Monday, September 10, 2007

नवाज़ शरीफ और मुशर्रफ के बीच टकराव

पाकिस्तान में हो रही गतिविधियों पर झारखंड के लोगों की पैनी नज़र है। यहां के लोग देश विदेश में हो रहे हर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हैं। ऐसा नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय चर्चायें सिर्फ झारखंड राज्य के महत्वपूर्ण संस्थाओं तक है। यहां के चाय - पान की दूकानों पर भी विश्व स्तरीय विषयों पर चर्चा होती है। लोग जानना चाहते है कि दुनियां में क्या हो रहा है। झारखंड में लोगों से आज मेरी बातचीत हुई लोग मुझसे सिर्फ यहीं जानना चाह रहे थे पाकिस्तान में क्या होगा ?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को एक बार फिर पाकिस्तान से बाहर भेज दिया गया। सात साल तक देश से निर्वासित जीवन बिताने के बाद आज सुबह साढे 9 बजे इस्लामाबाद पहुंचते हीं उन्हें हिरासत में ले लिया गया और जैसी उम्मीद थी कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ नवाज शरीफ को वापस पाकिस्तान से बाहर करवा देंगे आखिर वही हुआ। इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि “ लोकतंत्र की बहाली के लिये सभी लोगों को मिल कर काम करना चाहिये ”. बहरहाल नवाज शरीफ के इस्लामाबाद पहुंचने से पहले हीं, जहां एक ओर एयरपोर्ट और आसपास के इलाके को पुलिस छावनी में बदल दिया गया वहीं शहर में नवाज़ के समर्थक आंदोलन करते रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री को भले हीं सउदी अरब भेज दिया गया हो लेकिन यह मामला यहीं रुकने वाला नहीं है। इसके संकेत मिलने लगे हैं। लंदन से इस्लामाबाद पहुंचे नवाज शरीफ के साथ उसके भाई शाहबाज़ शरीफ साथ में नहीं थे।
जानकारों का कहना कि मियां नवाज शरीफ इस बार राष्ट्रपति मुशर्रफ के खिलाफ जमकर लोहा लेने का मन बना लिये हैं। कहा जाता है कि शरीफ साहब ने इस बार अपनी जान को भी दांव पर लगाने को तैयार हैं। भाई शाहबाज शरीफ को लंदन में इस लिये रहने दिया कि यदि इस्लामाबाद में लोकतंत्र बहाली के लिये आंदोलन के दौरान उन्हें कुछ हो गया तो आंदोलन खत्म नहीं होगा और कमान उसका भाई शाहबाज सभांल लेगा। शरीफ साहब की आक्रमकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कुछ दिन पहले यह धमकी दी थी कि यदि राष्ट्रपति मशर्रफ कुछ गलत करने कि कोशिश करते हैं तो पाकिस्तान में 1971 वाली हालात पैदा हो जायेगी। इसका अर्थ यही है कि पाकिस्तान का एक और विभाजन।
1971 में बांगला देश ,जो पहले पाकिस्तान का हिस्सा था, में पाकिस्तानी फौज अपनी ही जनता के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करती थी। फौजी हुकूमत से तंग आकर पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से के लोगो ने एक अलग देश की मांग को लेकर पाकिस्तानी फौज से लड़ गई. इस लड़ाई में भारत की सेना ने भी बंगाल के लोगों की मदद की और पाकिस्तान से अलग बांगला देश का उदय हुआ। शरीफ साहब के आंदोलन का खासा असर पंजाब पर पड़ेगा। लेकिन उसका असर किस हद तक होगा ये सब कुछ आने वाले दिनों में हीं चल पायेगा। भारत ने पाकिस्तान में घट रही घटनाओं के मद्देनज़र सिर्फ इतना हीं कहा कि वहां जो भी घटनायें घट रहीं हैं वो सब कुछ वहां कि अंदरुनी मामला है।बहरहाल पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ का भविष्य अमेरिका के रुख पर हीं निर्भर है। देखना यह है कि पाकिस्तान में जनता की जीत होती है या अमरीकी दबदबा की।

1 comment:

Shastri JC Philip said...

"पाकिस्तान में हो रही गतिविधियों पर झारखंड के लोगों की पैनी नज़र है। "

इस जागरूकता के बारें मे सुन कर बहुत खुशी हुई -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!