Thursday, September 6, 2007

झरिया पुनर्वास को लेकर राजनीतिक हलचलें तेज

धनबाद जिले का मह्त्वपूर्ण हिस्सा है झरिया। कोयलों के ढेरों पर बसा झरिया शहर को धनबाद जिले के दूसरे हिस्से में बसाने की बात चल रही है ताकि मूल्यवान कोयले का सही रुप से दोहन हो सके और जमीन के नीचे लगी आग से होने वाली जान माल के नुकसान को बचाया जा सके। केन्द्र सरकार ने पुनर्वास के लिये लगभग 6338 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। इसको लेकर राजनेताओं के अलावा आम जनता ने भी अलग अलग विचार व्यक्त किये।
पुनर्वास मामले में भारतीय जनता पार्टीं के विधायक राज किशोर महतो ने बताया कि वे पुनर्वास के खिलाफ नहीं है लेकिन सबसे पहले केन्द्र सरकार को सोचना होगा कि पुनर्वास किसका किया जाये और किसका नहीं। क्योकिं भारत कोकिंग कोल लिमिटेड(बीसीसीएल) की जमीन पर हजारों लोग गैर कानूनी तरीके से बसे हुये हैं। सबसे पहले सही हकदार लोगों की पहचान होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि सिंद्री विधान सभा के अंतर्गत बेलगडिया और इसके आसपास के इलाके में लोगों को बसाने की बात की जा रही है। इसमें वो जमीन भी शामिल है जो लगभग 20 साल पहले मुकुंदा प्रोजेक्ट के नाम पर लिया गया था। लेकिन मुकुंदा प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ। श्री महतो सिंद्री विधान सभा से ही विधायक हैं। उन्होने केन्द्र सरकार से मांग की है कि जिन गांव वालों को प्रोजेक्ट के नाम पर उजाड़ा गया है, उनके साथ न्याय हो। श्री महतो ने कहा कि झारखंड अलग होने पर भी यहां के लोगों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। इसका सबसे बड़ा एक कारण यह है कि केन्द्र सरकार ने कभी ध्यान हीं नहीं दिया और यहां जो भी प्रोजेक्ट या कल कारखाने हैं वे सभी केन्द्र के अंतर्गत हैं।
झारखंड राज्य के कांग्रेस प्रवक्ता प्रभात सिंह ने कहा कि पुनर्वास उन्हीं इलाकों में होना चाहिये जहां बहुत ज़रुरी हो। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में भूमि के अंदर आग लगी हुई है और उस पर काबू पाना अंसभव है तथा भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के जमीन पर जो लोग गैर कानूनी रुप से बसे है, उन्हें हटाया जा सकता है। जहां तक झरिया शहर की बात है तो यहां भूमि धसान जैसी कोई खतरे वाली बात नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि यदि झरिया शहर के किसी भी इलाके में पुनर्वास की बात होती है तो यहां के कांग्रेस सांसद ददई दूबे को विश्वास में ज़रुर लिया जाना चाहिये। ताकि क्षेत्र की जनता के साथ न्याय हो सके।
छोटे व्यवसायी और झरियावासी रोहन मंडल, मनोज गुप्ता, विजय चंद्रवंशी, कैलाश महतो, राजदेव रवानी, पवन अग्रवाल और नारायण पांडे इन सभी का कहना है कि यदि पुनर्वास ज़रुरी है तो इसके लिये सबसे पहले वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिये और ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई जानी चाहिये जो वास्तव में पुनर्वास के हकदार हैं। कई लोग ऐसे हैं जो पुनर्वास के खिलाफ हैं ऐसे लोगों का कहना है कि झरिया शहर को कहीं और नहीं बसाया जा सकता। राकेश अग्रवाल कहते हैं कि लोग यहां वर्षो से रह रहे हैं। सारे रोज़गार और कारोबार यहीं है। जहां तक ज़मीन के नीचे आग का सवाल है तो उस पर काबू पाया जा सकता है। आधुनिक यंत्र उपलब्ध हैं।

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