Sunday, August 24, 2008

झामुमो-निर्दलीय की लड़ाई में भाजपा की गिद्ध दृष्टि

झारखंड मुक्ति मोर्चा के दबाव और यूपीए के वरिष्ठ नेता की सलाह पर आखिरकार झारखंड के मुख्यमंत्री मधुकोड ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन राज्यपाल सिब्ते रजी ने मधुकोडा से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में तब तक काम करने को कहा जब तक दूसरी व्यवस्था न हो जाये।

इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री मधुकोडा ने ऐलान किया है कि वो न तो दूसरे मंत्रिमंडल में मंत्री बनेंगे और न हीं झामुमो नेता शिबू सोरेन को समर्थन करेंगे। आगे की रणनीति पर काम करने के लिये निर्दलीय मंत्रियों की बैठक लगातार जारी है। बैठक अलग अलग जगहों पर की जा रही है। बैठक में मधुकोडा के अलावा निर्दलीय विधायकों में जो मंत्री भी थे – प्रो स्टीफन मरांडी, चंद्र प्रकाश चौधरी, हरि नारायण राय, जोबा मांझी और भानू प्रताप शाही शामिल हैं।

यदि ये विधायक एकजुटता दिखाते हुए झामुमो नेता श्री सोरेन को समर्थन नहीं देते हैं तो यूपीए की सरकार बनना मुश्किल है। श्री कोडा कहते रहे हैं कि पिछले 23 महीने से सरकार बढिया चर रही थी तो आखिर मुख्यमंत्री बदलने का अर्थ क्या है ?

उधर श्री सोरेन ने कहा कि वे अपने निर्दलीय विधायको को मना लेंगे। क्योंकि वे सभी उनके अपने हैं। बहरहाल, झारखंड की राजनीतिक संस्पेंस बना हुआ है। यदि निर्दलीय विधायकों ने समर्थन नहीं दिया तो झारखंड की राजनीति में नया मोड आ सकता है। इस बीच खबर है कि भाजपा ने भी यूपीए की राजनीति में रुची दिखाना शुरू कर दिया है। भाजपा को लग रहा है कि झामुमो और निर्दलीय विधायको की लड़ाई में जो भी खेमा नाराज होगा। हो सकता है कि नई परिस्थिति में वे झारखंड में सरकार बना सकते हैं।
खबर है कि रेल मंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव रांची पहुंचने वाले हैं।

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