Tuesday, October 27, 2009

यूपीए के बिखरने का लाभ होगा एनडीए को झारखंड में ।

झारखंड में विधान सभा चुनाव के लिये सभी राजनीतिक दलों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है। एक ओर यूपीए जहां झारखंड में बिखरा हुआ है वही दूसरी ओर एनडीए यूपीए के आपसी एकता बिखरने से खुश है। एनडीए को लगता है कि यदि यूपीए लोकसभा चुनाव की तरह विधान सभा चुनाव में भी बिखरा रहता है तो एनडीए लोकसभा चुनाव की तरह विधान सभा चुनाव में भी यूपीए का सफाया कर देगा।

झारखंड में भाजपा के दिग्गज नेता राजकिशोर महतो ने कहा कि झारखंड में एनडीए की सरकार बनेगी यह तय है। उन्होंने कहा कि यूपीए से जुडे राजनीतिक दल झारखंड में विकास का काम नहीं कर सकते। श्री महतो ने कहा कि झारखंड की जनता इस बार पूर्ण बहुमत देगी एनडीए की सरकार को ताकि झारखंड की अर्थव्यस्था पटरी पर आ सके। श्री महतो ने कहा कि यूपीए के बिखरने और न बिखरने का सवाल नहीं है। झारखंड में भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है इस लिये एनडीए की जीत तय है।

झारखंड में जिन राजनीतिक दलों का दखल है उनमें महत्वपूर्ण पार्टियां हैं – कांग्रेस, भाजपा, झामुमो, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाईटेड, आजसू और वामपंथी पार्टियां हैं। इनमें से भाजपा और जदयू के बीच तालमेल लगभग तय माना जा रहा है लेकिन आजसू का रूख अभी तक साफ नहीं है। एक समय यूपीए से जुड़े रहे कांग्रेस, झामुमो और राजद मिलकर चुनाव लड़ते हैं या नहीं इसको लेकर अभी कुछ भी साफ नहीं है। लेकिन इतना तय है कि राजद और रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी मिल कर चुनाव लडेगी।

बहरहाल, राजनीतिक अस्थिरता के चलते लगभग झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू रहा। इस साल 19 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा झारखंड में राष्ट्रपति शासन का अंत कर राज्य विधानसभा को भंग करने के फैसले के एक दिन बाद मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने 23 अक्टूबर को चुनाव तिथि का ऐलान किया। मुख्य चुनाव आयु्क्त ने कहा कि राज्य में 27 नवंबर और 2, 8, 12 और 18 दिसंबर को 5 चरणों में वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती का काम 23 दिसंबर को होगा।

नवीन चावला ने कहा कि राज्य में कुल मिलाकर 1 करोड़ 80 लाख 27 हजार 476 वोटर मतदान के योग्य हैं। राज्य की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए और नौ सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं।

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