लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुटे भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने गढ झारखंड में एक बार फिर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अभी से लोक सभा उम्मीदवारों के नाम तय किये जाने लगे हैं। यहां कुल 14 लोक सभा की सीटें हैं। एक समय था जब 14 में से 12 पर भाजपा का कब्जा रहा लेकिन आज की तारीख में एक भी सीट भाजपा के पास नहीं है। रांची से राम टहल चौधरी, खूंटी से कड़िया मुंड़ा, दुमका से सुनील सोरेन, हजारीबाग से यशवंत सिन्हा का नाम तय माना जा रहा है। भाजपा को मुश्किल आ रही है गिरिडीह और धनबाद से उम्मीदवारों को चुनने में।
गिरिडीह - यहां से मुख्य रूप से जो नाम आ रहें उनमें राजकिशोर महतो, रविन्द्र पांडे, छत्रुराम राम महतो के अलावा एक-दो नाम और हैं। इनमें भी मुख्य रूप से राजकिशोर महतो और रविन्द्र पांडे की दावेदारी पर चर्चा हो रही है। रविंद्र पांडे का दावा है कि वे गिरिडीह से सांसद रह चुके हैं। लेकिन इनके खिलाफ जो बातें सामने आ रही है वो यह है कि पिछले लोक सभा चुनाव में जितने मत पड़े थे उनमें रविन्द्र पांडे को सिर्फ 28.06 प्रतिशत मत मिले थे जबकि विजेता उम्मीदवार झामुमो के टेकलाल महतो को 49.03 प्रतिशत मत मिले। लगभग 21 प्रतिशत का अंतर। ऐसे में विधायक राजकिशोर महतो ही एक ऐसे उम्मीदवार हैं जो टेकलाल महतो को चुनौती दे सकते हैं। राजकिशोर महतो भी गिरिडीह से सांसद रह चुके हैं। गिरिडीह के 6 विधान सभा सीटों में से पांच पर महतो उम्मीदवार हीं चुनाव जीता है। इसलिये भाजपा नेतृत्व पर दबाव है कि यदि चुनाव जीतना है तो राजकिशोर महतो को हीं टिकट देना उचित होगा। इसका महतो समाज में भी जबरदस्त संदेश जायेगा। इतना हीं नहीं इसका लाभ भाजपा को अन्य संसदीय सीटों पर भी मिलना तय है।
धनबाद – यह भी एक महत्वपूर्ण संसदीय सीट है। इस संसदीय सीट के लिये जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें पूर्व सांसद रीता वर्मा के अलावा झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति नाथ सिंह, सुनिल सिंह और सरयू राय के नाम हैं। इन नामों पर गौर फरमाया जाये तो मुख्य दावेदारों में रीता वर्मा और पशुपति नाथ सिंह का नाम उल्लेखनीय है। पशुपति नाथ सिंह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं और राजपुत समुदाय का अच्छा खासा वोट बैंक है धनबाद में इसलिये वे लोकसभा चुनाव लड़ने का दाव खेल सकते हैं। कहा जा रहा है कि पिछले चुनाव में जितने वोट पड़े उसमें रीता वर्मा को सिर्फ 25.08 प्रतिशत मत मिले जबकि कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार चंद्रशेखर दुबे को 37.76 प्रतिशत मत मिले। लेकिन रीता वर्मा समर्थकों का मानना है कि रीता वर्मा ही यहां के लिये उपयुक्त उम्मीदवार होंगी। वे पहले भी चुनाव जीत चुकी है। रीता वर्मा के खिलाफ सिर्फ यह मामला था कि वह क्षेत्र में कम रहती हैं लेकिन यही शिकायत चंद्रशेखर दुबे के खिलाफ और अधिक है।
बहरहाल भाजपा में विचार मंथन जारी है। यदी अंदरूनी राजनीति से उपर उठकर उम्मीदवारों का चयन किया जाता है तभी भाजपा यूपीए को झारखंड में टक्कर दे पायेगी अन्यथा नहीं।
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