शहीद ए आजम भगत सिंह के 100 वें जन्मदिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक सिक्का जारी करेंगें। और इस मौके पर पंजाब के नवांशहर का नाम बदल कर शहीद भगत सिंह नगर करने की घोषणा की जायेगी। शहीद ए आजम का जन्म 27-28 सितंबर 1907 की रात लायलपुर में हुआ था जो पाकिस्तान में है। लायलपुर का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया गया है। लेकिन जन्मशती का कार्यक्रम उनके पैतृक गांव खटकड़ (नवांशहर) में होगा। उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दे गई थी। उनके साथ राजगुरु और सुखदेव को भी फांसी दी गई थी। आजादी की लड़ाई में जितने लोग भी कुर्बान हुये उनकी कुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता लेकिन क्रांतिकारी संघर्ष का नाम आते ही शहीद ए आजम की तस्वीरे सामने आ जाती हैं। क्रांतिकारियों में भगत सिंह का नाम सर्वप्रथम क्यों आता है। क्योंकि भगत सिंह ऐसे क्रांतिकारी थे जो कम उम्र में ही आजादी के लिये संघर्ष के मैदान में कूद पड़े और कुशल तरीके से अंग्रेजों से लोहा लिया। इतना हीं नहीं उनके पास यह भी योजना थी कि आजादी के बाद देश की तरक्की के लिये क्या क्या किया जाना है। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह भी थी कि कहीं देश ऐसे लोगों के हाथों में न चला जाये जो लोग समाज में जहर घोलने का काम करते हों, जो लोग जनकल्याण के नाम पर अपनी जेबें भरतें हो। लेकिन आज देश में यही हो रहा है। बहरहाल शहीदे आजम ने कभी भी जान की परवाह नहीं की। वे तो आजांदी के दीवाने थे। उनका एक हीं जुनून था, किसी भी कीमत पर देश की आजादी। इसी मकसद से सोये हुये अंग्रेजो को जगाने के लिये संसद भवन के अंदर बम फेककर धमाका किया। वह बम धमाका किसी को मारने के लिये नहीं बल्कि अंग्रेजों को जगाने के लिये किया था। इसलिये ऐसी जगह फेंका गया था जहां से किसी को नुकसान न हो। बम शक्तिशाली भी नहीं था। उन्हें जेल भेज दिया गया। खैर उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाये। बहरहाल फांसी से पहले जेल में उनसे ईश्वर का नाम लेने के लिये कुछ लोगों ने कहा। इस बारे में उन्होंने जो कहा उसका आशय यही था कि ईश्वर कहां हैं ? यदि वे होते तो क्या अंग्रेज हमारी इज्जत से खेलते ? क्या किसी की बहन की इज्जत लुटती? क्या हमें मारा पीटा जाता? और यदि ईश्वर हैं उसके बाद भी ये सब हो रहा है और हमारी इज्जत बचाने कोई नहीं आ रहा है तो ऐसे इश्वर को मानने से क्या फायदा ?
जय हिन्द।
जय हिन्द।
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