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फ्रांस का रवैया आक्रमक हो गया है । बताया जाता है फ्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति निकोलाई सरकोजी ईरान को निशाना बनाने के लिये अमादा हैं। इन्हें फ्रांस के अन्य राष्ट्रपतियों के उल्ट अमेरिकी समर्थन माना जाता है । कहा यह भी जा रहा है सरकोजी को राष्ट्रपति बनाने में अमेरिका ने अह्म भूमिका निभाई। इस लिये फ्रांस ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ दिख रहा है। पिछले फ्रांसीसी राष्ट्रपति ज्याक शिराक अमरीकी नीतियों के विरोधी रहे थे.
फ्रांस के विदेश मंत्री के बयान के बाद संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख ने यह बयान देकर माहौल को और गर्म कर दिया है कि बल प्रयोग अंतिम विकल्प है। इसका अर्थ यही है कि यदि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम नहीं रोकता है तो ईरान पर हमला तय है।
अमेरिका ईरान पर सीधे बयान बाजी न कर अब फ्रांस के हवाले से करवा रहा है ताकि दुनिया के उन देशों का भी समर्थन मिले जो अमेरिकी विरोधी और फ्रांसीसी मित्र रहे हैं।
1 comment:
अमेरिकी मंसूबों पर रोक लगाना जरूरी है।
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