आरएसएस का प्रतिनिधित्व करने वाले बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ब्राहम्णवादी मानसिकता से ग्रस्त हैं। वे सोचते हैं कि उन्होंने जो कहा वह सही कहा। अभी हालहीं में उन्होंने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को औरंगजेब का औलाद कह दिया। इसका अर्थ सभी जानते हैं।
आईये नजर डालते हैं भाजपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष गडकरी के तीन बयानों पर – 1. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव कांग्रेस के तलवे चाटते हैं। 2. संसद हमले का दोषी अफजल गुरू क्या कांग्रेस का दामाद है? क्या कांग्रेस वालों ने अपनी बेटी दी है? 3. कांग्रेस के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह मुगल बादशाह औरंगजेब की औलाद है।
ये तीनो बयान असंसदीय है। एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता को इस प्रकार के बयान नहीं देने चाहिये। लेकिन वे लगातार इस तरह के बयान दे रहें हैं जो असंसदीय है। आखिर क्यो?
इसके दो कारण हो सकते हैं – 1. या तो वे अभी राष्ट्रीय राजनीति के लायक नहीं थे उन्हें इतना बड़े पद पर बैठा दिया गया और वे अपनी पद की गरिमा को समझ नहीं पाये। 2. या जान बूझ कर एक रणनीति के तहत वे इस तरह का बयान दे रहे हैं।
उनके बयान को लेकर मीडिया जगत में विचार मंथन शुरू हो गया है। आखिर राजद अध्यक्ष लालू यादव के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने के बाद माफी मांगना। फिर कुछ समय बाद कांग्रेस के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करना और थोडे समय बाद सीधे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को औरंगजेब की औलाद कहना और माफी मांगने से इंकार करने को, राजनीतिक विश्लेषक अपने नजरीये से देखने लगे हैं।
राजनीतिक अर्थ -
नितिन गडकरी ने लालू से माफी क्यों मांगी?
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव के खिलाफ जमकर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया था। और देशभर में इसकी प्रतिक्रिया हुई थी। बाद में माफी मांग ली। जानकार बताते हैं कि आरएसएस के कुछ नेताओं का मानना है कि लालू-मुलायम राजनीतिक तौर पर एक बड़ी ताकत तो हैं हीं। और पिछड़ो के नेता माने जाते हैं। उनपर इस प्रकार के हमले का मतलब है पिछड़े वर्ग के जो लोग बीजेपी से जुड़े हैं, वे बीजेपी से कटने लगेगें। क्योंकि वे पहले से हीं बीजेपी से नाराज है क्योंकि बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के बीजेपी नेता कल्याण सिंह और उमा भारती को किनारा कर दिया है। दूसरा वे दोनो हीं आक्रमक हैं ऐसे में बिहार और उत्तर प्रदेश में नितिन गडकरी के लिये सभा या रैली करना मुश्किल भरा होगा। इसलिये आरएसएस की सलाह पर नितिन गडकरी ने बिना देर किये माफी मांग ली।
कांग्रेस और दिग्विजय सिंह पर हमला क्यों?
देश भर में बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से है। इसलिये कांग्रेस पर उनका राजनीतिक हमला करना वाजिब है। लेकिन इस तरह के असंसदीय भाषा के साथ नितिन गडकरी इस्तेमाल करेंगे यह कोई सोचा नहीं था। उनका असंसदीय भाषा कांग्रेस पर था उन्होंने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया था। लेकिन उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर सारी हदें पार कर दी।
दिग्विजय सिंह को औरंगजेब का औलाद क्यों कहा?
नितिन गडकरी आरएसएस से जुड़े हैं। आरएसएस ब्राहम्ण जाति का प्रतिनिधित्व करता है। नितिन गडकरी भी ब्राहम्ण हैं। राजनीतिक तौर पर आरएसएस के लिये राजपूत जाति का कोई खास महत्व नहीं है। उनके लिये राजपूत से अधिक दलित और आदिवासी अधिक प्रिये है। आरएसएस राजपूत जाति का इस्तेमाल सिर्फ लठैतों के तौर पर करता रहा है। पहले एक जमाना था जब चुनाव में बूथ लुटने का काम हो या दंगे करवाने का। ऐसे में वे राजपूत जाति से जुड़े नेताओं का गुणगान करते और दंगल में उतार देते थे। लेकिन अब इन दोनों हीं काम के लिये राजपूत जाति उपयुक्त नहीं रहा। क्योंकि चुनाव तगड़े सुरक्षा निगरानी में होने लगे हैं। मंडल-कमंडल के बाद राज्यों की सरकारों में पिछड़े नेताओं का दबदबा है। बीजेपी अध्यक्ष गडकरी महाराष्ट्र के हैं और महाराष्ट्र में राजपूत जाति का कोई वजूद नहीं है।
नितिन गडकरी यह भी जानते हैं राजनीति में अब राजपूत जाति का उतना महत्व नहीं है जितना अन्य वर्ग के लोगों का। यदि राजपूत जाति नेतृत्व स्तर पर बढता है तो वह ब्राहम्ण वर्ग का हिस्सा काटेगा। राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष गडकरी ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को औरंगजेब की औलाद कह कर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह समेत तमाम राजपूत जाति को नीचा दिखाया है। राजनाथ सिंह को सिर्फ एक मोहरे के रूप बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था। और जसवंत सिंह को सिर्फ इस्तेमाल करने के लिये बीजेपी में लाया गया है।
बहरहाल, बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्हें संभल कर कोई बयान देना चाहिये। विराधी दल के अध्यक्ष का एक विशेष महत्व होता है। इस प्रकार की भाषा लोकतंत्र के लिये अच्छा नहीं है।
आईये नजर डालते हैं भाजपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष गडकरी के तीन बयानों पर – 1. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव कांग्रेस के तलवे चाटते हैं। 2. संसद हमले का दोषी अफजल गुरू क्या कांग्रेस का दामाद है? क्या कांग्रेस वालों ने अपनी बेटी दी है? 3. कांग्रेस के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह मुगल बादशाह औरंगजेब की औलाद है।
ये तीनो बयान असंसदीय है। एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता को इस प्रकार के बयान नहीं देने चाहिये। लेकिन वे लगातार इस तरह के बयान दे रहें हैं जो असंसदीय है। आखिर क्यो?
इसके दो कारण हो सकते हैं – 1. या तो वे अभी राष्ट्रीय राजनीति के लायक नहीं थे उन्हें इतना बड़े पद पर बैठा दिया गया और वे अपनी पद की गरिमा को समझ नहीं पाये। 2. या जान बूझ कर एक रणनीति के तहत वे इस तरह का बयान दे रहे हैं।
उनके बयान को लेकर मीडिया जगत में विचार मंथन शुरू हो गया है। आखिर राजद अध्यक्ष लालू यादव के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने के बाद माफी मांगना। फिर कुछ समय बाद कांग्रेस के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करना और थोडे समय बाद सीधे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को औरंगजेब की औलाद कहना और माफी मांगने से इंकार करने को, राजनीतिक विश्लेषक अपने नजरीये से देखने लगे हैं।
राजनीतिक अर्थ -
नितिन गडकरी ने लालू से माफी क्यों मांगी?
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव के खिलाफ जमकर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया था। और देशभर में इसकी प्रतिक्रिया हुई थी। बाद में माफी मांग ली। जानकार बताते हैं कि आरएसएस के कुछ नेताओं का मानना है कि लालू-मुलायम राजनीतिक तौर पर एक बड़ी ताकत तो हैं हीं। और पिछड़ो के नेता माने जाते हैं। उनपर इस प्रकार के हमले का मतलब है पिछड़े वर्ग के जो लोग बीजेपी से जुड़े हैं, वे बीजेपी से कटने लगेगें। क्योंकि वे पहले से हीं बीजेपी से नाराज है क्योंकि बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के बीजेपी नेता कल्याण सिंह और उमा भारती को किनारा कर दिया है। दूसरा वे दोनो हीं आक्रमक हैं ऐसे में बिहार और उत्तर प्रदेश में नितिन गडकरी के लिये सभा या रैली करना मुश्किल भरा होगा। इसलिये आरएसएस की सलाह पर नितिन गडकरी ने बिना देर किये माफी मांग ली।
कांग्रेस और दिग्विजय सिंह पर हमला क्यों?
देश भर में बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से है। इसलिये कांग्रेस पर उनका राजनीतिक हमला करना वाजिब है। लेकिन इस तरह के असंसदीय भाषा के साथ नितिन गडकरी इस्तेमाल करेंगे यह कोई सोचा नहीं था। उनका असंसदीय भाषा कांग्रेस पर था उन्होंने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया था। लेकिन उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर सारी हदें पार कर दी।
दिग्विजय सिंह को औरंगजेब का औलाद क्यों कहा?
नितिन गडकरी आरएसएस से जुड़े हैं। आरएसएस ब्राहम्ण जाति का प्रतिनिधित्व करता है। नितिन गडकरी भी ब्राहम्ण हैं। राजनीतिक तौर पर आरएसएस के लिये राजपूत जाति का कोई खास महत्व नहीं है। उनके लिये राजपूत से अधिक दलित और आदिवासी अधिक प्रिये है। आरएसएस राजपूत जाति का इस्तेमाल सिर्फ लठैतों के तौर पर करता रहा है। पहले एक जमाना था जब चुनाव में बूथ लुटने का काम हो या दंगे करवाने का। ऐसे में वे राजपूत जाति से जुड़े नेताओं का गुणगान करते और दंगल में उतार देते थे। लेकिन अब इन दोनों हीं काम के लिये राजपूत जाति उपयुक्त नहीं रहा। क्योंकि चुनाव तगड़े सुरक्षा निगरानी में होने लगे हैं। मंडल-कमंडल के बाद राज्यों की सरकारों में पिछड़े नेताओं का दबदबा है। बीजेपी अध्यक्ष गडकरी महाराष्ट्र के हैं और महाराष्ट्र में राजपूत जाति का कोई वजूद नहीं है।
नितिन गडकरी यह भी जानते हैं राजनीति में अब राजपूत जाति का उतना महत्व नहीं है जितना अन्य वर्ग के लोगों का। यदि राजपूत जाति नेतृत्व स्तर पर बढता है तो वह ब्राहम्ण वर्ग का हिस्सा काटेगा। राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष गडकरी ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को औरंगजेब की औलाद कह कर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह समेत तमाम राजपूत जाति को नीचा दिखाया है। राजनाथ सिंह को सिर्फ एक मोहरे के रूप बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था। और जसवंत सिंह को सिर्फ इस्तेमाल करने के लिये बीजेपी में लाया गया है।
बहरहाल, बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्हें संभल कर कोई बयान देना चाहिये। विराधी दल के अध्यक्ष का एक विशेष महत्व होता है। इस प्रकार की भाषा लोकतंत्र के लिये अच्छा नहीं है।
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