Sunday, December 9, 2012

कैंसर पीड़ित सुमित कुमार ने इस दुनिया को अलविदा कहा।


ए-प्लास्टिक एनेमिया से पीड़ित धनबाद जिले के 11 वर्षीय सुमित कुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने अंत तक इस बीमारी से संघर्ष किया। यहां तक कि अपने आखिरी समय में भी उन्होंने बातचीत के दौरान यही कहा कि मैं ठीक हूं। लेकिन आखिरकार उसी दिन (25 नवंबर 12) दोपहर ढाई बजे उन्होंने कोलकाता के टाटा कैंसर होस्पिटल में दम तोड़ दिया।

 टाट कैंसर होस्पिटल कोलकाता के निदेशक और ए-प्लास्टिक एनेमिया विशेषज्ञ डॉ मामेन चंडी ने कहा कि हमने सुमित को ठीक करने के लिये बहुत कोशिशें की लेकिन अंतत: असफल रहे। वह काफी हिम्मत वाला लड़का था। इतने कठिन इलाज के दौरान भी वह कभी नहीं घबराया। सुमित की मां शोभा कुमारी एक महान मां है । उन्होंने हर पल अपने पुत्र सुमित कुमार के साथ रही। लगातर अपने पुत्र की सेवा करती रही। उनके पिता हरिद्धार जी ने अथक कोशिश की अपने पुत्र के इलाज के लिए।

हरिद्धार जी पेशे से गणित के शिक्षक हैं और धनबाद के हिरापुर स्थित एक प्राइवेट हाई स्कूल में पढाते हैं। वे इस बीमारी के इलाज के लिये आर्थिक रूप से अक्षम थे लेकिन अपने पुत्र के इलाज के लिये उन्होंने जबरदस्त मेहनत की। और धन जुटाया।

 देश-दुनिया के नामी हस्तियों ने भी सुमित के इलाज के लिये आगे बढे उनमें डॉ मामेन चंडी के अलावा  विश्व प्रसिद्ध उद्योगपति रत्न टाटा, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली और पश्चिम बंगाल की अभिनेत्री कोयल मुख्य रूप से रही। ये सभी जानी मानी हस्तियों ने व्यक्तिगत तौर पर अस्पताल जाकर सुमित से मुलाकात भी किये। ब्रिटेन के प्रींस विलियम ने भी कोलकाता भ्रमण के दौरान  सुमित से मुलाकात की। इतना हीं नहीं सार्वजिनक कंपनी बीसीसीएल के चेयरमैन टी.के. लाहिरी के नेतृत्व में बीसीसीएल ने भी इलाज के लिये आर्थिक मदद की। धनबाद जिला का डिनोवली स्कूल ने बढ चढ कर सुमित के इलाज के लिये आर्थिक मदद की। इसके अलावा दर्जनों लोगों ने भी आर्थिक मदद की। मास्टर जी के नाम से प्रसिद्ध सुमित कुमार के पिता हरिद्धार जी ने सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट किया है।

 सौरभ गांगुली ने अपने प्रशंसक सुमित से जब मिलने अस्पातल पहुंचे तो उनके लिये ढेर सारे क्रिकेट का सामान लेकर गये थे। सुमित भी सौरभ गांगुली बैटिंग कैसे करते हैं यह करके दिखाया था।

 
सुमित का जन्म 27 जनवरी 2001 को धनबाद जिले के सरायढेला में हुआ था। और निधन 25 नवंबर 2012 को। 25 नवंबर को रविवार का दिन था लेकिन जैसे हीं ये खबर पहुंची कि सुमित कुमार इस दुनिया में नहीं रहा वैसे हीं पूरा होस्पिटल सुमित के लिये उमड़ पड़ा। क्या डॉक्टर और क्या नर्स सभी सुमित को देखने के लिये पहुंचने लगे।

यही हाल धनबाद का भी था। जैसे हीं शहर में यह खबर पहुंची कि शहर के लोग उमड़े पड़े। सुमित का पार्थिव शरीर रात दस बजे के बाद धनबाद पहुंचा। लोग पहले से ही बड़ी संख्या में सुमित के घर के बाहर जमा थे। और सुबह होते हीं बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

 बहरहाल सुमित कुमार ने अपने बाल अवस्था में हीं इस संसार से विदा ले लिये। वे एक मेधावी छात्र थे।

Wednesday, October 24, 2012


स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर और आमिर खान सम्मानित किये गये।  

 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाती आयोग ने टेलीविजन शो सत्यमेव जयते के माध्यम से देश और समाज में फैले सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर और फिल्म स्टार आमिर खान को 18 अक्टूबर 2012 को सम्मानित किया । आयोग ने अंतरराष्ट्रीय वाल्मीकि दिवस के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में दोनों हस्तियों को पुरस्कार प्रदान किया।

 
श्री शंकर के नेतृ्त्व में स्टार प्लेस समेत स्टार इंडिया के आधे दर्जन से अधिक चैनलों में प्रसारित सत्यमेव जयतेकार्यक्रम में तेरह एपिसोड दिखाये गये और वे सभी सामाजिक मुद्दो पर आधारित था। सभी कार्यक्रम महत्वपूर्ण रहा। इसी कार्यक्रम में हाथ से मैला उठाने वाले 3 लाख लोगों की समस्याओं को बेहद संजीदगी से उठाया गया।

 
पुरस्कार समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, सामाजिक न्याय मंत्री मुकुल वासनिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पूनिया भी मौजूद थे। और ये सभी लोगो ने स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर की विशेष सराहना की। और श्री शंकर को विशेष धन्यवाद दिया।


इस मौके पर स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर ने कहा, टेलीविजन सिर्फ मनोरंजन का स्रोत नहीं है और 'सत्यमेव जयते' के साथ हमने यह सिद्ध कर दिखाया कि टीवी के पास देश की प्रगति में योगदान और लोगों की मानसिकता बदलने की ताकत है।

 श्री उदय शंकर ने अपने कार्यक्रम सत्यमेव जयते को दूरदर्शन पर भी दिखाने की इजाजत दी। वह भी बिना किसी लाभ के। स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर साहसिक फैसले और देश व समाज के विकास के लिये जाने जाते हैं। उन्होंने देश व समाज के विकास के लिये एक दिशा तय कर दिया।

Friday, August 31, 2012

गुजरात दंगे मामले में कोडनानी और बजरंगी की कड़ी सजा।

नरोडा पाटिया गुजरात दंगे के मामले में विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री और बीजेपी एमएलए माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 32 लोगों को सजा सुनाई है। अदालत ने कोडनानी को 28 साल और बजरंगी को पूरी जिंदगी जेल में बितान का आदेश दिया। बाकी 29 दोषियों में 7 को 31 साल और 22 को 24 साल की सजा सुनाई गई है।


बीजेपी विधायक कोडनानी को दो अलग-अलग धाराओं के तहत 28 साल की सजा सुनाई गई है। कोडनानी को हत्या के आरोप में उम्रकैद और साजिश रचने के आरोप में धारा 326 के तहत सजा सुनाई गई है। एक मामले में 10 और दूसरे मामले में 18 साल की सजा सुनाई गई।  इस तरह उन्हें कुल 28 साल जेल में काटने होंगे। और  बाबू बजरंगी को पूरी जिंदगी जेल में काटनी होगी।  

उल्लेखनीय है कि गोधरा ट्रेन हादसे के बाद नरोडा पाटिया में दंगे हुए थे जिसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। यह मामला 28 फरवरी 2002 का है। इस मामले में कोडनानी और बजरंगी समेत 70 लोंगो को आरोपी बनाया गया। इनमें से 32 लोगों को सजा सुनायी गई। 29 लोगों को बरी किया गया। 2 फरार है और 7 की मौत हो चुकी है।

बहरहाल, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की परेशानी बढ सकती है। क्योंकि माया कोडनानी ने भीड़ को उकसाया था। बाद में कोडनानी महिला और बाल विकास मंत्री बनी थीं। मार्च 2009 में मंत्री रहते गिरफ्तार होने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

बीजेपी चुनाव का इंतजार करें, इस्तीफा नहीं दूंगा – प्रधानमंत्री सिंह

ईरान से वापस दिल्ली आने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। प्रधानमंत्री पद की एक गरिमा होती है इसलिये मैं इस मामले में चुप रहूंगा। बीजेपी 2014 चुनाव का इंतजार करे।

 
उल्लेखनीय है कि बीजेपी पिछले एक पखवाड़े से कोयला आवंटन के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार इस्तीफे की मांग कर ही है। जबकि प्रधानमंत्री सिंह समेत कांग्रेस पार्टी ने इस आरोप को गलत बताया और कहा कि इस बारे में संसद में चर्चा की जानी चाहिये। इतना हीं नहीं कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां के मुख्यमंत्री खुद ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसलिये बीजेपी संसद में चर्चा करने से डर रही है।

 
प्रधानमंत्री सिंह ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि वो विपक्ष के दवाब में इस्तीफा नहीं देंगे। बीजेपी को चाहिए को वो संसद की गरिमा बनाए रखें। मैं तू-तू, मैं-मैं में नहीं पड़ना चाहता। विपक्ष की वजह से 90.8 फीसदी का ग्रोथ नहीं हो पा रहा है।

 
वहीं कांग्रेस के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) विनोद राय राजनीतिक महत्वकांक्षा पाले हुए हैं। उनकी महत्वकांक्षा टी एन चतुर्वेदी की तरह है। दिग्विजय ने कहा कि साल 1989 में टीएन चतुर्वेदी ने बोफोर्स तोप को लेकर एक रिपोर्ट को पेश किया था और बाद में सेवानिवृत्ति के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। बाद में वह संसद के सदस्‍य बने और फिर कर्नाटक के राज्‍यपाल नियुक्‍त किए गए।


कांग्रेस महासचिव सिंह ने विनोद राय एक मनगढ़ंत आंकड़े दे रहे हैं, जिसका वास्‍तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। उन्‍होंने किस प्रकार इस आंकड़े का गणन किया, यह समझ से परे है।

Wednesday, August 29, 2012

दो-दो सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनेंगे बिहार में।


केंद्र सरकार ने बिहार में दो-दो केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिये हरी झंडी दे दी है। ये विश्व-विद्यालय बिहार के गया और मोतिहारी जिले में बनाया जायेगा। और दोनो हीं विश्व विद्यालय के लिये 120-120 करोड़ रूपये आवंटित किये जायेंगे।

 
उल्लेखनीय है कि बिहार में केंद्रीय विश्व विद्यालय खोलने के लेकर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और राज्य के मुख्यमंत्री के बीच मतभेद थे। कपिल सिब्बल पटना या गया जिले में केंद्रीय विश्व विद्यालय बनाना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत बिहार के तमाम नेता इस पक्ष में थे कि केंद्रीय विश्व विद्यालय मोतीहारी में स्थापित किया जाये। यहीं के चंपारण से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ आगाज किया था।

 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह भी मानना है कि इससे बिहार में समान रूप से विकास हो सकेगा। वहीं केंद्रीय मंत्री सिब्बल का तर्क यह था कि केंद्रीय विश्व विद्यलाय बनने जा रहा है इसलिये जगह ऐसी जगह हो जो एयरपोर्ट, रेल और हाइवे सड़क से जुड़ी है।

 
बहरहाल कपिल सिब्बल ने ठोस कदम उठाते हुए यह तय किया कि बिहार में दो केंद्रीय विश्व विद्यलाय बनायें जायेंगे। इससे बिहार में पढाई का एक नया वातावरण बनेगा।

Wednesday, August 15, 2012

स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर के नेतृत्व में नये भारत का उदय।

स्टार प्लस पर दिखाये जाने वाले कार्यक्रम सत्यमेव जयतेने भारत में एक साइलेंट क्रांति का आगाज कर दिया है। इस कार्यक्रम ने देश के हर नागरिक को अपने कर्तव्य के प्रति जागरुक होने का अहसास दिलाया। इसका इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि देश के इतिहास में पहली बार, किसी धारावाहिक पर, प्रधानमंत्री से लेकर एक आम आदमी तक चर्चा करते दिखे। इसके लिये स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर और फिल्म स्टार आमिर खान धन्यवाद के हकदार हैं।

आमिर खान पर्दे के एक बड़े नाम हैं। उन्हें हर लोग जानता है। इनसे हम आप सब वाकिब हैं। लेकिन हम आपको ऐसे हस्ती के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर इस कार्यक्रम की सफलता की स्क्रिप्ट लिखी और योजना बनाई। उन्होंने लोगों को देश और समाज की एकता और संपन्नता पर विचार करने के लिये मजबूर कर दिया। वे हैं स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर।

सत्यमेव जयते को कैसे सफल बनाया उदय शंकर ने - टेलीविजन की दुनिया दो हिस्सों में बंटी हुई है पहला समाचार और दूसरा मनोरंजन। और दोनो हीं दुनिया में आज उदय शंकर से बड़ा कोई नाम नहीं है। उदय शंकर आज स्टार इंडिया के सीईओ हैं। इससे पहले वे सफल पत्रकार रह चुके हैं। उनकी पत्रकारिता की सफलता पर चर्चा से पहले हम यह जानेंगे कि उन्होंने सत्यमेव जयते को इतना अधिक लोकप्रिये कैसे बना दिया। फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन के एंकरिंग में कौन बनेगा करोड़पतिजैसा लोकप्रिय कार्यक्रम भी सत्यमेव जयते की लोकप्रियता के सामने काफी छोटा दिखने लगा। एक नजर स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर के दूरदृष्टि पर -

1. वे हमेशा देश और समाज को सही दिशा में ले जाने के लिये प्रयत्नशील रहे।
2. उन्होंने सत्यमेव जयते के विषय को चयन करने में, काफी मेहनत की और सकारात्मक दृष्टि अपनाया।
3. देश और समाज से जुड़े मुद्दों पर आधारित सत्यमेव जयते को, स्टार इंडिया के स्टार प्लस समेत आधा दर्जन से उपर चैनल्स में दिखाने की रही झंडी दी।
4. इतना हीं नहीं अपने लोकप्रिय धारावाहिक सत्यमेव जयते को आमदनी का जरिया नहीं बनाया। उन्होंने विषय के महत्व को अधिक महत्व दिया।
5. देश और समाज को जोड़ने वाले इस कार्यक्रम को उन्होंने दूरदर्शन पर भी दिखाने की हरी झंडी दी। दूर्रदर्शन पर जो सत्यमेव जयते दिखाये गये उसका कॉमर्शियल लाभ भी स्टार इंडिया ने नहीं लिया बल्कि वह लाभ दूरदर्शन के खाते में गया।
6. बताया जाता है कि दूरदर्शन पर बिना कॉमर्शियल लाभ के दिखाने के पीछे उदय शंकर की सोच बेहद सकारात्म थी। वे चाहते थे कि देश और समाज को जोड़ने वाले इस कार्यक्रम को पूरा देश देखे। इसलिये उन्होंने कॉमर्शियल की परवाह नहीं की। उनका यह फैसला अदम्य साहस भरा था। शायद हीं किसी कंपनी का सीईओ ऐसा फैसला कर सके।
7. सफल पत्रकार रहे उदय शंकर ने मनोरंजन टीवी दुनिया की परिभाषा हीं बदल दी। उन्होंने यह कर दिखाया कि मनोरंजन की दुनिया में भी रहकर देश और समाज को आगे बढाने के लिये बहुत कुछ किया जा सकता है बर्शते सही सोच और नजरिया हो। सत्यमेव जयते इसका सबसे ताजा और बड़ा उदाहरण है।

स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर ने बतौर रिपोर्टर अपनी कैरियर की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वे न्यूज चैनल आजतक और स्टार न्यूज को हेड कर चुके हैं। इसके एडिटर-इन-चीफ रह चुके हैं। बहरहाल उनके नेतृत्व में सत्यमेव जयतेने देश और समाज को उस सच्चाई से रूबरू कराया जिसे काला सच मानकर देश की आधी आबादी ने अपने सीने में दबा रखा था लेकिन सत्यमेव जयते के प्रसारण के बाद लोग देश और समाज में फैली बुराईयों को दूर करने और एक स्वस्थ्य भारत बनाने के लिये खुलकर सामने आने लगे हैं।

बहरहाल, स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर ने एक स्वस्थ्य भारत बनाने की ओर ठोस कदम के साथ आगाज कर दिया है। आप कह सकते हैं कि बंदे में है दम, बंदे मातरम्।

Thursday, March 8, 2012

झारखंड लॉ कमिशन के अध्यक्ष बने राजकिशोर महतो

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष राजकिशोर महतोको झारखंड लॉ कमिशन यानी विधि आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। श्री महतो के अध्यक्षबनने के बाद अब कई ऐसे मसले हैं जिसपर राज्य की कानूनी नजरीया एकदम साफ होगी।

अभी राज्य में ताजा-ताजा सीएनटी एक्ट का मामला है। इसमामले को लेकर झारखंड की राजनीति चरम पर है। श्री महतो पर पहला दबाब यही होगा किइस मामले में कानूनी पक्ष क्या होगा उसको साफ करे। दूसरा दबाव यह होगा कि मेयर का चुनाव सीधे चुनाव के मार्फत हो या जीते हुए पार्षद अपने में से हीं किसी को मेयर चुने। अभी झारखंड में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे तौर पर होता है। लेकिन लोगों की मांग है कि पार्षद हीं अपने में किसी को मेयर और डिप्टी मेयर का चुनावकरें। इसके अलावा दर्जनों मामले हैं जिसका भार राजकिशोर महतो के कंधे पर होगा।

झारखंड लॉ कमिशन के अध्यक्ष बनने पर गिरिडीह के रहने वाले लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव राजकुमार राज ने श्री महतो को बधाई दिया है। उन्होंने कहा कि श्री महतो झारखंड के एक बड़े नाम है। सुप्रीम कोर्ट के वकील है। कानून के जानकार हैं। उनमें विवादित कानूनी विषयों को भी बारीकी से समझने की गजब की क्षमता है। श्री राजकुमार राज ने कहा कि मुख्यमंत्री अर्जुन मुंड़ा जी को भी बधाई क्योंकि इस महत्वपूर्ण पद पर उन्होंने एकदम उपयुक्त व्यक्ति का चयन किया है।

धनबाद के विलाल महतो और उदय चंद्रवंशी ने कहा कि अब समाज के कमजोर वर्ग से जुडे लोगों की हितो की रक्षा हो पायेगी। उनके हित में कानून बन पायेंगे। बहरहाल, राजकिशोर महतो, स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो के ज्येष्ठ पुत्र हैं। इनके पिता विनोद बाबू झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) के संस्थापक अध्यक्ष रहे। राजकिशोर महतो भी अपनी राजनीति की शुरूवात झामुमो से की। लेकिन वर्तमान में वे भाजपा में हैं और धनबाद जिले के सिंद्री विधान सभा से विधायक रह चुके हैं।
इनका जन्म 23 सितंबर 1946 को हुआ। शुरू से मेधावी छात्र रहे श्री महतो ने धनबाद जिले स्थित विश्व प्रसिद्ध माइनिंग इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद कानून की पढाई कर कानून की डिग्री हासिल की। पटना उच्च न्यायलय के रांची पीठ में 1990-91 के दौरान दो वर्षों तक सरकारी वकील भी रहे।
18 दिंसबर 1991 को अपने पिताजी के निधन के बाद उनके स्थान पर गिरिडीह संसदीय सीट से उपचुनाव जीतकर लोक सभा पहुंचे। इनके पिताजी गिरिडीह से सांसद थे। बिनोद बाबू को झारखंड का भीष्मपिता माह भी कहा जाता है। वे सांसद से भी बढकर एक क्रांतिकारी थे। उन्होंने झारखंड में दब-कुचलों में चेतना जगायी – पढो और लड़ो के नारे साथ। बहरहाल बीजेपीनेता राजकिशोर महतो के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है।

Sunday, January 1, 2012

भारत रत्न के हकदार है ड़ॉ होमी जहांगीर भाभा

राजेश कुमार।

नये साल की सभी को शुभ कामनायें। इस मौके पर आप सभी से आग्रह है कि अगला भारत रत्न डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा को मिले और इसके लिये इस बात को आगे बढायें।

डॉ होमी जहांगीर भाभा एक ऐसा नाम जो हर भारतीय के नाम को दुनिया में गौरवान्वित करता है। दुनिया के महान वैज्ञानिकों में इनका नाम शुमार है। जब परमाणु बम के दम पर दुनिया में नरंसहार हो रहा था और एक-दूसरे देशों को धमकियां दी जा रही थी।उस समय डॉ भाभा ने नाभिकीय उर्जा की बात की थी। यानी परमाणु से बिजली पैदा की जा
सकती है। यानी दुनिया को ध्वस्त करने की वजाय उन्हें बिजली संकट से ऊबारने की बात
की। विश्व निर्माण की बात की। उनके इस नाभिकीय बिजली की कल्पना को मानने के लिये कोई तैयार नहीं था। लेकिन डॉ भाभा ने इस दिशा में काम करने की योजना बनाई और साथ ही भारत को परमाणु शक्ति देश बनाने की ओर काम करना शुरू कर दिया।

डॉ भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने मुंबई के एलफिंस्टन
कालेज रायल इंस्टीट्यूट आफ साइंस से बीएससी पास किया और उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज
विश्वविद्यालय में रहकर 1930 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1934 में उन्होंने
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। जर्मनी में उनके कास्मिक किरणों पर
प्रयोग और इस पर उनके गहन अध्ययन की। दुनिया भर में चर्चा हुई। उन्होंने भारत वापस आने पर अपने इस अनुसंधान यानी रिसर्च को आगे बढाने का काम जारी रखा। और 1944 में बहुत कम वैज्ञानिकों की मदद से नाभिकीय
ऊर्जा पर रिसर्च का शुरू किया।
विज्ञान के इस क्षेत्र उन्होंने तब काम करना शुरू किया जब दुनिया में इस बारे में बहुत कम को जानकारी थी। अविछिन्न श्रृखंला अभिक्रिया की जानकारी नहीं के बराबर थी। उन्होंने परमाणु ऊर्जा से बिजली पैदा करने
की बात की तो उन दिनों दुनिया को विश्वास नहीं हुआ। भारत को परमाणु के क्षेत्र में शक्तिशाली बनाने के लिये सबसे पहले उन्होंने 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) की स्थापना की।
आजादी के बाद 1948 में भारत सरकार ने उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग का प्रथम अध्यक्ष
नियुक्त किया। उनकी ख्याति दुनिया भर में हो रही थी। उस दौर में खासकर परमाणु के
क्षेत्र में इतने कुशल वैज्ञानिक बहुत ही कम थे। उनकी क्षमता का अंदाजा इसी से
लगाया जा सकता है कि 1953 में जेनेवा में आयोजित विश्व परमाणुविक वैज्ञानिकों के
महासम्मेलन में उन्होंन सभापतित्व भी किया था।

बहरहाल, 24 जनवरी 1966 का दिन भारत के इतिहास में एक दुखद दिन के रूप में सामने आया। फ्रांस के मोंट ब्लांक में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। इसी दुर्घटना के साथ भारत सालो साल परमाणु कार्यक्रम
के मामले में दुनिया से पिछड़ गया लेकिन उनके द्वारा परमाणु कार्यक्रम की जो बुनियाद रखी गयी, उसी आधार पर देश के अन्य वैज्ञानिक तेजी से भारत को परमाणु संपन्न बनाने में जुटे हैं।
आज भारत परमाणु संपन्न देश है। डॉ भाभा की मौत को लेकर कहा जाता है कि वे विदेशी ताकतों के साजिश के शिकार हो गये । विदेशी ताकतों को लगता था कि डॉ भाभा के रहते भारत बहुत जल्द ही परमाणु ताकत बन जायेगा।
डॉ भाभा के योगदान को भूलाया नहीं जा सकता है। डॉ भाभा के योगदान के कारण ही भारत आज परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे तेजी से बढ रहा है।