Sunday, September 30, 2007

झारखंड के उप मुख्यमंत्री पर हमले कि कोशिश

धनबाद से कुंदन सिंह
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और झारखंड के उप मुख्यमंत्री सुधीर महतो के काफिले पर हमले की नाकाम कोशिश की गई।श्री महतो विनोबा भावे विश्वविधालय में आयोजित एक युवा महोत्सव में भाग लेकर धनबाद से जमशेदपुर लौट रहे थे। रास्ते में पश्चिम बंगाल में पुरुलिया और बलरामपुर के बीच जैसे ही सुधीर महतो की गाड़ी पहुंची उनकी गाड़ी पंक्चर हो गई। ये पंक्चर एक प्लान के तहत बिछाई गई कील से हुई। यह मामला रात के साढे ग्यारह बजे के आसपास की है। खतरे को भांपते हुये सुरक्षा बलों ने अपराधियों से मुकबला करने के लिये पोजिशन ले ली। तब जाकर वे लोग भाग खड़े हुये जो लोग किसी घटना को अंजाम देने की मकसद से रास्ते में कीलें बिछाई थीं। अनुमान के आधार पर कहा जा रहा है कि सड़क लुटेरा गिरोह के सदस्यों ने लूट की घटना को अंजाम देने की कोशिश के तहत सड़क पर कीलें बिछाई होंगी। चर्चा यह भी है कि यह योजना सुधीर महतो की हत्या की साजिश के तहत किया गया था लेकिन इस बात के अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलें है। उल्लेखनीय है कि इसी साल 4 मार्च को झामुमो नेता और सासद सुनिल महतो की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी । इस लिये इस घटना की जांच पुलिस हर तरह से कर रही है। बहरहाल रात में हीं श्री महतो को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जमशेदपुर पहुंचा दिया गया।

Friday, September 28, 2007

मधु कोडा को हटाना आसान नहीं

विजय चंद्रवंशी
झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोडा के खिलाफ सभी लोग बयान बाजी कर रहें है चाहे विरोधी दल हो या सहयोगी दल। सारे नेता आरोप लगा रहे है कि राज्य में भ्रष्टाचार है। विकास के क्षेत्र में कोई काम नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर सरकार चल कैसे रही है। भाजपा और जनता दल यूनाइटेड के नेता विरोधी खेमे में हैं अर्थात सत्ता से बाहर हैं ऐसे में वे आरोप लगा रहें है तो एक बात समझ में आती है कि वे अपना राजनीतिक खेल खेल रहे हैं और जनता को यह बताना चाह रहे हैं कि वर्तमान यूपीए सरकार कुछ नहीं कर रही है। भाजपा और जदयू के नेता मुख्यमंत्री कोड़ा से इस लिये भी नाराज हैं कि मधु कोड़ा पहले भाजपा के खेमे में थे बाद में भाजपा छोड़ यूपीए की मदद से मुख्यमंत्री बन गये। बहरहाल यहां सत्ता ऱुढ नेताओं की बात करना महत्वपूर्ण होगा।




झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन ने जेल से निकलने के कुछ ही दिन बाद कहा कि मधु कोडा की सरकार कोई काम नहीं कर पा रही है। किसी का नाम लिये बिना कहा कि सभी लोग पैसे कमाने में लगें है। केन्द्रीय मंत्री और कॉग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने भी मधु कोडा की सरकार की जमकर आलोचना की और राज्य सरकार को भ्रष्ट बताया। उल्लेखनीय है कि यदि झामुमो और कॉग्रेंस में से एक ने भी समर्थन वापस ले लिया तो सरकार गिर जायेगी। ये लोग समर्थन वापस क्यों नहीं लेते ? दर असल शिबू सोरेन चाहते हैं कि मधू कोडा खुद ही इस्तीफा दे दे। ऐसे में शिबू सोरेन के लिये मुख्यमंत्री बनना आसान हो जायेगा। शिबू सोरेन को हत्याकांड मामले में बरी कर दिया गया है। अब उनके राह में कोई अडंगा नहीं है।
बताया जाता है कि मधु कोडा बेफिक्र हैं।उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कह रहा है। वे जानते हैं कि उन्हें हटाने के बाद किसी अन्य का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल है और कोई भी विधायक चुनाव लड़ना नहीं चाहता है। ऐसे में उन्हें हटाना मुश्किल होगा। बहरहाल श्री कोड़ा की सरकार को एक साल से अधिक हो गया है और वे दुनिया के पहले व्यक्ति बन गये हैं जो बतौर निर्दलीय विधायक इतने लंबे समय तक मु्ख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं।

Thursday, September 27, 2007

भगत सिंह की जन्मशती

शहीद ए आजम भगत सिंह के 100 वें जन्मदिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक सिक्का जारी करेंगें। और इस मौके पर पंजाब के नवांशहर का नाम बदल कर शहीद भगत सिंह नगर करने की घोषणा की जायेगी। शहीद ए आजम का जन्म 27-28 सितंबर 1907 की रात लायलपुर में हुआ था जो पाकिस्तान में है। लायलपुर का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया गया है। लेकिन जन्मशती का कार्यक्रम उनके पैतृक गांव खटकड़ (नवांशहर) में होगा। उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दे गई थी। उनके साथ राजगुरु और सुखदेव को भी फांसी दी गई थी। आजादी की लड़ाई में जितने लोग भी कुर्बान हुये उनकी कुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता लेकिन क्रांतिकारी संघर्ष का नाम आते ही शहीद ए आजम की तस्वीरे सामने आ जाती हैं। क्रांतिकारियों में भगत सिंह का नाम सर्वप्रथम क्यों आता है। क्योंकि भगत सिंह ऐसे क्रांतिकारी थे जो कम उम्र में ही आजादी के लिये संघर्ष के मैदान में कूद पड़े और कुशल तरीके से अंग्रेजों से लोहा लिया। इतना हीं नहीं उनके पास यह भी योजना थी कि आजादी के बाद देश की तरक्की के लिये क्या क्या किया जाना है। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह भी थी कि कहीं देश ऐसे लोगों के हाथों में न चला जाये जो लोग समाज में जहर घोलने का काम करते हों, जो लोग जनकल्याण के नाम पर अपनी जेबें भरतें हो। लेकिन आज देश में यही हो रहा है। बहरहाल शहीदे आजम ने कभी भी जान की परवाह नहीं की। वे तो आजांदी के दीवाने थे। उनका एक हीं जुनून था, किसी भी कीमत पर देश की आजादी। इसी मकसद से सोये हुये अंग्रेजो को जगाने के लिये संसद भवन के अंदर बम फेककर धमाका किया। वह बम धमाका किसी को मारने के लिये नहीं बल्कि अंग्रेजों को जगाने के लिये किया था। इसलिये ऐसी जगह फेंका गया था जहां से किसी को नुकसान न हो। बम शक्तिशाली भी नहीं था। उन्हें जेल भेज दिया गया। खैर उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाये। बहरहाल फांसी से पहले जेल में उनसे ईश्वर का नाम लेने के लिये कुछ लोगों ने कहा। इस बारे में उन्होंने जो कहा उसका आशय यही था कि ईश्वर कहां हैं ? यदि वे होते तो क्या अंग्रेज हमारी इज्जत से खेलते ? क्या किसी की बहन की इज्जत लुटती? क्या हमें मारा पीटा जाता? और यदि ईश्वर हैं उसके बाद भी ये सब हो रहा है और हमारी इज्जत बचाने कोई नहीं आ रहा है तो ऐसे इश्वर को मानने से क्या फायदा ?
जय हिन्द।

20-20 विश्व कप - जीत के वो क्षण

हम सभी जानते हैं कि खेल हार जीत का है। लेकिन जीत जीत ही होती है। 20-20 विश्व कप के फाइनल के दिन भारत के जीत के साथ ही विश्व के हर कोने में बसे भारतीयों ने जम कर खुशियां मनाई और मुंबई में जोरदार स्वागत हुआ खिलाड़ियों का। जीत की एक झलक -

ये वो क्षण है जब पूरे देश को एक बारगी लगा की कप गया हाथ से गया। जोगिंदर शर्मा की तीसरी गेंद पर पाकिस्तान के खिलाड़ी मिसबाह उल हक ने एक स्कूप लगाया। गेंद हवा में थी और करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों की जान सांसत में, लेकिन फाइन लेग में इस गेंद को लपका भारत के तेज गेंदवाज श्रीसांत ने।




मिसबाह उल हक के आउट होते ही भारतीय खिलाड़ियों ने कुछ इस तरह शुरुवाती खुशी की इजहार की।

जीत के साथ ही जोहानेसबर्ग गये शाहरुख खान ने तिरंगा लहराकर भारतीय खिलाडियों का अभिनंदन किया। शाहरुख मैच के दौरान लगातार भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढाते रहे।


20-20 विश्व कप के साथ भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी।

Monday, September 24, 2007

भारत बना विश्व विजेता

सबसे पहले देशवासियों को बधाई । भारत ने पहला 20-20 विश्व कप का ख़िताब जीता पाकिस्तान को हराकर। भारत ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 157 रन बनाये। इसके जवाब में पाकिस्तान की पूरी टीम 152 रन पर आउट हो गई। इस प्रकार एक शानदार और रोमांचक मैच में भारत ने पाकिस्तान को 5 रन से हरा दिया। सिर्फ़ 16 रन देकर तीन विकेट लेने वाले भारत के तेज गेंदबाज इरफ़ान पठान को मैन ऑफ़ द मैच का पुरस्कार दिया गया जबकि पाकिस्तान के शाहिद अफ़रीदी को प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया.विश्व कप जीतन पर पूरे देश में धूम है,जश्न का माहौल है। झारखंड सरकार ने महेंद्र सिंह धोनी को ‘झारखंड रत्न” से सम्मानित करने की घोषणा की है। य़ह सम्मान भारतीय टीम के कप्तान धोनी को झारखंड दिवस के मौके( 15 नवंबर) पर दिया जायेगा। “ चक दिया इंडिया ने"।

Saturday, September 22, 2007

वोट के लिये देश को आग में न झौंके

राजेन्द्र साव
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि का सिर और जीभ काट कर लाने वालों को सोने से तोल दिया जायेगा। यह बयान दिया है विश्व हिन्दू परिषद के नेता राम विलास वेदांती ने। करुणानिधि ने कल कहा था कि बाल्मीकि रामायण में इस बात का उल्लेख है कि रामायाण के पात्र राम पियक्कड़ थे। वेदांती के बाद द्रमुक नेता और कार्यकर्ता गुस्से में है। द्रमुक नेता और बिजली मंत्री ए एन वीरासामी ने कहा कि यदि वेदांती अपना बयान वापस नहीं लेते हैं तो राज्यभर में बीजेपी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन होगा। सभी जानते हैं कि द्रमुक कार्यकर्ता कितने उग्र हैं यदि समय रहते स्थिति नहीं संभाली गई तो हालात विस्फोटक भी हो सकते हैं। वीरासामी ने चेतवानी देते हुये कहा कि जो लोग धर्म की राजनीति कर रहें हैं उन्हें जवाब देने के लिये तमिलनाडु तैयार है। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है यह याद रखना होगा।
करुणानिधि को जान से मारने की धमकी और द्रमुक कार्यकर्ताओं की चेतावनी, ये संकेत अच्छे नहीं हैं भारतीय लोकतंत्र के लिये। जैसे वेदांती और लाल कृष्ण आडवाणी की छवि कट्टर हिन्दू की है वैसे ही करुणानिधि की छवि पिछड़े वर्ग की नेता की है। शायद इसी लिये वेंदांती के बयान के बाद भाजपा नेता काफी सतर्क हैं और कुछ बोलने से बचने कि कोशिश कर रहें हैं। रामसेतू को लेकर उठे विवाद और उस पर करुणानिधि के बयान फिर वेदांती के बयान फिर द्रमुक की धमकी के बाद भाजपा नेता इस बात से डरे हुये हैं कि कहीं पिछड़ा वर्ग नाराज न हो जाये क्योंकि करुणानिधि पिछड़े वर्ग से आते हैं। इस लिये कोशिश की जा रही है वेदांती के खतरनाक बयान के बाद भाजपा से जुड़े पिछड़े वर्ग के नेता आगे आयें लेकिन भाजपा से जुड़े पिछड़े वर्ग के नेता कल्याण सिंह और विनय कटियार सहित भाजपा के नेता वेदांती के बयान पर प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं।

Friday, September 21, 2007

ईश्वर के प्रति आस्था बनी रहे इसके लिये जरुरी है कि धर्म का राजनीतिकरण न हो

भगवान राम के नाम पर विवाद बढता हीं जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने राम को पियक्कड़ बताया। उन्होने कहा कि वाल्मीकि रामायण में इस बात का उल्लेख है कि राम नशीले पदार्थों का सेवन करते थे। राम को पियक्कड़ बताने पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने गहरी आपति जतायी है। करुणानिधि ने आडवाणी को चुनौती देते हुये कहा कि वे आडवाणी से इस मामले में बहस करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आडवाणी पहले वाल्मीकि रामायण पढे फिर आकर बहस करें। करुणानिधि ने कहा कि राम काल्पनिक कहनी है जिसका उद्देश्य द्रविडों पर आर्यों की ताकत स्थापित करना था।
भाजपा आसानी से सोनिया गांधी को निशाना बनाती रही है लेकिन करुणानिधि को चुनौती देना भाजपा के लिये आसान नहीं होगा। क्योंकि करुणानिधि न तो विदेशी हैं और न हीं उनका इतिहास ईसाई समुदाय से रहा है।जहां तक हिन्दुत्व का सवाल है तो उस पर भी चुनौती नहीं दिया जा सकता। करुणानिधि के बयान के बाद कुछ इलाके में हिंसा भी हुई और करुणानिधि के बेटी के घर पर भी हमला हुआ। इसके जवाब में करुणानिधि ने कहा कि जिन इलाके में हिंसा हुई और बस जलायी गयी जिसमें दो लोगो की मौत हुई है वह कर्नाटक का इलाका है और कर्नाटक सरकार जरुर कार्रवाई करेगी। जहां तक मेरी बेटी के घर हमले का सवाल है तो यह धूल में कण के समान है। यह एक तरह से चेतावनी है कि यदि किसी प्रकार का और हमला हुआ तो हिंसा करने वालों की खैर नहीं।
ऐसे भगवान राम का नाम राजनिति के लिये इस्तेमाल नहीं होना चाहिये। इसका बुरा प्रभाव पड़ता है देश और समाज पर। भगवान राम के प्रति आस्था बनी रहे इसके लिये जरुरी है कि इसका राजनीतिकरण न हो। यदि आप इसी लाइन पर चलते रहे तो भगवान अभी धर्म के नाम पर बंटे हैं आगे जातीय आधार पर बंटने लगेगें।

Thursday, September 20, 2007

मुंहतोड जवाब मिलेगा अमेरिका को : ईरान

ईरान पर हमला कब होगा समय सीमा तय नहीं है लेकिन अमेरिका ने ईरान पर जल्द से जल्द हमला करने के लिये माहौल बनाना शुरु कर दिया है। फ्रांस के राष्टपति निकोलस सारकोजी के बाद अमेरिका की विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस ने भी ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से इंकार नहीं किया है। बताया जा रहा है कि ईरान के खिळाफ हमले में इजरायल भी शामिल होगा। ईरान ने कहा है कि यदि इजरायल और अमेरिका उस पर हमला करता है तो उसे मुंहतोड जवाब मिलेगा। ईरान इराक के अपेक्षा काफी बड़ा देश है। इस लिये अमेरिका ईरान को चारो ओर घेर कर मारने की योजना बना रहा है। ईरान से सटे इराक में एक तरह से अमेरिका का कव्जा है और वहां अमेरिकी फौज पूरे साजो सामान के साथ तैयार है ।ईरान का द. पूर्वी इलाका पाकिस्तान से मिलता है।और यहां के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अमेरिकी समर्थक हैं । इसके अलावा ईरान और इजरायल के बीच बहुत दूरी नहीं है जहां से अमेरिका हवाई हमला कर सकता है। लेकिन रुस ने कहा है कि ईरान पर हमला नहीं किया जाना चाहिये । रुस पहले की तरह ताकतवार देश नहीं रहा इस लिये अमेंरिका पूरी दुनिया में मनमानी कर रहा है। और वह रुस की परवाह भी नहीं करता। लेकिन कहा जा रहा है कि रुस सामरिक दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिये फिर अमादा है। इस लिये हाल हीं मे उन्होंने एक ताकतवार बम का टेस्ट किया है। ऐसे भी शीत युद्ध के दौर में ईरान रुस के साथ था इस लिये हो सकता है कि रुस ईरान के पक्ष में आ जाये । ईरान के साथ भारत के भी अच्छे रिश्ते हैं लेकिन भारत इस मामले में दोराहे पर दिख सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिकी समर्थक माने जाते हैं और जिनके बल पर सरकार चल रही है वो ईरान समर्थक। ईरान से भारत के ऐतिहासिक रिश्ते भी हैं और बड़े पैमाने पर आर्थिक रिश्ते होने वाले हैं। बहरहाल अमेरिका ईरान पर हमले के लिये तैयार है बस जरुरत है एक बहाने की।

Tuesday, September 18, 2007

ईरान पर हमले की तैयारियां

इन दिनों ईरान पश्चिमी देशों की नज़र में एक बार फिर खटकने लगा है. फ़्राँस के विदेश मंत्री बर्नार्ड कुशनेर ने कहा है कि दुनिया को ईरान के साथ संभावित युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। कुशनेर के इस बयान के बाद ईरान के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि फ्रांस अमेरिकी नीति पर चल कर विश्वसनीयता खो दी है। कुशनेर ने कहा कि ईरान पूरी दुनियां के लिये खतरा बन सकता यदि उसने परमाणु बम बना लिये तो। उन्होने अपने ही देश की कंपनियों को सलाह दी है कि वे ईरान में पूंजी न लगाये।
फ्रांस का रवैया आक्रमक हो गया है । बताया जाता है फ्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति निकोलाई सरकोजी ईरान को निशाना बनाने के लिये अमादा हैं। इन्हें फ्रांस के अन्य राष्ट्रपतियों के उल्ट अमेरिकी समर्थन माना जाता है । कहा यह भी जा रहा है सरकोजी को राष्ट्रपति बनाने में अमेरिका ने अह्म भूमिका निभाई। इस लिये फ्रांस ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ दिख रहा है। पिछले फ्रांसीसी राष्ट्रपति ज्याक शिराक अमरीकी नीतियों के विरोधी रहे थे.
फ्रांस के विदेश मंत्री के बयान के बाद संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख ने यह बयान देकर माहौल को और गर्म कर दिया है कि बल प्रयोग अंतिम विकल्प है। इसका अर्थ यही है कि यदि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम नहीं रोकता है तो ईरान पर हमला तय है।
अमेरिका ईरान पर सीधे बयान बाजी न कर अब फ्रांस के हवाले से करवा रहा है ताकि दुनिया के उन देशों का भी समर्थन मिले जो अमेरिकी विरोधी और फ्रांसीसी मित्र रहे हैं।

Sunday, September 16, 2007

क्या शिबू सोरेन मधु कोडा को हटा पायेंगे ?

मधु कोडा सरकार की उल्टी गिनती शुरु हो गई है । कांग्रेस, झामुमो, आरजेडी और निर्दलीय विधायको के समर्थन से बनी यूपीए की सरकार कितने दिन चलेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। झामुमो नेता शिबू सोरोन ने अपनी सरकार की जमकर खिंचाई की और कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को रोक नहीं पा रही है। झामुमो सूत्रों का कहना है कि झा हत्या कांड मामले में बरी होने के बाद से ही गुरुजी(शिबू सोरेन) मौके की तलाश मे है कि मधु कोडा को हटा कर वे खुद या उनके परिवार का कोई सदस्य मुख्यमंत्री बन जाये। लेकिन सवाल उठता है कि क्या शिबू सोरोन को मुख्यमंत्री बनाने के लिये कांग्रेस और आरजेडी राज़ी होगी? क्यों कि मधु कोडा को आरजेडी नेता और रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का आशिर्वाद प्राप्त है।
मुख्यमंत्री कोडा के नजदीकी लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री कोडा हर स्थिति के लिये तैयार हैं। क्यों कि उन्हें खोने के लिये कुछ नहीं है। बतौर निर्दलीय विधायक उन्होने एक साल तक मु्ख्यमंत्री रहे और कोई गड़बड़ नहीं हुआ तो आगे भी बने रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि य़ूपीए के पास तत्काल श्री कोड़ा के अलावा और कोई चारी नहीं है।यदि गुरुजी कोई दबाव बनाने कि कोशिश करते हैं तो यूपीए की सरकार रहेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता। नाम न उल्लेख करने की शर्त पर झामुमो के एक बड़े नेता ने कहा कि गुरुजी की सोच अपने परिवार तक रह गई है। इस लिये उनकी लोकप्रियता घटती जा रही है । एक समय था जब गुरूजी झारखंड के सबसे बड़े आदिवासी नेता थे लेकिन आज नहीं है।
बहरहाल यूपीए सरकार को लेकर कसमकस शुरु हो गई है।हालांकि यह भी सच है कि कांग्रेस और आरजेडी के कई नेता और विधायक मुख्यमंत्री कोडा से खुश नहीं है लेकिन अपने अपने आलाकमान के दबाव के कारण वे खामोश हैं। देखना यह है कि काग्रेंस का हाथ कब तक है मधु कोडा के साथ। आरजेडी नेता लालू की लालटेन की रोशनी कब तक राह दिखा पाती है। ऐसे गुरुजी तीर धनुष चलाने को तैयार हैं।

मधु कोडा सरकार के एक साल

मधु कोडा सरकार का एक साल पूरा हो जायेगा 18 सितंबर को । निर्दलीय विधायक श्री कोडा के नेतृत्व में यूपीए सरकार का एक साल पूरा हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस एक साल के मौके पर मुख्यमंत्री के भाषणों को संकलन जारी किया जायेगा। श्री कोड़ा दुनिया के पहले व्यक्ति बन गये हैं जो बतौर निर्दलीय विधायक इतने लंबे समय तक मु्ख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं। इस मौके पर कई लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये ।
राजकिशोर महतो (विधायक, भाजपा) – मधु कोडा की सरकार को मैं कोई सरकार मानता हीं नहीं हूं। राज्य में न कोई विकास हो रहा है और न हीं राज्य सरकार का कोई ऐसा ऐजेंडा दिख रहा है ताकि भविष्य में होने वाले विकास को लेकर संतुष्ट रहूं। श्री महतो सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट भी है।श्री महतो ने कहा कि राज्य में जितने संसाधन है यदि इसका सही इस्तेमाल हो तो राज्य हीं नहीं देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो जायेगी। झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां केन्द्रीय कल कारखाने अधिक हैं।इस लिये केन्द्र सरकार को झारखंड की ओर ध्यान देना चाहिये। लेकिन केन्द्र झारखंड के प्रति ध्यान हीं नहीं दे रही है।
सुदेश महतो (नेता,आजसू) - राज्य के पूर्व गृह मंत्री सुदेश महतो का कहना है कि वर्तमान राज्य सरकार का एक साल रुठने और मनाने में हीं निकल गया। मुख्यमंत्री कोडा जी रेल मंत्री लालू यादव और गुरुजी शिबू सोरोन का ही चक्कर काटते रहे। राज्य के इस एक साल में जनहित के अलावा वे सारे काम हुये जो कल्याणकारी नहीं है।
राजकुमार राज ( राष्ट्रीय महासचिव, लोजपा) – यह समझौते की सरकार है। विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा है। जहां तक हो सके राज्य में लूट खसोट जारी है। सरकार की गतिविधियों को देख यह कहने को मजबूर हूं कि मालूम ही नहीं पड़ता कि सरकार नाम की कोई चीज भी अस्तिव में है।
प्रभात सिंह (प्रवक्ता झारखंड कांग्रेस) – श्रीमती सोनीया गांधी जी का विशेष ध्यान है झारखंड और यहां के लोगों पर। मधु कोडा सरकार से पहले झारखंड की सत्ता अस्थिर थी उस हालात में कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले स्थिरता को मह्तव दिया ताकि राज्य का विकास हो सके। गांवो में विकास की गति जारी है । ग्रामीण रोजगार योजना के तहत लोगों को मदद की जा रही है। आप गांवो में जाकर देखिये आपको विकास देखने को मिलेगा।
बहरहाल, 6 जनवरी 1971 को पश्चिम सिंहभूम में जन्मे झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोडा ने एक रिकॉर्ड कायम कर दिया है। यह सरकार कब तक चलेगी कहा नहीं जा सकता क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन हत्या मामले में बरी हो चुके हैं। जेल से रिहा होते वक्त श्री कोडा ने कहा था कि वे गुरुजी(शिबू सोरेन) के लिये कभी भी कुर्सी छोड़ देगें। सूत्र बता रहे हैं कि झामुमो नेता चाहते हैं कि श्री कोडा एक साल पूरा करने के बाद खुद ही कुर्सी का त्याग कर दे।

वकील की हत्या जमशेदपुर में

झारखंड के जमशेदपुर में अरविंद गुहा ने अपने ही वकील सुधान चटर्जी की हत्या कर दी। यह हत्या उसने पुलिस की मौजूदगी में की और इसमें अरविंद गुहा की पत्नी ने भी अपने पति का साथ दिया। हत्या का आरोपी अरविंद गुहा का कहना है कि संपति विवाद को लेकर उसका और उसके भाई के बीच विवाद चल रहा था और यह मामला न्यायलय में है। लेकिन मेरा वकील सुधान चटर्जी ने मुझसे गदारी कर मेरे भाई से साठगांठ कर लिया और मुझे न्यायलय में हरवा दिया।
इस घटना के बारे में कहा जा रहा है कि वकील सुधान को अरविंद पिछले एक माह से ज्यादा समय तक बंधक बना कर रखा तो इतने दिनों तक पुलिस क्या कर रही थी? ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि यदि वकील ने अपने क्लाइंट के साथ धोखा किया तो क्या यह उचित है? बहरहाल हत्या को किसी भी तरह सही नहीं कहा जा सकता। यदि सुधन को कोई शिकायत थी अपने वकील से, तो उसके खिलाफ न्यायलय में शिकायत की जा सकती थी। न्यायलय में इसके लिये भी व्यवस्था है।सही पाये जाने पर सुधान के खिलाफ न्यायलय ज़रुर कार्रवाई करती। लोगों के साथ न्याय हो इसके लिये ज़रुरी है कि वकील, पुलिस और प्रशासन सभी को न्याय संगत काम करना होगा अन्यथा इस तरह के अपराध को रोक पाना काफी मुश्किल होगा।

Wednesday, September 12, 2007

रुस ने किया “डैड ऑफ ऑल बम्स” का परीक्षण

काफी लंबे समय बाद रुस ने सामरिक दुनियां में ज़बरदस्त का धमाका किया है। रुस ने अब तक का सबसे शक्तिशाली गैरपरमाणुविक बम का सफल परीक्षण करने का दावा किया। सात टन वजन वाले इस बम से विस्फोट होते हीं जबरदस्त आग का गोला पैदा होता है।बताया जाता है कि यह बम हवा में मौजूद वायू को ही विस्फोट के लिये ईधन के रुप में इस्तेमाल करता है। इस बम का इस्तेमाल आकाश और ज़मीन दोनों जगहो से किया जा सकता है। इस बम की खासियत यह है कि इसकी तबाही क्षमता परमाणु बम के बराबर है लेकिन पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। इस शक्तिशाली बम का परीक्षण रुस के टेलीविज़न पर प्रसारित किया गया। विस्फोट के बाद रुस ने कहा है कि इस परीक्षण से किसी संधी का उल्लघंन नहीं होगा और न हीं हथियारों के होड़ को बढावा मिलेगा।
अमेरिका के ‘मदर ऑफ ऑल बम्स’ से यह बम चार गुना अधिक ताकतवर है। रुस ने इस बम को “डैड ऑफ ऑल बम्स” कहा है।.विश्लेषक मानते हैं कि रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने इस बम विस्फोट के ज़रिए दुनिया में अपनी सैन्य शक्ति को एक बार फिर स्थापित करने की कोशिश की है।

Tuesday, September 11, 2007

डॉ कलाम के लिये आवास की व्यवस्था कब तक ?

देश का सरकारी तंत्र कितना लचर है इसका ताजा उदाहरण है पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को अभी तक रहने के लिये आवास का उपलब्ध न कराना। उन्हें अपने पद से इस्तीफा दिये एक माह से अधिक हो चुका है। कारण बताया जा रहा प्रशासन उनके आवास को अभी तक तैयार नहीं करा पाया है।सभी लोगों को पहले से हीं जानकारी होती है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कब खत्म होगा और उन्हें क्या क्या सुविधा उपलब्ध करानी है लेकिन हमारा प्रशासन सोया हुआ है।उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत को भी अभी तक आवास उपल्ब्ध नहीं कराया गया है।डा कलाम और अन्य पूर्व राष्ट्रपतियों में अंतर है। डा कलाम दुनियां के जाने माने वैज्ञानिक भी हैं।सुरक्षा की लिहाज से डा कलाम को जेड प्लस सुरक्षा कवर मिला हूआ है लेकिन वे एक गेस्ट हाउस में रहने को विवश हैं। उन्हें आंतकवादी संगठनों से भी खतरा है।केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग एक पूर्व राष्ट्रपति को आवास उपलब्ध नहीं करा पायी है इससे अधिक हास्यास्पद और क्या हो सकता है।

Monday, September 10, 2007

नवाज़ शरीफ और मुशर्रफ के बीच टकराव

पाकिस्तान में हो रही गतिविधियों पर झारखंड के लोगों की पैनी नज़र है। यहां के लोग देश विदेश में हो रहे हर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हैं। ऐसा नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय चर्चायें सिर्फ झारखंड राज्य के महत्वपूर्ण संस्थाओं तक है। यहां के चाय - पान की दूकानों पर भी विश्व स्तरीय विषयों पर चर्चा होती है। लोग जानना चाहते है कि दुनियां में क्या हो रहा है। झारखंड में लोगों से आज मेरी बातचीत हुई लोग मुझसे सिर्फ यहीं जानना चाह रहे थे पाकिस्तान में क्या होगा ?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को एक बार फिर पाकिस्तान से बाहर भेज दिया गया। सात साल तक देश से निर्वासित जीवन बिताने के बाद आज सुबह साढे 9 बजे इस्लामाबाद पहुंचते हीं उन्हें हिरासत में ले लिया गया और जैसी उम्मीद थी कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ नवाज शरीफ को वापस पाकिस्तान से बाहर करवा देंगे आखिर वही हुआ। इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि “ लोकतंत्र की बहाली के लिये सभी लोगों को मिल कर काम करना चाहिये ”. बहरहाल नवाज शरीफ के इस्लामाबाद पहुंचने से पहले हीं, जहां एक ओर एयरपोर्ट और आसपास के इलाके को पुलिस छावनी में बदल दिया गया वहीं शहर में नवाज़ के समर्थक आंदोलन करते रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री को भले हीं सउदी अरब भेज दिया गया हो लेकिन यह मामला यहीं रुकने वाला नहीं है। इसके संकेत मिलने लगे हैं। लंदन से इस्लामाबाद पहुंचे नवाज शरीफ के साथ उसके भाई शाहबाज़ शरीफ साथ में नहीं थे।
जानकारों का कहना कि मियां नवाज शरीफ इस बार राष्ट्रपति मुशर्रफ के खिलाफ जमकर लोहा लेने का मन बना लिये हैं। कहा जाता है कि शरीफ साहब ने इस बार अपनी जान को भी दांव पर लगाने को तैयार हैं। भाई शाहबाज शरीफ को लंदन में इस लिये रहने दिया कि यदि इस्लामाबाद में लोकतंत्र बहाली के लिये आंदोलन के दौरान उन्हें कुछ हो गया तो आंदोलन खत्म नहीं होगा और कमान उसका भाई शाहबाज सभांल लेगा। शरीफ साहब की आक्रमकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कुछ दिन पहले यह धमकी दी थी कि यदि राष्ट्रपति मशर्रफ कुछ गलत करने कि कोशिश करते हैं तो पाकिस्तान में 1971 वाली हालात पैदा हो जायेगी। इसका अर्थ यही है कि पाकिस्तान का एक और विभाजन।
1971 में बांगला देश ,जो पहले पाकिस्तान का हिस्सा था, में पाकिस्तानी फौज अपनी ही जनता के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करती थी। फौजी हुकूमत से तंग आकर पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से के लोगो ने एक अलग देश की मांग को लेकर पाकिस्तानी फौज से लड़ गई. इस लड़ाई में भारत की सेना ने भी बंगाल के लोगों की मदद की और पाकिस्तान से अलग बांगला देश का उदय हुआ। शरीफ साहब के आंदोलन का खासा असर पंजाब पर पड़ेगा। लेकिन उसका असर किस हद तक होगा ये सब कुछ आने वाले दिनों में हीं चल पायेगा। भारत ने पाकिस्तान में घट रही घटनाओं के मद्देनज़र सिर्फ इतना हीं कहा कि वहां जो भी घटनायें घट रहीं हैं वो सब कुछ वहां कि अंदरुनी मामला है।बहरहाल पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ का भविष्य अमेरिका के रुख पर हीं निर्भर है। देखना यह है कि पाकिस्तान में जनता की जीत होती है या अमरीकी दबदबा की।

Thursday, September 6, 2007

झरिया पुनर्वास को लेकर राजनीतिक हलचलें तेज

धनबाद जिले का मह्त्वपूर्ण हिस्सा है झरिया। कोयलों के ढेरों पर बसा झरिया शहर को धनबाद जिले के दूसरे हिस्से में बसाने की बात चल रही है ताकि मूल्यवान कोयले का सही रुप से दोहन हो सके और जमीन के नीचे लगी आग से होने वाली जान माल के नुकसान को बचाया जा सके। केन्द्र सरकार ने पुनर्वास के लिये लगभग 6338 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। इसको लेकर राजनेताओं के अलावा आम जनता ने भी अलग अलग विचार व्यक्त किये।
पुनर्वास मामले में भारतीय जनता पार्टीं के विधायक राज किशोर महतो ने बताया कि वे पुनर्वास के खिलाफ नहीं है लेकिन सबसे पहले केन्द्र सरकार को सोचना होगा कि पुनर्वास किसका किया जाये और किसका नहीं। क्योकिं भारत कोकिंग कोल लिमिटेड(बीसीसीएल) की जमीन पर हजारों लोग गैर कानूनी तरीके से बसे हुये हैं। सबसे पहले सही हकदार लोगों की पहचान होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि सिंद्री विधान सभा के अंतर्गत बेलगडिया और इसके आसपास के इलाके में लोगों को बसाने की बात की जा रही है। इसमें वो जमीन भी शामिल है जो लगभग 20 साल पहले मुकुंदा प्रोजेक्ट के नाम पर लिया गया था। लेकिन मुकुंदा प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ। श्री महतो सिंद्री विधान सभा से ही विधायक हैं। उन्होने केन्द्र सरकार से मांग की है कि जिन गांव वालों को प्रोजेक्ट के नाम पर उजाड़ा गया है, उनके साथ न्याय हो। श्री महतो ने कहा कि झारखंड अलग होने पर भी यहां के लोगों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। इसका सबसे बड़ा एक कारण यह है कि केन्द्र सरकार ने कभी ध्यान हीं नहीं दिया और यहां जो भी प्रोजेक्ट या कल कारखाने हैं वे सभी केन्द्र के अंतर्गत हैं।
झारखंड राज्य के कांग्रेस प्रवक्ता प्रभात सिंह ने कहा कि पुनर्वास उन्हीं इलाकों में होना चाहिये जहां बहुत ज़रुरी हो। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में भूमि के अंदर आग लगी हुई है और उस पर काबू पाना अंसभव है तथा भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के जमीन पर जो लोग गैर कानूनी रुप से बसे है, उन्हें हटाया जा सकता है। जहां तक झरिया शहर की बात है तो यहां भूमि धसान जैसी कोई खतरे वाली बात नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि यदि झरिया शहर के किसी भी इलाके में पुनर्वास की बात होती है तो यहां के कांग्रेस सांसद ददई दूबे को विश्वास में ज़रुर लिया जाना चाहिये। ताकि क्षेत्र की जनता के साथ न्याय हो सके।
छोटे व्यवसायी और झरियावासी रोहन मंडल, मनोज गुप्ता, विजय चंद्रवंशी, कैलाश महतो, राजदेव रवानी, पवन अग्रवाल और नारायण पांडे इन सभी का कहना है कि यदि पुनर्वास ज़रुरी है तो इसके लिये सबसे पहले वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिये और ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई जानी चाहिये जो वास्तव में पुनर्वास के हकदार हैं। कई लोग ऐसे हैं जो पुनर्वास के खिलाफ हैं ऐसे लोगों का कहना है कि झरिया शहर को कहीं और नहीं बसाया जा सकता। राकेश अग्रवाल कहते हैं कि लोग यहां वर्षो से रह रहे हैं। सारे रोज़गार और कारोबार यहीं है। जहां तक ज़मीन के नीचे आग का सवाल है तो उस पर काबू पाया जा सकता है। आधुनिक यंत्र उपलब्ध हैं।

Tuesday, September 4, 2007

धोनी ने रिकॉर्ड की बराबरी की


झारखंड के लोगों के साथ साथ देशवासियों को भी महेंद्र सिंह धोनी से बड़ी उम्मीदें हैं कि पांचवे वन डे मैच की तरह छठे वनडे मैच में भी धोनी अपने बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग के माध्यम से भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायेंगे। भारत और इंग्लैंड के बीच पांचवें वनडे मैच में विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने छह बल्ल्बाजों को आउट कर भारतीय टीम के लिये एक नया उदाहरण पेश किया है। झारखंड के युबा खिलाड़ी धोनी बतौर विकेटकीपर छह विकट लेने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गये हैं और विश्व के आठवें। इससे पहले भारत की ओर से नयन मोंगिया ने पांच बल्लेबाजों को विकेट के पीछे लपका था।
धोनी के कमाल की विकेटकीपिंग के बारे में भारतीय टीम के कप्तान ने कहा कि धोनी कमाल के कैच पकड़ रहे थे और हम उम्मीद कर रहे थे कि सभी कैच धोनी के पास ही जायें। फील्डिंग में हो समस्याओं को लेकर धोनी ने कहा गेंद दिख रही थी लेकिन हवाओं की वजह से फील्डिंग में समस्या हो रही थी क्योंकि गेंदें काफी घूम रहीं थी।
बहरहाल, दक्षिण अफ्रीका में होने वाले पहले 20-20 विव्श्रकप के लिए धोनी को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया है।

Sunday, September 2, 2007

सुमन ने जमशेदपुर लोकसभा सीट जीती


झारखंड मुक्ति मोर्चा की सुमन महतो ने जमशेदपुर लोक सभा सीट के लिये हुए उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार दिनेश कुमार सांरगी को 58,816 मतों से हराया दिया। सुमन को कुल 2,93,003 मत मिले जबकि सारंगी को 2,34,187 मत ही मिले। उप चुनाव 29 अगस्त को कराया गया था। सुमन महतो के पति और झामुमो सांसद सुनील महतो की 4 मार्च को गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। झामुमो उम्मीदवार सुमन की जीत में अहम भूमिका निभाया, भाजपा से नाराज चल रहे पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो ने। भाजपा से पहले वे झामुमो में ही थे। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा उनके साथ इस बार न्याय करेगी लेकिन श्री महतो को टिकट नहीं मिला। बहरहाल यह तय है कि शैलेन्द्र महतो भाजपा छोड़ेगें लेकिन किस पार्टी में शामिल होंगे इसका खुलासा नहीं हो पाया है। सूत्र बताते हैं कि श्री महतो एक क्षेत्रीय पार्टी बनाने पर विचार कर रहे हैं।

बोकारो के डीएम एसपी चर्चा में

बोकारो के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन के पैर छूने और उनका स्वागत करने का मामला इन दिनों चर्चा में है। जेल से रिहा होने के बाद जैसे हीं गुरुजी ( शिबू सोरोन को आदर से लोग गुरुजी कहते हैं) बोकारो पहुंचे तो लोग उनके स्वागत के लिये उमड़ पडे । सुरक्षा व्यवस्था में लगे प्रशासनिक अधिकारी भी अपने आपको रोक नहीं पाये। वहां के उपायुक्त प्रवीण टोपो ने गुरुजी का पैर छू कर आशिर्वाद लिया, तो वहां की एस पी प्रिया दुबे ने भी उन्हे प्रणाम किया और उनके गाड़ी के दरवाजे खोले। राज्य के गृह विभाग ने फैक्स कर उन अधिकारियों से पूछा है कि जो उन्होंने किया, वह सर्विस कंडक्ट रुल के खिलाफ है। ऐसा उन्होंने क्यों किया ? ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी हूआ है। कई राज्यों में हूआ है। उपायुक्त प्रवीण टोपो और एस पी प्रिया दूबे ने प्रणाम कर लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया। जहां तक सर्विस कंडक्ट का जो हवाला दिया जा रहा है तो ये सर्विस कंडक्ट सिर्फ अधिकारियों के लिये क्यों? मंत्रियों के लिये क्यों नहीं ? परिचित लोगों में कोई नेता बन जाता है और कोई अधिकारी तो वे सम्मान में एक दूसरे को प्रमाण क्यों नहीं कर सकते ? कई बार देखा गया है कि बड़े से बड़े अधिकारी मंत्रियों और अपने बड़े अधिकारियों के सेवा में लगे रहते हैं। यदि बोकारो के दोनों अधिकारियों ने यदि अपने कामकाज के मामले में कोई कोताही बरती हो तो अलग सवाल है। प्रणाम करने पर यदि कोई कार्रवाई होती है तो नियम सभी लोगों के लिये समान होना चाहिये। चाहे वो अधिकारी हो या मंत्री।