झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन वापस लेने के बावजूद मुख्यमंत्री मधुकोडा ने दावा किया कि वे सदन में बहुमत सिद्ध कर देंगे। हालांकि आंकड़े उनके खिलाफ है। वास्तविकता यही है कि राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है। जिस राज्य में सरकार बनाने और गिराने के लिये एक-दो विधायकों का हीं वोट काफी है वहां झामुमो के 17 विधायक के अलग होने से बहुमत कैसे सिद्ध किया जा सकता है।
आईये एक नजर डालते हैं मधुकोडा सरकार के पक्ष और विरोध में –
मधुकोडा सरकार के विरोध में - भाजपा – 29(इसमें भाजपा के पांच नाराज विधायक भी शामिल हैं), जदयू – 04, इंदर सिंह नामधारी, आजसू (सुदेश महतो) – 01, निर्दलीय -01, फारवर्ड ब्लॉक(अपर्णा सेन गुप्ता) – 01, भाकपा – 01, भाकपा माले – 01, मनोनीत(गोलेस्टीन) – 01 और झामुमो – 17 । इन आंकडो को देखे तो मधुकोडा सरकार के खिलाफ कुल 56 मत हैं।
मधुकोडा सरकार के पक्ष में - कांग्रेस – 09, राजद – 07, यूजीडीपी – 02, फारवर्ड ब्लॉक (भानू प्रताप शाही) – 01, आजसू (चंद्रप्रकाश चौधरी) – 01, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – 01, झारखंड पार्टी – 01, मधु कोडा (निर्दलीय) – 01, स्टीफन मरांडी(निर्दलीय) – 01, हरिनारायण राय – 01 । इन आंकड़ो को देखें तो कुल संख्या 25 है।
बहरहाल झारखंड विधान सभा में 81 सदस्य चुनाव जीत कर पहुंचते है और एक मनोनीत होकर। कुल 82 सदस्य है। यहां सभी सदस्यों को वोट करने का अधिकार है। लेकिन यदि वोट भी होता है तो 81 मत ही होगें क्योंकि जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या हो चुकी है।
बहरहाल झारखंड की राजनीति उलझी हुई है। फारवर्ड ब्लॉक और आजसू के दो-दो विधायक हैं और दोनो हीं दलो के एक- एक विधायक सरकार के पक्ष में है तो एक-एक विरोध में। भाकपा माले के एक विधायक है विनोद सिंह वे मधुकोड़ा सरकार के खिलाफ है लेकिन भाजपा के साथ भी नही्। झामुमो का यदि 17 विधायक एनडीए के साथ चला जाये तो भाजपा को निर्दलीय विधायकों की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। लेकिन ऐसा लगता नहीं है। कारण झामुमो अपना मुस्लिम वोट बैंक खोना नहीं चाहेगा। इतना हीं नहीं दोनो हीं दलो को डर है कि भाजपा-झामुमो गठबंधन से दोनो ही दल कही टूट न जाये। ऐसे आसार से इंकार नहीं किया जा सकता।
इस बीच दिल्ली से खबर आ रही है कि झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की तैयारी हो रही है। कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती है कि सत्ता के लिये जिस प्रकार पहले भागम भाग झारखंड में हुआ उसी प्रकार इस बार भी हो। भाजपा भी नये सिरे से चुनाव कराने की मांग कर रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मधुकोडा की सरकार से अपना नाता तोड़ा है यूपीए से नहीं। इस हालात में कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।
Monday, August 18, 2008
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