नामक एक विशेष सुरक्षा बल गठन करने को हरि झंडी दे दी है। इसमें दस बटालियन होंगे और हर बटालियन में एक हजार जवान होंगे। यानी कोबरा में कुल दस हजार जवान होंगे।

‘कोबरा’ के गठन पर लगभग 14 सौ करोड़ रूपए की लागत आयेगी। इस पर केन्द्र सरकार पिछले कई महिनों से विचार विमर्श कर रही थी। बताया गया है कि ‘कोबरा’ के गठन के कुल बजट का लगभग 900 करोड़ रुपए ज़मीन ख़रीदने और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ख़र्च किए जाएँगे। जबकि लगभग 400 करोड़ रुपए जवानों के प्रशिक्षण पर ख़र्च किए जाएँगे।.


बहरहाल जब तक कोबरा की टीम तैयार नहीं हो जाती है तब तक सीआरपीएफ़ की दस बटालियनें सुरक्षा व्यवस्था में लगी रहेगी. आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी के दुर्गा प्रसाद को को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन्हें नक्सलवादियों के ख़िलाफ़ अभियान चलाने का सफल अनुभव है। मुख्य रूप से जो राज्य प्रभावित हैं उनमें झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छतिसगढ, आंध्र प्रदेश, उड़िसा, महाराष्ट्र हैं।

अभियान के दौरान कोबरा के कमांडों को यह भी सिखाना चाहिये कि कोई निर्दोष न मारा जाये। आम तौर पर देखा यही गया है कि नक्सवाद के सफाई अभियान के नाम पर निर्दोष ग्रामिण को मार गिराया गया है।

Wednesday, August 27, 2008

शिबू सोरेन दूसरी बार बने झारखंड के मुख्यमंत्री

झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने आज झारखंड के मुख्यमंत्री पद और गोपनियता की शपथ ली। राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान पर श्री सोरेन के अलावा 11 अन्य मंत्रियों ने भी पद और गोपनियता की शपथ ली। अन्य शपथ लेने वाले मंत्रियों में सुधीर महतो (झामुमो), नलिन सोरेन (झामुमो) , दुलाल भुइंया (झामुमो) , स्टीफन मरांडी ( निर्दलीय), एनोस इक्का ( निर्दलीय ), हरिनारायण राय ( निर्दलीय), जोबा मांझी (निर्दलीय), बंधु तिर्की, ( निर्दलीय), भानू प्रताप शाही (निर्दलीय), कमलेश कुमार सिंह (एनसीपी), अपर्णा सेनगुप्ता ( फॉरवर्ड ब्लॉक) शामिल हैं।

श्री सोरेन को एक सितंबर तक बहुमत सिद्ध करना है। 82 सदस्यीय विधान सभा में इस समय कुल 81 सदस्य हैं। एक सीट खाली है क्योंकि जेडीयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। श्री सोरेन के पास इस समय विधायकों की संख्या 42 है जो कि बहुमत से एक अधिक है। श्री सोरेन का दावा है कि बहुमत के दौरान उन्हें 42 से भी अधिक मत मिंलेगे। बताया जा रहा है कि भाजपा से नाराज तीन विधायक जो झारखंड विकास मोर्चा में चले गये थे वे श्री सोरेन को समर्थन कर करेंगे।
राज्य के मुख्यमंत्रियों के नाम – बाबू लाल मंराडी(झारखंड के पहले मुख्यमंत्री 15 नवंबर,2000 से 18 मार्च 2003 तक), अर्जुन मुंडा( 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक), शिबू सोरेन(2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तक), अर्जुन मुंडा (12 मार्च 2005 से 18 सितंबर 2006 तक), मधु कोडा (18 सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 तक) और शिबू सोरेन( 18 सितंबर 2008 से ....) ।

Monday, August 25, 2008

शिबू सोरेन होंगे झारखंड का अगला मुख्यमंत्री

राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव के रांची पहुंचते हीं झारखंड की राजनीति की फिजा़ बदल गई। शिबू सोरेन(गुरूजी) का अब मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। नाराज निर्दलीय विधायक भी मान गये हैं। अब वे झामुमो नेता गुरुजी को अपना मुख्यमंत्री मानने के लिये तैयार हो गये। निर्दलीय विधायक और राज्य के मुख्यमंत्री मधु कोडा और उप मुख्यमंत्री प्रो स्टीफन मरांडी जो गुरूजी को समर्थन देने से इंकार करते रहे अब वे गुरूजी को अपना मुख्यमंत्री मानने के लिये तैयार हैं।

दावा किया जा रहा है कि गुरूजी के समर्थन में कुल 45 विधायक हैं। इसमें झामुमो के 17, कांग्रेस के 09, राजद के 07 इनकी कुल संख्या 33 है। निर्दलीय विधायकों में – मधु कोडा, स्टीफन मरांडी, हरिनारायण राय, भानू प्रताप शाही (फारवर्ड ब्लॉक), चंद्र प्रकाश चौधरी(आजसू), एनसीपी के कमलेश सिंह(1), यूजीडीपी के 2. इनकी संख्या आठ है। यूपीए के पास कुल 41 विधायक हैं। जो पहले था वो अब भी है। इसके अलावा भाजपा से नाराज होने के बाद तीन विधायक जो झारखंड विकास पार्टी में चले गये थे वे भी गुरूजी को समर्थन कर सकते हैं।
राजनीतिक ऊहपोह में राष्टपति शासन की ओर बढ रही झारखंड में एक बार फिर यूपीए की सरकार शिबू सोरेन के नेतृत्व में बनने जा रही है। जैसे ही खबर फैली की भाजपा भी झारखंड में सरकार बनाने की कोशिश में जुट गई है वैसे हीं राजद नेता लालू यादव दिल्ली से रांची पहुंचे और सारी अटकलें और सभी लोगों की गिलासिकवा को दूर कर गुरूजी के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान कर दी।

Sunday, August 24, 2008

झामुमो-निर्दलीय की लड़ाई में भाजपा की गिद्ध दृष्टि

झारखंड मुक्ति मोर्चा के दबाव और यूपीए के वरिष्ठ नेता की सलाह पर आखिरकार झारखंड के मुख्यमंत्री मधुकोड ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन राज्यपाल सिब्ते रजी ने मधुकोडा से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में तब तक काम करने को कहा जब तक दूसरी व्यवस्था न हो जाये।

इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री मधुकोडा ने ऐलान किया है कि वो न तो दूसरे मंत्रिमंडल में मंत्री बनेंगे और न हीं झामुमो नेता शिबू सोरेन को समर्थन करेंगे। आगे की रणनीति पर काम करने के लिये निर्दलीय मंत्रियों की बैठक लगातार जारी है। बैठक अलग अलग जगहों पर की जा रही है। बैठक में मधुकोडा के अलावा निर्दलीय विधायकों में जो मंत्री भी थे – प्रो स्टीफन मरांडी, चंद्र प्रकाश चौधरी, हरि नारायण राय, जोबा मांझी और भानू प्रताप शाही शामिल हैं।

यदि ये विधायक एकजुटता दिखाते हुए झामुमो नेता श्री सोरेन को समर्थन नहीं देते हैं तो यूपीए की सरकार बनना मुश्किल है। श्री कोडा कहते रहे हैं कि पिछले 23 महीने से सरकार बढिया चर रही थी तो आखिर मुख्यमंत्री बदलने का अर्थ क्या है ?

उधर श्री सोरेन ने कहा कि वे अपने निर्दलीय विधायको को मना लेंगे। क्योंकि वे सभी उनके अपने हैं। बहरहाल, झारखंड की राजनीतिक संस्पेंस बना हुआ है। यदि निर्दलीय विधायकों ने समर्थन नहीं दिया तो झारखंड की राजनीति में नया मोड आ सकता है। इस बीच खबर है कि भाजपा ने भी यूपीए की राजनीति में रुची दिखाना शुरू कर दिया है। भाजपा को लग रहा है कि झामुमो और निर्दलीय विधायको की लड़ाई में जो भी खेमा नाराज होगा। हो सकता है कि नई परिस्थिति में वे झारखंड में सरकार बना सकते हैं।
खबर है कि रेल मंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव रांची पहुंचने वाले हैं।

Monday, August 18, 2008

झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की तैयारी

झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन वापस लेने के बावजूद मुख्यमंत्री मधुकोडा ने दावा किया कि वे सदन में बहुमत सिद्ध कर देंगे। हालांकि आंकड़े उनके खिलाफ है। वास्तविकता यही है कि राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है। जिस राज्य में सरकार बनाने और गिराने के लिये एक-दो विधायकों का हीं वोट काफी है वहां झामुमो के 17 विधायक के अलग होने से बहुमत कैसे सिद्ध किया जा सकता है।

आईये एक नजर डालते हैं मधुकोडा सरकार के पक्ष और विरोध में –
मधुकोडा सरकार के विरोध में - भाजपा – 29(इसमें भाजपा के पांच नाराज विधायक भी शामिल हैं), जदयू – 04, इंदर सिंह नामधारी, आजसू (सुदेश महतो) – 01, निर्दलीय -01, फारवर्ड ब्लॉक(अपर्णा सेन गुप्ता) – 01, भाकपा – 01, भाकपा माले – 01, मनोनीत(गोलेस्टीन) – 01 और झामुमो – 17 । इन आंकडो को देखे तो मधुकोडा सरकार के खिलाफ कुल 56 मत हैं।

मधुकोडा सरकार के पक्ष में - कांग्रेस – 09, राजद – 07, यूजीडीपी – 02, फारवर्ड ब्लॉक (भानू प्रताप शाही) – 01, आजसू (चंद्रप्रकाश चौधरी) – 01, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – 01, झारखंड पार्टी – 01, मधु कोडा (निर्दलीय) – 01, स्टीफन मरांडी(निर्दलीय) – 01, हरिनारायण राय – 01 । इन आंकड़ो को देखें तो कुल संख्या 25 है।

बहरहाल झारखंड विधान सभा में 81 सदस्य चुनाव जीत कर पहुंचते है और एक मनोनीत होकर। कुल 82 सदस्य है। यहां सभी सदस्यों को वोट करने का अधिकार है। लेकिन यदि वोट भी होता है तो 81 मत ही होगें क्योंकि जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या हो चुकी है।

बहरहाल झारखंड की राजनीति उलझी हुई है। फारवर्ड ब्लॉक और आजसू के दो-दो विधायक हैं और दोनो हीं दलो के एक- एक विधायक सरकार के पक्ष में है तो एक-एक विरोध में। भाकपा माले के एक विधायक है विनोद सिंह वे मधुकोड़ा सरकार के खिलाफ है लेकिन भाजपा के साथ भी नही्। झामुमो का यदि 17 विधायक एनडीए के साथ चला जाये तो भाजपा को निर्दलीय विधायकों की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। लेकिन ऐसा लगता नहीं है। कारण झामुमो अपना मुस्लिम वोट बैंक खोना नहीं चाहेगा। इतना हीं नहीं दोनो हीं दलो को डर है कि भाजपा-झामुमो गठबंधन से दोनो ही दल कही टूट न जाये। ऐसे आसार से इंकार नहीं किया जा सकता।
इस बीच दिल्ली से खबर आ रही है कि झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की तैयारी हो रही है। कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती है कि सत्ता के लिये जिस प्रकार पहले भागम भाग झारखंड में हुआ उसी प्रकार इस बार भी हो। भाजपा भी नये सिरे से चुनाव कराने की मांग कर रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मधुकोडा की सरकार से अपना नाता तोड़ा है यूपीए से नहीं। इस हालात में कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।

Saturday, August 16, 2008

गिरिडीह से राजकिशोर महतो को लोक सभा टिकट देने की मांग

गिरिडीह से नंदशाह की रिपोर्ट -
धनबाद जिले के सिंद्री से भाजपा विधायक राजकिशोर को गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से टिकट देने की मांग जोर पकड़ते जा रही है। गिरिडीह के धनवार, बगोदर, गाण्डेय, डूमरी, जमूआ और टूंडी के अलावा धनबाद और हजारीबाग से भी लोगों ने राजकिशोर के समर्थन में उतर आये हैं।

विशाल (गिरिडीह ) – राजकिशोर महतो को यदि टिकट दिया जाता है तो उनका चुनाव जितना तय है।

अरूण अग्रवाल (गिरिडीह ) – मैं भाजपा को वोट देता आया हूं। भाजपा से जो भी होगा उसे हीं वोट करूंगा।

दुलाल महतो(गिरिडीह) – झामुमो से जुड़ा हूं। लेकिन राजकिशोर दादा को टिकट देने के बाद मुझे उन्हें हीं वोट करना होगा।

विजय महतो(गिरिडीह) – राजकिशोर दादा को टिकट मिलता है तो कुछ सोचना हीं नहीं हैं। वोट उन्हें ही करेंगे।

मोहित रवानी (धनबाद) – मैं तो धनबाद का हूं। ऐसा सुन रहा हूं कि वे गिरिडीह से लोक सभा चुनाव लड़ने वाले हैं। वे गिरिडीह से सांसद भी रह चुके हैं। उन्हें टिकट मिलने से उनके साथ हर प्रकार के वोटर जुड़ जायेंगे।

रंगनाथ तिवारी(गिरिडीह) – राजकिशोर महतो के साथ दो तरह की बाते हैं वे काफी पढे-लिखे हैं और मास लीडर हैं। उनके साथ सभी समुदाय के लोग जुड़े हैं।


राजकिशोर महतो को टिकट देने की मांग जोर पकडते जा रही है। झारखंड के लिये कई सीटों के लिये उम्मीदवारों की घोषणा भाजपा कर चुकी है सभी लोगो की दिलचस्पी गिरिडीह और धनबाद सीट को लेकर है। इस बाबत राजकिशोर महतो से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन बातचीत नहीं हो पाई।

Thursday, August 14, 2008

स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनायें - वतन भाई हूं




मैं भी इसी देश का निवासी हूं
मेरे भविष्य के बारे में कौन सोचेगा?
मेरे पास धन नहीं
स्कूल में नाम लिखवाने के पैसे नहीं
पढना चाहता हूं ।
भूख लगी है रोटी नहीं।
मां के आंसू से पेट नहीं भरता।

मैं आपका वतन भाई हूं, पुत्र हूं
देश में जितनी भाषाएं हैं
जितनी जातियां हैं जितने धर्म हैं
उतने हीं मेरे नाम हैं।

झगडे कहां नहीं होते
विश्व-देश-राज्य-जिला-कस्बा-परिवार
हर जगह झगडें हैं।
लड़ना चाहो तो हजार बहाने
मिलकर रहना चाहो तो हर राह हमारी है।

मेरे लिये रास्ता कब बनेगा
मैं, मैं नहीं, हम के लिये
आपसे आगाज़ कर रहा हूं।

मेरा तो अपना कुछ भी नहीं था
सब कुछ इसी धरती पर मिला
लेकिन राह नहीं मिला
राह तो आप ही बनाओगे।

राह के बनते ही
देश का विकास तय है
कस लो कमर
और लगे रहो
देश को श्रेष्ठतर बनाने में ।
जरूरत है योजनाबद्ध शिक्षा, विकास
और सही दिशा में सोच की।


यदि कुछ कर गुजरने की तमन्ना है
तो जागो, उठो, संकोच छोड़ो
और उज्ज्वल भविष्य की परिकल्पनाओं के लिए
ईमानदार कोशिश करो।
बस जरूरत है उस ईमान की
जो देश को कर सके रोशन।

जय हिंद
स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनायें।
राजेश कुमार ।

धनबाद और गिरिडीह लोक सभा सीट के उम्मीदवारों के लिये भाजपा में विचार मंथन जारी

लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुटे भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने गढ झारखंड में एक बार फिर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अभी से लोक सभा उम्मीदवारों के नाम तय किये जाने लगे हैं। यहां कुल 14 लोक सभा की सीटें हैं। एक समय था जब 14 में से 12 पर भाजपा का कब्जा रहा लेकिन आज की तारीख में एक भी सीट भाजपा के पास नहीं है। रांची से राम टहल चौधरी, खूंटी से कड़िया मुंड़ा, दुमका से सुनील सोरेन, हजारीबाग से यशवंत सिन्हा का नाम तय माना जा रहा है। भाजपा को मुश्किल आ रही है गिरिडीह और धनबाद से उम्मीदवारों को चुनने में।

गिरिडीह - यहां से मुख्य रूप से जो नाम आ रहें उनमें राजकिशोर महतो, रविन्द्र पांडे, छत्रुराम राम महतो के अलावा एक-दो नाम और हैं। इनमें भी मुख्य रूप से राजकिशोर महतो और रविन्द्र पांडे की दावेदारी पर चर्चा हो रही है। रविंद्र पांडे का दावा है कि वे गिरिडीह से सांसद रह चुके हैं। लेकिन इनके खिलाफ जो बातें सामने आ रही है वो यह है कि पिछले लोक सभा चुनाव में जितने मत पड़े थे उनमें रविन्द्र पांडे को सिर्फ 28.06 प्रतिशत मत मिले थे जबकि विजेता उम्मीदवार झामुमो के टेकलाल महतो को 49.03 प्रतिशत मत मिले। लगभग 21 प्रतिशत का अंतर। ऐसे में विधायक राजकिशोर महतो ही एक ऐसे उम्मीदवार हैं जो टेकलाल महतो को चुनौती दे सकते हैं। राजकिशोर महतो भी गिरिडीह से सांसद रह चुके हैं। गिरिडीह के 6 विधान सभा सीटों में से पांच पर महतो उम्मीदवार हीं चुनाव जीता है। इसलिये भाजपा नेतृत्व पर दबाव है कि यदि चुनाव जीतना है तो राजकिशोर महतो को हीं टिकट देना उचित होगा। इसका महतो समाज में भी जबरदस्त संदेश जायेगा। इतना हीं नहीं इसका लाभ भाजपा को अन्य संसदीय सीटों पर भी मिलना तय है।

धनबाद – यह भी एक महत्वपूर्ण संसदीय सीट है। इस संसदीय सीट के लिये जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें पूर्व सांसद रीता वर्मा के अलावा झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति नाथ सिंह, सुनिल सिंह और सरयू राय के नाम हैं। इन नामों पर गौर फरमाया जाये तो मुख्य दावेदारों में रीता वर्मा और पशुपति नाथ सिंह का नाम उल्लेखनीय है। पशुपति नाथ सिंह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं और राजपुत समुदाय का अच्छा खासा वोट बैंक है धनबाद में इसलिये वे लोकसभा चुनाव लड़ने का दाव खेल सकते हैं। कहा जा रहा है कि पिछले चुनाव में जितने वोट पड़े उसमें रीता वर्मा को सिर्फ 25.08 प्रतिशत मत मिले जबकि कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार चंद्रशेखर दुबे को 37.76 प्रतिशत मत मिले। लेकिन रीता वर्मा समर्थकों का मानना है कि रीता वर्मा ही यहां के लिये उपयुक्त उम्मीदवार होंगी। वे पहले भी चुनाव जीत चुकी है। रीता वर्मा के खिलाफ सिर्फ यह मामला था कि वह क्षेत्र में कम रहती हैं लेकिन यही शिकायत चंद्रशेखर दुबे के खिलाफ और अधिक है।

बहरहाल भाजपा में विचार मंथन जारी है। यदी अंदरूनी राजनीति से उपर उठकर उम्मीदवारों का चयन किया जाता है तभी भाजपा यूपीए को झारखंड में टक्कर दे पायेगी अन्यथा नहीं।

Wednesday, August 13, 2008

झारखंड राष्ट्रपति शासन की ओर

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री मधु कोडा इन दिनों आमने सामने आ गये हैं। श्री सोरेन ने जहां मुख्यमंत्री पद के लिये दावा किया है वहीं मधु कोडा ने कहा है उन्हें अभी तक इस्तीफे के लिये नहीं कहा गया है यूपीए की ओर से। मुख्यमंत्री कोडा जानते हैं यदि एक बार इस्तीफा दे दिया तो दुबारा मुख्यमंत्री बनना उनके लिये मुश्किल होगा। निर्दलीय विधायक और उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी ने भी साफ कर दिया है कि वे राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के पक्ष में नहीं हैं।

श्री सोरेन का दावा है कि निर्दलीय विधायक मान जायेंगे पर ऐसा दिख नहीं रहा है। इस बीच खबर यह भी है भाजपा भी श्री सोरेन पर नजर गड़ाये हुए है। ऐसे में झामुमो-भाजपा-जद(यू) मिलाकर झारखंड में आसानी से सरकार बना सकते हैं। राज्य की 81 विधान सभा सीटों में से भाजपा के पास 30 सीटे हैं, जदयू के पास 6 सीटें हैं यदि इसमें झामुमो के 17 विधायक जोड़ दिये जायें तो भाजपा-जदयू-झामुमो की सरकार बन सकती है। लेकिन इसमें भी कई सवाल जुड़े हुए हैं।

क्या भाजपा झामुमो से हाथ मिलायेगी ? -- इस बारे में भाजपा के रणनीतिकार इस बात पर माथा पच्ची कर रहे हैं कि क्या झामुमो से गठबंधन करने पर लाभ होगा? इस पर गठबंधन पक्ष के धड़े का कहना है कि एक झारखंड जैसे राज्य में उनकी सरकार होगी जिसका लाभ चुनाव में होगा। इतना हीं नहीं झामुमो झारखंड की एक मजबूत पार्टी है इससे वोट बैंक भी बढेगा और दोनो ही दलों को लाभ होगा। झामुमो से तालमेल के विरोधी पक्ष का कहना है कि इससे भाजपा को नुकसान होगा। विरोधी पक्ष का तर्क है एक तो पार्टी में नाराजगी बढेगी और पार्टी एक टूट की ओर बढ जायेगा। झामुमो के चार सांसद हैं झारखंड से – दुमका से शिबू सोरेन, गिरिडीह से टेकलाल महतो, जमशेदपुर से सुमन महतो और राजमहल से हेमलाल मुरमू। इन सभी सीटो पर झामुमो का दावा होगा और भाजपा में नाराजगी। झामुमो इतने हीं सीटों से संतुष्ट भी नहीं होगा। यही स्थिति विधान सभा चुनाव में भी पैदा होगी। तो क्या पार्टी इसके लिये तैयार है? झामुमो पर जदयू की तरह विश्वास भी नहीं किया जा सकता है।

क्या झामुमो भाजपा से मिलकर सरकार बनायेगी? – झामुमो नेताओं के बीच भी विचार मंथन जारी है। झामुमो के एक पक्ष का मानना है कि यदि यूपीए गुरूजी को मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन में खुलकर नहीं सामने आता है तो भाजपा-जदयू से मिलकर झारखंड में सरकार बनाने का दावा कर देना चाहिये। वहीं भाजपा-जदयू गठबंधन विरोधी पक्ष का कहना है कि संयम से काम लेने की जरूरत है। मधू कोडा सरकार से समर्थन वापस लिया जा सकता है लेकिन यूपीए में हीं बने रहने की जरूरत है। हो सकता है जिस प्रकार पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो-राजद गठबंधन ने सभी दलों का सफाया कर दिया था और विधान सभा में तालमेल न होने की वजह से जो हालत पैदा हुए वह आज तक सभी को झेलना पड़ रहा है। यदि इस बार सभी लोग मिलकर लड़ते हैं तो निश्चित हीं बहुमत मिलेगा और मुख्यमंत्री गुरूजी हीं बनेंगे। बहरहाल विचार मंथन जारी है।

राष्ट्रपति शासन – यदि झामुमो मधु कोडा सरकार से समर्थन वापस लेता है तो अधिक उम्मीद है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाये जोकि अप्रत्य़क्ष रूप से कांग्रेस का ही शासन होगा। झामुमो और निर्दलीय विधायकों की लड़ाई में अधिक संभावना है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।

Tuesday, August 5, 2008

शिबू सोरेन का मुख्यमंत्री बनना अधर में

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन धीरे-धीरे घिरते जा रहे हैं। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के अलावा निर्दलीय विधायक भी श्री सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के खिलाफ हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि श्री सोरेन भाजपा से भी हाथ मिला सकते हैं। लेकिन उनकी मजबूरी यह है कि झारखंड भाजपा का एक बड़ा तबका नहीं चाहता है कि श्री सोरेन से गठबंधन हो और दूसरा खतरा यह है कि झामुमो खुद भी विभाजित हो सकती है। एक नजर झारखंड की राजनीति पर –

झामुमो – झामुमो का हर सांसद और विधायक मंत्री बनने के दौड़ में है। विश्वासमत के दौरान यूपीए के पक्ष में मतदान के बदले मंत्री पद को लेकर झामुमो और कांग्रेस नेताओं के बीच जो बातें हुई उसके तहत यही था कि केन्द्र में दो मंत्री झामुमो कोटे से बनाये जायेंगे। लेकिन इस बीच शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की मांग ने यूपीए की उलझन को पेचिदा कर दिया है। खबर यह भी है कि श्री सोरेन को यदि मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो भविष्य की गठबंधन राजनीति में बदलाव भी हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो झामुमो का एक और विभाजन हो सकता है।

काग्रेंस – कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पेश विश्वासमत के दौरान जिस प्रकार रूख झामुमो नेता शिबू सोरेन ने अपनाया इससे कांग्रेस के आलाकमान श्री सोरेन से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि श्री सोरेन यूपीए गठबंधन के हिस्सा होने के बावजूद विरोधी दलों की तरह व्यवहार कर रहे थे। खबर है कि निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री मधु कोडा और निर्दलीय विधायक और उप मुख्यमंत्री स्टीफन मंराडी(झामुमो से अलग हुए) कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

राजद – राजद नेता और रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव खुद नहीं चाहते हैं कि झामुमो नेता शिबू सोरने मुख्यमंत्री बने। श्री यादव मधू कोडा के पक्ष में शुरू से हैं और उन्हीं के जोर लगाने पर श्री कोडा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। कहा जा रहा है कि श्री यादव जब मुख्यमंत्री थे तब श्री सोरेन ने समर्थन देने को लेकर कई बार उन्हें परेशान किया इसलिये वे नहीं चाहते कि श्री सोरेन मुख्यमंत्री बने।

भाजपा – चर्चा है कि यूपीए यदि शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तो वे भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन कर सकते हैं। लेकिन झारखंड के भाजपा नेता शिबू सोरेन के साथ किसी भी प्रकार के तालमेल के पक्ष में नहीं है। यदि केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में तालमेल होता है तो आने वाले दिनों में दोनो ही दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

निर्दलीय विधायक – झारखंड के निर्दलीय विधायकों में से मुख्यमंत्री मधुकोडा और उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी कांग्रेस में शामील हो सकते हैं। ऐसे कयास लगाये जा रहें हैं। कांग्रेस की स्थिति झारखंड में मजबूत नही हैं लेकिन इन दोनो नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से आदिवासी समुदाय के बीच कांग्रेस की स्थिति थोड़ी मजबूत होगी। लेकिन अभी कांग्रेस में शामिल होने के ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है सिवाय संकेत के।

बहरहाल देखना यह है कि आने वाले दिनो में झामुमो नेता श्री सोरेन क्या कदम उठाते हैं यदि मुख्यमंत्री नहीं बने तो ?

Monday, August 4, 2008

धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, झारखंड में खुशियों की लहर

भारतीय क्रिकेट टीम(वनडे और 20-20) के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न 2007 का पुरस्कार देने का एलान किया गया। उन्हें 29 अगस्त को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल यह पुरस्कार सौपेंगी। भारतीय खेल की दुनिया में यह सबसे बड़ा पुरस्कार है। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान धोनी दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्हें खेल रत्न से नवाजा जायेगा। इससे पहले सिर्फ सचिन तेंदूलकर को हीं यह पुरस्कार दिया गया है।
बहरहाल महेंद्र सिंह धोनी पहले झारखंड के क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिलेगा। इसको लेकर झारखंडवासियों में खुशी है। वहां के कई लोगों ने कहा कि इससे झारखंड के खिलाड़ियों का हौसला और बुलंद हुआ है। झारखंड से अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी निकलते रहे हैं लेकिन श्री धोनी झारखंड के पहले खिलाड़ी हैं जिन्हें खेल रत्न से नवाजा जायेगा। महेंद्र सिंह धोनी को बहुत-बहुत बधाई। टीम इंडिया के वन डे और ट्वेंटी 20 टीम के कप्तान धोनी को पिछले साल हुए ट्वेंटी 20 वर्ल्ड कप में बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए इस अवॉर्ड के लिए चुना गया है।

Sunday, August 3, 2008

दीपक तिर्की ने झारखंड का नाम रोशन किया, धोनी ने बधाई दी

रांची के दीपक तिर्की और उदयपुर की निष्ठा ने अपने विरोधी वरुण सोहेल और लोरिया को पराजित कर दिया। चैनल 9x के कार्यक्रम ‘चक दे बच्चे’ के इस कार्यक्रम का खासा महत्व इसलिये रहा कि इसमें दीपक-निष्ठा की टीम देसी थी और सोहेल-लोरिया की टीम मेट्रो रॉक्स। देसी टीम के मनोबल को बढाने के लिये भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान(वनडे) महेन्द्र सिंह धोनी पहुंचे थे तो मेट्रो रॉक्स की टीम के मनोबल को बढाने के लिये भारतीय क्रिकेट टीम के उपकप्तान(वनडे) युवराज सिंह मौजूद थे। लेकिन प्रतियोगिता के दौरान देसी टीम ने जीत हासिल की। और अपने शानदार परफॉर्मेंस से सबका दिल जीत लिया।

दीपक तिर्की और निष्ठा ने इतना जबरदस्त कार्यक्रम पेश किया कि लोग अपने आपको रोक नहीं सके और उनका स्वागत तालियों की गड़गड़ाहट से किया। इस मौके पर श्री धोनी ने कहा कि भारत गांवों का देश है लेकिन आमतौर मेट्रो की चमक धमक इतनी होती है कि गांव उसमें खो जाता है।

दीपक तिर्की के जितने पर झारवासी काफी खुश हैं। दीपक के माता पिता भी बहुत खुश है क्योंकि एक छोटे शहर से आकर इतनी बड़ी प्रतियोगिता जितना आपने आप में मील का पत्थर तय करने से कम नहीं है। निष्ठा भी एक छोटे शहर की हैं उन्होंने भी जबरदस्त काम किया है।

क्या शिबू सोरेन झारखंड का मुख्यमंत्री बन पायेंगे ?

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन(गुरूजी) केन्द्र में मंत्री बनेंगे या झारखंड का मुख्यमंत्री इसको लेकर यूपीए नेताओं में विचार मंथन जारी है। गुरूजी कोयला मंत्री थे। उन्हें अपने सचिव झा की हत्या में शामिल होने के मामले में सजा हुई थी और इस्तीफा देना पड़ा था लेकिन बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। इसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि केन्द्र में उन्हें मंत्री बनाया जायेगा लेकिन नहीं बनाया गया।

बहरहाल राजनीति का अपना ही रंग है। परमाणु करार मामले को लेकर वामपंथी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने से अल्पमत में आई प्रधानमंत्री मनमोहन की सरकार को बचाने के लिये एक-एक वोट की जरूरत थी। ऐसे में गुरूजी ने चुपी साध ली। फिर उन्हें मनाया गया और उनकी पार्टी से दो लोगों को केन्द्र में मंत्री बनाने का वायदा किया गया। इसके बाद गुरूजी ने फैसला किया कि वे यूपीए के पक्ष में मतदान करेंगे।

अब गुरूजी कह रहे हैं कि वे केन्द्र की नहीं राज्य की राजनीति करना चाहते हैं। उनके समर्थक कह रहें हैं कि गुरूजी को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिये। गुरूजी के राज्य की राजनीति का अर्थ भी यही है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाये।

यूपीए में चर्चा है कि गुरूजी को मुख्यमंत्री बनाने पर, राज्य की सरकार जा भी सकती है। क्या सभी विधायक गुरूजी को मुख्यमंत्री मानने के लिये तैयार हैं? निर्दलीय विधायक गुरूजी के मुख्यमंत्री बनने पर समर्थन नहीं भी कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि गुरूजी हीं सिर्फ दबाब की राजनीति नहीं कर सकते और लोग भी कर सकते हैं। इस तरह की चर्चाओं से यूपीए ने सहमें हुए हैं कि कहीं झारखंड की सरकार चली न जाये।

चर्चा है कि यदि गूरूजी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वे भाजपा के साथ जा सकते हैं। इस पर कांग्रेस के एक लोकल नेता ने कहा कि ऐसा गुरूजी नहीं करेंगे। यदि ऐसा करते हैं तो दोनो को हीं नुकसान होगा और बड़ा नुकसान गुरूजी का ही होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि आखिर भाजपा के अन्य नेता गुरूजी को मुख्यमंत्री क्यों मानेंगे? यदि केन्द्रीय नेताओं के दबाव में मान भी लेते हैं तो आने वाले दिनों में भाजपा और झामुमो में एक टूट और हो सकती है। गुरूजी झारखंड के एक जाने माने नेता जरूरू हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि उनके बिना कुछ नहीं हो सकता।