झारखंड दुनियां के सबसे धनी इलाको में से एक है। लेकिन हम झारखंडवासियों को इसका एक अंश ही लाभ मिल पाता है। इसके लिये सिर्फ केन्द्रीय सरकार या पूर्व की सरकार को गाली देने से कुछ नहीं होने वाला। 15 नवंबर 2008 को झारखंड राज्य को बने 8 साल पूरे हो जायेंगे और हमें विश्लेषण करने पर पता चलेगा कि हमने कुछ भी नहीं प्राप्त किया।
राज्य के विकास के लिये हमें नये सिरे से विचार करना चाहिये जिसके लिये कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु हैं –
1. राज्य के विकास के मुद्दे पर एक नीति बनाई जानी चाहिये जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग शामिल हों। और शासन में कोई भी पार्टी क्यों न हो विकास के मापदंड को बढाते रहना चाहिये।
2. झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां निवेशक पैसा लगाने को तैयार हैं क्योंकि यहां कच्चा माल प्रचुर मात्रा में है और ऊर्जा की कोई कमी नहीं है। लेकिन सावधानी भी बरतने की जरूरत है।
निवेशक को तभी तरजीह दें जब वे कल कारखाने लगाने के अलावा राज्य के विकास के लिये और क्य़ा क्या करने को तैयार हैं इसका जवाब दे दें।
3. जब हमें जरूरत थी तो झारखंड में कल कारखाने लगाने से बचते थे देश के उद्योगपति। कच्चा माल हमारे यहां से ले जाकर दूसरे राज्यों में कल कारखाने लगाते थे और मनमाना दाम वसूलते थे। क्योंकि संबंधित क्षेत्र के व्यापार में उनका एक तरफा राज था। आज वैसी स्थिति नहीं है। प्रतियोगिता लगातार बढ रही है। निवेशकों की संख्या बढ रही है। आज के दौर में निवेशक जहां कच्चा माल और ऊर्जा की सहूलियत होगी वहीं फैक्टरी लगायेगा तभी उसे मुनाफा होगा। ऐसे में झारखंड से बेहतर कोई दूसरा राज्य नहीं है। व्यापार के क्षेत्र में व्यापारी को टिके रहना है तो वह अब मनमानी नहीं कर पायेगा। वे नहीं चाहकर भी झाखंड में फैक्टरी लगाने के लिये मजबूर होगा। इस लिये सावधान रहे और राज्य की विकास को प्राथमिकता दे।
4. कोयला के बाद मिथेन गैस ही विकल्प है ऊर्जा का, जिससे कल कारखाने चल सकेंगे । इसका भी भंडार मिला है झारखंड में। देश में कुल 11 क्षेत्र हैं जहां मिथेन गैस पाया जाता है। इनमें से 6 झारखंड में है वो भी विश्व स्तरीय। मिथेन ऊर्जा के मामले में भारत बहुत पीछे है लेकिन झारखंड में हाल हीं में मिले मिथेन भंडार की प्रचुरता को देखते हुए औ.एन.जी.सी ने कहा कि झारखंड में उत्पादन होने के बाद मिथेन गैस के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मिथेन उत्पादक देश बन जायेगा।
5. केन्द्र सरकार भी कोई कल कारखाने लगाती है तो यह तय कर ले कि उसका मुख्यालय झारखंड में ही हो। ताकि रेवन्यू झारखंड को मिल सके।
6. कोयला, लोहा, अबरख, यूरेनियम, सोना आदि दर्जनों खनिज पदार्थ पाये जाते हैं झारखंड में। सभी के हेड ऑफिस किसी अन्य राज्य में है। इस बारे में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
दूसरे राज्य के नेता अपने यहां कुछ भी नहीं होने पर बड़ी चालाकी से खनिज पदार्थों का मुख्यालय अपने अपने राज्यों में बनावाकर अपने लोगो को लाभ पहुंचा रहे हैं। दूसरे राज्य के नेता अपने राज्य के विकास के लिये कोशिश कर रहे हैं यह अच्छी बात है। लेकिन हम क्यों पीछे हैं जबकि संपदा हमारी है। केन्द्र सरकार से बातचीच करनी चाहिये।
7. झारखंड के पैसे से दूसरे राज्यों को लाभ हो रहा है और हमारे लोगों को दूसरे राज्यों में गाली-लाठी खानी पड़ रही है।
8. झारखंडवासी जागो, उठो और संकोच छोड़ो और अपने अधिकार के लिये आवाज बुलंद करो। लेखनी या अन्य तरीके से आंदोलन करो। लोगों में जागरूकता पैदा करो। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों को लिख कर जानकारी दो। आवाज नहीं उठाने पर कोई नहीं सुनेगा।
लेकिन एक बात का ध्य़ान रखे कि देश की एकता और संप्रभुता को कोई खतरा न हो।
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2 comments:
सवाल ये भी उठता है कि झारखंड के विकास के लिए बनी पार्टियां राज्य बनने के बाद चुक क्यों गई हैं? आखिर प्रचुर संसाधनों के बावजूद विकास न होने की पीड़ा को दूर करने के लिए ही तो अलग राज्य बना था?
kuchh nahi ho sakta yhan ka,aakhir hum bhulten kyon hain jharkhand pahala aisa rajy hai jahan nirdaliyon ki sarkar hai,har wqt vibhagon ki bandarbant aur paison ki rajniti chalti hai koi rust huya to chunaw.
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