Friday, July 11, 2008
मनमोहन-आडवाणी-सोनिया जी देश को परमाणु डंपिंग ग्रांउड होने से बचायें अन्यथा देश माफ नहीं करेगा
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहजी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी जी देश को बचायें। इस परमाणु करार से। इसका तत्कालिक लाभ होगा लेकिन लंबे समय में देश बर्बाद हो जायेगा। आप तीनो का नाम इसलिये ले रहा हूं कि आप तीनों ही देश के कंमाडिंग स्थिति में है। परमाणु करार के तहत बिजली कमी को पूरा किया जायेगा। ये सिर्फ सिक्के का एक पहलू है। दूसरा पहलू यही है कि विकसित देश भारत को परमाणु कचरे का डंपिंग ग्राउंड बनाने की तैयार में है। वे अणु-परमाणु को कहां रखेंगे। न जमीन में गाड़ सकते हैं और न हीं समुद्र में डाल सकते हैं। तबाही मच जायेगी। उसके लिये एक ऐसा कचरे का मैदान चाहिये जहां डालने पर उससे बिजली या अन्य काम किया जा सके। विकसित देश अपनी जरूरत को पूरा कर चुका है और कचरा हमारे यहां फैक नयी उर्जा की तलाश में जुट गया है। विकसित देश अपनी कचरा हमारे यहां विकास के नाम पर डालने की तैयारी कर लिया है पर हम परमाणु से बिजली पैदा कर कचरा कहां डालेंगे। ऐसी स्थिति में हमारे जेनरेशन को नुकसान होना तय है। विकसित देश अब परमाणु की जगह सोलर ऊर्जा को महत्व देने लगे हैं। इसलिये अंतरिक्ष में हीं सोलर ऊर्जा बनाने की कोशिश हो रही है। समुद्र किनारे बन रहे टावर में हवा से ही बिजली पैदा की जा रही है। और टावर में रह रहे लोगों को बिजली मिल रहा है। हमारा देश भारत दुनिया के उन देशों में से है जो दक्षिण की ओर तीन ओर समु्द्र से घिरा हुआ है। उत्तर की ओर पहाड़ों से। इन सभी जगहों पर तेज हवाएं चलती है। इस ओर आप थोड़ा ध्यान दे दें तो इन इलाकों में बने मकानों में काम चलाने लायक बिजली हवा से ही पैदा की जा सकती है। पठारी इलाकों में इतने झरने हैं कि वहां भी आसपास के गांवों में झरने से बिजली पैदा की जा सकती है। बचे अन्य जगह वहां पर कोयला से बिजली पैदा कर पूरी की जा सकती है। अब तो देश में मिथेन के भंडार भी मिल गये है। देश में कुल 11 मिथेन के भंडार हैं इनमें से 6 विश्व स्तरीय भंडार झारखंड में मिले हैं। जानकारों का दावा है कि झारखंड से मिथेन भंडार चालू होते ही भारत दुनिया का तीसरा देश बन जायेगा अमेरिका और आस्ट्रेलिया के बाद। इस अलावे दर्जनों देशी उपाय है बिजली पैदा करने की। कचरे से बिजली पैदा की जा रही है। गन्ने के खेतों से निकले वाले कचरे से बिजली पैदा हो सकती है। हम जितनी माथापच्ची कर रहे हैं और जितना चुनावी खर्च के लिये तैयार हैं, परमाणु करार को लेकर। उतने ही रकम इधर लगा दे तो गांव-गांव में लघु स्तर पर बिजली मुहैय्या करायी जा सकेगी। जहां तक सामरिक हथियारों का सवाल है तो उसमें हम सक्षम है। ये करार करे या नहीं लेकिन सामरिक अध्ययन तो जारी ही रहेंगे।
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2 comments:
bahut badiya rajesh ji
आप ने बात लाख टके की कही हे,लेकिन यह सब बाते भारत की भोली जनता नही जानती, ओर हमारे नेता अमेरिका के आगे सिर्फ़ दुम हिलाने के सिवा कुछ नही कर रहे, जब की यहा अब लोग इसे हटा कर दुसरी तरकीब से बिजली पेदा करने लगे हे, ओर इस का कचरा(परमाणु )हमे देना चाहते हे, ओर जिस दिन यह करार हो गया वह दिन भारत के अन्त की शुरु आत होगी..
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