Monday, July 26, 2010

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में गुजरात के मंत्री शाह पहुंचे सलाखों के पीछे। सोहराबुद्दीन शाह का हीं गुर्गा था।

गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह को सीबीआई की अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उनपर हत्या तक का आरोप है। आईपीसी की धारा 201, 302, 365, 368 और 384 के तहत आरोप लगाए गए हैं जो हत्या, अपहरण, सबूत नष्ट करना और प्रताड़ना की धाराएं हैं। 2005 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने 23 जुलाई को शाह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

इस मामले में सीबीआई ने गुजरात के गृह राज्य मंत्री अमित शाह को सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में हाजिर होने के लिये तीन समन भेजे लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। इसके बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई।

शाह का इस्तीफा मोदी ने स्वीकार किया

आज सुबह शाह के अपना पक्ष रखने के लिये सीबीआई दफ्तर पहुंचे जहां उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया और सीबीआई के विशेष जज ए. वी. दवे ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में साबरमती जेल भेज दिया। इससे पहले मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह का गृहराज्य मंत्री पद से दिये इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था।

अमित शाह की पेशी के दौरान सीबीआई ने लोगों के उम्मीद के विपरित शाह की रिमांड की मांग नहीं की। शाह ने मीडिया से कहा कि वे निर्दोष हैं। उनपर लगाये गये सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। शाह ने कहा कि सोहराबुद्दी के घर से 40 से ज्यादा ए के 47 बरामद हुए हैं। उसके साथ गुजरात पुलिस ने जो किया वह सही किया।


गुजरात पुलिस ने 2005 में सोहराबुद्दीन को एक एनकाउंटर में मार गिराया और आरोप लगाया कि वह आंतकवादी संगठन लश्कर का आदमी है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की योजना बना रहा था। लेकिन यह फर्जी एनकाउंटर था इसकी आशंका तभी होने लगी जब पुलिस ने सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी और एनकाउंटर का प्रत्यक्षदर्शी तुलसी प्रजापति को पुलिस ने अगवा कर लिया। पुलिस ने दावा किया कि प्रजापति एक मुठभेड़ में मारा गया। जबकि सोहराबुद्दीन की पत्नी की लाश आज तक नहीं मिली। बताया जाता है कि गुजरात के पुलिस अधिकारी ने उसे मारकर जला कर उसकी राख को बिखेर दिया।

इस फर्जी एनकाउंटर के मामले में गुजरात और राजस्थान के 14 पुलिस अधिकारी सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। एनकाउंटर के फर्जी होने का मामला जैसे हीं सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने ये पूरा मामला सीबीआई को सौप दिया।


शाह के खिलाफ हत्या, जबरन वसूली और आपराधिक षडयंत्र के आरोप हैं, सोहराबुद्दीन पहले शाह के लिये हीं काम करता था।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में शामिल गृहराज्यमंत्री अमित शाह एक्सटॉर्शन रैकेट चलाते थे। वह एक खूंखार गिरोह के सरगना था। सोहराबुद्दीन शाह का हीं खास गुर्गा था। सोहराबुद्दीन एन्काउटर मामले में सीबीआई ने अपने चार्जशीज में शाह के खिलाफ हत्या, आपराधिक षडयंत्र, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप लगाये हैं।
शाह के कोर ग्रूप में चार लोग बताये जातै हैं खुद अमित शाह, तत्कालीन डीआईजी डी जी बंजारा, डीसीपी अभय चुडस्मा और सोहराबुद्दीन। अमित शाह अपराध का योजना बनाता, उसे अंजाम तक पहुंचाता था सोहराबुद्दीन और पुलिस प्रोटेक्शन या दूसरे गिरोह का खात्मा का काम डीआईजी बंजारा और डीसीपी चुडस्मा के जिम्मे था। सीबीआई ने इन अपने चार्जशीट में इन चारों का उल्लेख किया है।

सोहराबुद्दीन का शाह से अलग होना -

समय बीतने के साथ सोहराबुद्दीन ने शाह को खबर किये बिना हीं अपहरण और वसूली जैसे मामले को अंजाम देने लगा। उसने राजस्थान के कई मार्बल व्यापारियो से पैसे वसुले। उनमें से कई व्यापारी बीजपी से जुड़े थे और उन दिनों राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी। यहीं से शाह और सोहराबुद्दीन के रिश्ते में तनाव आ गया। सोहराबुद्दीन को लेकर शाह पर दबाव इतना अधिक था कि उसने आखिरकार सोहराबुद्दीन को सदा के लिये रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया।


सोहराबुद्दीन और प्रजापति -

सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति अपराध जगत से जुडे थे। वे लोग वसूली का काम रहे थे। दोनो ने मिलकर एक गैंग बना लिया था। सोहराबुद्दीन साल 2002 में गैंग बनाने के बाद अपने प्रतिद्वंद्वी हामिद लाला की हत्या कर दी। सीबाआई के मुताबिक, सन् 2004 में सोहराबुद्दीन ने राजस्थान के आरके मार्बल्स के मालिक पटनी ब्रदर्स को एक्सटॉर्शन के लिए फोन किया। धमकी दी। पटनी ब्रदर्स के संपंर्क बीजेपी में काफी उपर तक थी। बताया जाता है कि सोहराबुद्दीन को दबाने के लिये शाह पर भारी दबाब पड़ने लगा। बढ़ते दबाव के बीच शाह ने आखिरकार सोहराबुद्दीन को ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया। शाह ने इसकी जिम्मेवारी दी पुलिस अधिकारी डी जी बंजारा को।

सोहराबुद्दीन के खिलाफ गुजरात में कोई मामला दर्ज नहीं था, फर्जी केस दर्ज किये गये

सोहराबुद्दीन के खिलाफ में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं था। इसलिये उसे गिरफ्तार करना गुजरात पुलिस के लिये आसान नहीं था। गुजरात पुलिस की जगह यदि शाह पुलिस कहें तो अधिक उपयुक्त होगा। सोहराबुद्दीन को ठिकाने लगाने के लिये शाह हर कोशिश करनी शुरू कर दी। इसी बीच शाह ने पुलिस अधिकारी बंजारा को सोहराबुद्दीन के खात्मे की कामन सौंपी। सबसे पहले बंजारा ने पुलिस क्राइम ब्रांच के चीफ अभय चुडस्मा से संपंर्क कर उसे पूरी जानकारी दी और सोहराबुद्दीन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसके बीच सोहराबुद्दीन को निपटाने की तैयारी शुरू हो गई।

सोहराबुद्दीन को पकडने के लिये चुडस्मा ने उसके सहयोगी प्रजापति से संपंर्क किया। और सोहराबुद्दीन के बारे में कब कहां मिलेगा जानकारी मांगी। साथ हीं प्रजापति को पुलिस अधिकारी चुडस्मा ने आश्वासन दिया कि वह उसकी ह्त्या नहीं करेगा।


सोहराबुद्दीन, कैसर बी और प्रजापति की हत्या

बंजारा ने प्रजापति को भरोसा दिलाया कि पॉलिटिकल दबाव के तहत उसे सिर्फ गिरफ्तार करना है एन्काउंटर नहीं। बंजारा के विश्वास दिलाने के प्रजापति ने पुलिस को सोहराबुद्दीन का पता-ठिकाना बता दिया। गुजरात पुलिस के दोनो अधिकारी बंजारा और चुडस्मा ने एक लोकल व्यापारी से क्वॉलिस लिया। दोनो अधिकारी को पता चल गया था कि किस बस में सोहराबुद्दीन अपनी पत्नी और तुलसी प्रजापति के साथ सफर कर रहा था। पुलिस टीम ने डिंगोला के पास बस को रूकवाया और सोहराबुद्दीन को बस नीचे उतरने को कहा। सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी भी उसके साथ जाने के लिये जिद्द करने लगी।


इस बीच गुजरात पुलिस ने प्रजापति को एक पुराने केस के मामले में राजस्थान भेज दिया और इधर सोहराबुद्दीन की हत्या कर दी गई और उसे एन्काउंटर का नाम दिया गया। बाद में सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी की भी हत्या कर दी गई। कौसर की लाश को इलोलो में जला दी गई। इललोलो डीआईजी बंजारा का होमटाउन है। यहीं पर उसकी अस्थियां नर्मदा नदी में बहा दी गई ताकि किसी को कुछ भी मालूम न पड़े। सीबीआई के चार्जशीट में ये सारी बातें उल्लेखित है।

चार्जशीट के मुताबिक सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने उसके भाई की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद चुडस्मा ने केस वापस लेने के लिए उसे 50 लाख रुपये का लालच दिया। जब रुबाबुद्दीन ने इनकार कर दिया तो चुडस्मा ने उसे जान से मारने की धमकी दी।


अमीन बने सरकारी गवाह, शाह की मुश्किलें बढ़ीं

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अमित शाह की मुश्किलें अभी और बढ़ने वाली हैं। सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में ही जेल में बंद क्राइम ब्रांच के पूर्व एसीपी एन.के. अमीन ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई है। इस बात की जानकारी अमीन के वकील जगदीश रमानी ने दी।

गौरतलब है कि एसीपी अमीन के साथ-साथ आईपीएस अधिकारी डी. जी. बंजारा और आर. के. पांड्या को भी गिरफ्तार किया गया था। अमीन को सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी के अपहरण के मामले में एक गवाह के बयान के आधार पर 2007 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में सीबीआई ने इस साल मई में डीसीपी (क्राइम)अभय चुडस्मा को गरिफ्तार किया था और गुजरात कैडर के 6 आईपीएस अधिकारियों को समन भेजकर पूछताछ की थी।

सीबीआई कांग्रेस जांच ब्यूरो नहीं – प्रधानमंत्री
अमित शाह के गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी लगातार यह कहते आ रही थी कि यह सबकुछ राजनीतिक षडयंत्र का हिस्सा है। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए साफ कर दिया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में हो रहा है। विपक्ष इसे अच्छी तरह जानता है। इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) 'कांगेस जांच ब्यूरो' नहीं है।

2 comments:

Unknown said...

tum jaise log hi to hai jo desh ke asali gaddar hai ,soharabuddin se pahle tujh jaise gaddaro ko goli maar di jaye to shayad ye desh bach sakta hai...

Unknown said...

jai hind,jai bharat....vande matram