झारखंड के राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी की सिफारिश पर आखिरकार झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। विधान सभा को बर्खास्त करने की वजाय निलंबित रखा गया है। जो कि एक संवैधानिक प्रक्रिया है। यदि विधान सभा के निलंबन के दौरान कोई नई गणित बन जाये और सरकार बनने की नौबत हो तो सरकार गठन किया जा सकेगा। लेकिन आज की हालात को देखकर यही लगता है कि राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार बनने के आसार कम ही है।
यूपीए में मुख्य रूप से तीन राजनीतिक दले हैं – झामुमो, कांग्रेस और राजद। इसके अलावा निर्दलीय विधायक। निर्दलीय विधायकों और झामुमो में छतीस के आंकड़े हैं वे एक दूसरे को समर्थन देने को तैयार नहीं है। तमाड़ विधान सभा चुनाव में शिबू सोरेन के हारने के बाद श्री सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन वे अपने हीं पार्टी के चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ गये। श्री सोरेन के इस मांग से न तो कांग्रेस पार्टी सहमत दिखी और न हीं राजद। ऐसे में एक ही चारा था राज्य में राष्ट्रपति शासन।
बीजेपी और जनता यू ने पहले हीं राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रखी है। पहले निर्दलीय के बल पर ये लोग सरकार चलाकर अपनी फजीहत करा चुके हैं। इतना हीं मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा में विद्रोह भी हो चुका है। वामपंथी पार्टियां नये चुनाव की मांग पहले से ही कर रही है।
बहरहाल अब सभी पार्टियां नये सिरे से विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुट जायेगी।
Monday, January 19, 2009
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