झारखंड में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई है। भाजपा के बाद अब कॉग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड मु्क्ति मोर्चा ने भी गुणा-भाग तेज कर दिया है। कयास लगाये जा रहे हैं कि झारखंड में कभी भी चुनाव की नौबत आ सकती है क्योंकि वहां की सरकार की बागडोर निर्दलीय विधायको के रूख पर निर्भर करता है। वर्तमान सरकार से खुद सत्ता पक्ष ही खुश नहीं है।
झामुमो नेता शिबू सोरेन इन दिनों यूपीए नेताओं से नाराज चल रहे हैं क्योंकि उन्हें केन्द्र में एक बार फिर मंत्री नहीं बनाया गया। झामुमो सूत्रों के अनुसार झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन इस कोशिश में हैं कि यदि यूपीए उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रुप में पेश करती है तभी झामुमो का गठबंधन में बने रहना मुमकीन होगा। अन्यथा विकल्प पर विचार विमर्श जारी है। श्री सोरेन को समझाया जा रहा है कि यदि आप किसी जीद पर अड़ गये तो भाजपा को लाभ होगा और झामुमो बेहद कमजोर हो जायेगा। क्योंकि झामुमो का आधार सिर्फ झारखंड में है और वह ऐसी स्थिति मे नहीं है कि अपने दम पर चुनाव लड़ सरकार बना ले।
झारखंड से यूपीए में शामिल राजनीतिक दल कांग्रेस, झामुमो और राजद नेताओं के बीच अहम मुद्दे पर एक राय बनती नजर नहीं आ रही है।ऐसे मे आगे का क्या भविष्य होगा कहना मुश्किल है। झामुमो सूत्र ने बताया कि राजद नेता लालू प्रसाद यादव को यह संदेश दिया गया है कि यदि शिबू सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है तभी यूपीए एनडीए को हरा सकेगी। यदि एनडीए ने भाजपा विधायक राजकिशोर महतो को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना देती है तो उसका मुकाबला सिर्फ शिबू सोरेन हीं कर पायेंगे।
बहरहाल चुनाव कब होंगे कहा नहीं जा सकता लेकिन यूपीए ने तैयारियां शुरू कर दी है। राजद नेता लालू यादव इन दिनों रांची में है। और आगे की राजनीति पर यूपीए नेताओं से विचार विमर्श करने में मशगूल हैं।
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