झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन धीरे-धीरे घिरते जा रहे हैं। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के अलावा निर्दलीय विधायक भी श्री सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के खिलाफ हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि श्री सोरेन भाजपा से भी हाथ मिला सकते हैं। लेकिन उनकी मजबूरी यह है कि झारखंड भाजपा का एक बड़ा तबका नहीं चाहता है कि श्री सोरेन से गठबंधन हो और दूसरा खतरा यह है कि झामुमो खुद भी विभाजित हो सकती है। एक नजर झारखंड की राजनीति पर –
झामुमो – झामुमो का हर सांसद और विधायक मंत्री बनने के दौड़ में है। विश्वासमत के दौरान यूपीए के पक्ष में मतदान के बदले मंत्री पद को लेकर झामुमो और कांग्रेस नेताओं के बीच जो बातें हुई उसके तहत यही था कि केन्द्र में दो मंत्री झामुमो कोटे से बनाये जायेंगे। लेकिन इस बीच शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की मांग ने यूपीए की उलझन को पेचिदा कर दिया है। खबर यह भी है कि श्री सोरेन को यदि मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो भविष्य की गठबंधन राजनीति में बदलाव भी हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो झामुमो का एक और विभाजन हो सकता है।
काग्रेंस – कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पेश विश्वासमत के दौरान जिस प्रकार रूख झामुमो नेता शिबू सोरेन ने अपनाया इससे कांग्रेस के आलाकमान श्री सोरेन से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि श्री सोरेन यूपीए गठबंधन के हिस्सा होने के बावजूद विरोधी दलों की तरह व्यवहार कर रहे थे। खबर है कि निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री मधु कोडा और निर्दलीय विधायक और उप मुख्यमंत्री स्टीफन मंराडी(झामुमो से अलग हुए) कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
राजद – राजद नेता और रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव खुद नहीं चाहते हैं कि झामुमो नेता शिबू सोरने मुख्यमंत्री बने। श्री यादव मधू कोडा के पक्ष में शुरू से हैं और उन्हीं के जोर लगाने पर श्री कोडा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। कहा जा रहा है कि श्री यादव जब मुख्यमंत्री थे तब श्री सोरेन ने समर्थन देने को लेकर कई बार उन्हें परेशान किया इसलिये वे नहीं चाहते कि श्री सोरेन मुख्यमंत्री बने।
भाजपा – चर्चा है कि यूपीए यदि शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तो वे भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन कर सकते हैं। लेकिन झारखंड के भाजपा नेता शिबू सोरेन के साथ किसी भी प्रकार के तालमेल के पक्ष में नहीं है। यदि केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में तालमेल होता है तो आने वाले दिनों में दोनो ही दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
निर्दलीय विधायक – झारखंड के निर्दलीय विधायकों में से मुख्यमंत्री मधुकोडा और उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी कांग्रेस में शामील हो सकते हैं। ऐसे कयास लगाये जा रहें हैं। कांग्रेस की स्थिति झारखंड में मजबूत नही हैं लेकिन इन दोनो नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से आदिवासी समुदाय के बीच कांग्रेस की स्थिति थोड़ी मजबूत होगी। लेकिन अभी कांग्रेस में शामिल होने के ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है सिवाय संकेत के।
बहरहाल देखना यह है कि आने वाले दिनो में झामुमो नेता श्री सोरेन क्या कदम उठाते हैं यदि मुख्यमंत्री नहीं बने तो ?
Tuesday, August 5, 2008
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