झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन यानी गुरूजी को कांग्रेस और जेवीएम मुख्यमंत्री बनाने के लिये क्यों नहीं तैयार हो रही है? यह एक अह्म सवाल है। कांग्रेस-जेवीएम को 25 सीटें मिली है जबकि अकेले अपने दम पर झामुमो को 18 सीटें। यदि झामुमो को समर्थन चाहिये तो कांग्रेस पार्टी को भी कम से कम 16 विधायकों का समर्थन चाहिये। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर झामुमो नेता शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने से कांग्रेस क्यों हिचक रही है।
राजनीति गलियारों में कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के जो लोग गुरूजी को दागी कहकर मुख्यमंत्री बनने से रोकना चाह रहे हैं शायद उन कांग्रेसी नेताओं को डर है कि यदि शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बन गये तो कांग्रेस के कई नेता सलाखों के पीछे होंगे। दूसरे को बेवजह बदनाम करने वाले नेता खुद कानून के चंगुल में फंस दागी बन जायेंगे।
मधुकोडा प्रकरण में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम चर्चा में है। कहा जा रहा है कि इसके तार यदि खुलते गये तो इसके चपेट में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता आ सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी और महासचिव राहुल गांधी ने जो त्याग तपस्या कर कांग्रेस को नये सिरे एक साख वाली पार्टी बनाया है उसमें दाग लग सकता है।
झामुमो नेता शिबू सोरेन एक क्रांतिकारी नेता हैं। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। दुख-कष्ट तो वे बचपन से हीं झेल रहे हैं। उन्हें किसी का डर नहीं है क्योंकि झारखंड की जनता उनके पक्ष में गोलबंद होने लगी है। कहा जा रहा है कि झाममो नये सिर से झारखंड में अपने आपको ताकतवर बनाने में जुट गई है। किसी राजनीतिक कारण या अन्य कारणों से झारखंड के जो नेता झामुमो से अलग हो चुके थे उन्हें भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
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1 comment:
App kah rahe hain, to sahi hi hoga.
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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
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