कर्नाटक में भाजपा की भारी सफलता से उत्साहित भाजपा के आलाकमान ने एक बार फिर झारखंड में अपना ध्यान केन्द्रित करना शुरू कर दिया है। पार्टी आलाकमान गुटबाजी से उपर उठकर इस बार ऐसे नेता की खोज में हैं जो झारखंड में भाजपा को फिर से मजबूत बना दे।
सूत्रो के अनुसार भाजपा, कर्नाटक के येदूरप्पा की तरह ही झारखंड में ऐसे नेता की खोज में हैं जिनका शहर के साथ साथ ग्रामिण इलाके में भी पकड़ हो। चार नेताओं के नाम भाजपा आलाकमान के सामने है जिनमें से एक को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर भाजपा चुनाव मैदान में उतरना चाहती है। जिन नामो पर चर्चा हो रही है, वे हैं यशवंत सिन्हा, अर्जुन मुंडा, रघुवर दास और राजकिशोर महतो। इन चारो में से सबसे अधिक महत्व राजकिशोर महतो को दिया गया। लेकिन कुछ नेताओं ने य़शवंत सिन्हा और अर्जुन मुंडा के नाम पर चर्चा की लेकिन कहा जाता है कि भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री पद के दावेदार लालकृषण आडवाणी ने राजकिशोर के नाम पर विस्तार से चर्चा करने और विचार करने की सलाह दी।
राजकिशोर महतो - बताया गया कि पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक राजकिशोर महतो पर इन दिनो भाजपा आलाकमान की नजर है। उन्हें बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाकर मैदान में सामने लाये जाने पर विचार मंथन जारी है। बताया गया कि झारखंड राज्य के एक नेता ने उनके नाम का विरोध किया सिर्फ इस आधार पर कि वे भाजपा में अभी सिनियर नहीं है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर के एक नेता ने इस तर्क को काट दिया । उन्होंने उनके पक्ष में जो तर्क दिया वो निम्नलिखित प्रकार से थे – 1. भाजपा में उन्हें चार साल से अधिक हो चुके हैं 2. अनुशासन स्तर पर उनके खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत नहीं है। उन्होंने कभी भी पार्टी के खिलाफ काम नहीं किया। 3. वे भी काफी पढे लिखे और विद्वान नेता है। देश दुनियां और राज्य की प्रगति कैसे होगी इसकी अच्छी समझ है। 4. बेहद ईमानदार छवि है। 5. वे विनोद बिहारी महतो के ज्येष्ट पुत्र है। विनोद बिहारी महतो झारखंड के मसीहा रहे हैं। उनका राज्य के सभी समुदाय पर अच्छा खासा प्रभाव रहा है 6. राज्य में कुर्मी समुदाय की संख्या लगभग 26 प्रतिशत है। भाजपा के पास ऐसा कोई भी नेता नहीं है जो कुर्मी समुदाय को भाजपा के साथ जोड़ सके। शैलेन्द्र महतो के भाजपा छोड़ने से कु्र्मी वोटर झामुमो के साथ रहेंगे। ऐसे में राजकिशोर ही ऐसे नेता है जो इतनी बडी वोट बैंक के एक बड़े हिस्से को भाजपा की और मोड़ सकते हैं। 7. इसके अलावा महतो जी का अच्छा खासा व्यक्तिगत प्रभाव है पिछड़े, दलित-आदिवासी, मुस्लिम समुदाय और सामान्य वर्ग के बीच। 8. उनका अपना श्रमिक यूनियन भी है। मजदूर भी उनके साथ हैं।
भाजपा विचारकों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि यदि राजकिशोर को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप सामने लाया जाता है तो निश्चित ही भाजपा को लाभ होगा। नाम न उल्लेख करने की शर्त पर बताया गया कि यदि राजकिशोर जी के व्यक्तिगत शक्ति के साथ भाजपा की ताकत जुट जाती है तो भाजपा राज्य में सिर्फ अपने दम पर झारखंड में सरकार बना लेगी।
यशवंत सिन्हा – देश के एक जाने माने नाम है। पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री हैं। उससे पहले प्रशासनिक अधिकारी थे। इस आधार पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की गई लेकिन इस तर्क को इस लिए नहीं माना गया क्योंकि यशवंत सिन्हा के नाम पर झारखंड की जनता भाजपा से नहीं जुड़ पायेगी। भाजपा से जुड़े लोग जरूर वोट करेंगे चाहे प्रत्याशी कोई भी क्यों न हो लेकिन अतिरिक्त वोट नहीं जुड़ पायेगा।
अर्जुन मुंडा – अर्जुन मुंडा राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। क्रांतिकारी नेता हैं। जब इनके नाम पर चर्चा हुई तो भाजपा विचारको ने उनकी राजनीतिक ताकत को माना। लेकिन जब यह बात सामने आई कि क्या अर्जुन मुंडा झामुमो नेता शिबू सोरेन और भाजपा छोड़ चुके बाबू लाल मंराडी के रहते आदिवासी वोट का बड़ा हिस्सा भाजपा के तरफ मोड़ पायेंगे तो यहीं पर एक सवालिया निशान खड़ा हो गया। अन्य वर्ग के वोट को अपनी ओर आकर्षित करने का सवाल हीं नही उठता है।
रघुवर दास – बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने के पक्ष में कोई विचारक सहमत नहीं बताये गये।
बहरहाल यह सब तैयारियां इसलिए हो रही है कि झारखंड में यूपीए सरकार की स्थिति ठीक नहीं है। सरकार कभी भी गिर सकती है। विधायक गुणा भाग में लगे हुए हैं। और जिस प्रकार से चुनाव में भाजपा की जीत हो रही है उससे भाजपा भी यही चाहती है कि झारखंड विधान सभा का चुनाव लोक सभा चुनाव से पहले हो जाये ताकि लोक सभा में अधिक से अधिक सीटें हासिल की जा सकेगी।
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