Monday, May 19, 2008

विनोद बिहारी महतो के नाम पर धनबाद में विश्व विद्यालय बनाने की मांग में तेजी

झारखंड के धनबाज जिले में एक नए विश्व विद्यालय का गठन और उसके नामकरण को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। जिले में विश्व विद्यालय हो इसको लेकर कोई मतभेद नहीं लेकिन विश्व विद्यालय का नाम क्या हो इसको लेकर मतभेद दिखने लगे हैं। एक पक्ष का कहना है कि विश्व विद्यालय का नाम कोयलांचल विश्व विद्यालय होना चाहिये जबकि दूसरे पक्ष कहना हैं कि विश्व विद्यालय का नाम विनोद बिहारी महतो(VBN university) होना चाहिये। इस पर विजय चंद्रवंशी ने कई लोगों से बातचीत की एक रिपोर्ट -
प्रकाश महतो, समाज सेवक – विनोद बाबू सदैव ही गरीबों के लिए लड़ाईयां लड़ी, जेल गए, क्रांतिकारी आंदोलन किए। शिक्षा का प्रसार जितना उन्होने किया उतना किसी ने नहीं किया। इसके बावजूद विनोद बाबू के नाम पर विश्व विद्यालय का नाम रखने के लिए आवाज उठानी पड़ रही है। इसकी जरूरत पड़नी ही नहीं चाहिए थी। सरकार को खुद इसके लिए पहल करनी चाहिए।
पंकज पांडे(छात्र) – धनबाद मुख्यत: कोयला के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है इसलिए कोयलांचल विश्व विद्यालय नाम रखा जाना चाहिए। लेकिन यदि विश्व विद्यालय का नाम विनोद बाबू के नाम पर रखा जाता है तो उसे कोई एतराज नहीं हैं।
संतोष गुप्ता(छात्र) – जब धनबाद और गिरिडीह जिले के गांवों में शिक्षा का कोई साधन नहीं था। बिहार सरकार कोई ध्यान नहीं देती थी तब विनोद बाबू ने अपने पैसे से उन जगहों पर स्कूल खोले और लोगों को शिक्षित करने का अभियान चलाया जहां सरकार सोचती भी नहीं थी। इसलिए विश्व विद्यालय का नाम विनोद बिहारी महतो विश्व विद्यालय ही होनी चाहिये।
अजय सिंह, (एल एल बी छात्र) – मेरा मानना है कि विश्व विद्यालय का नाम कोयलांचल हो या विनोद बिहारी महतो इससे अधिक फर्क नहीं पड़ता। लेकिन पढाई अच्छी होनी चाहिये।

गणेश रवानी – मैं सी.ए. कर चुका हूं। मेरा स्कूल कॉलेज से कोई वास्ता नहीं लेकिन मेरा मानना है कि विनोद बाबू के नाम पर नये विश्व विद्यालय का नाम रखा जाना चाहिए। उन्हें झारखंड का भीष्मपीतामाह कहा जाता है उनके नाम का तो विरोध होना हीं नहीं चाहिये था। वे झारखंड के लिए जोरदार लड़ाई नहीं लड़ते तो आज झारखंड राज्य का गठन नहीं होता।
विशाल यादव- देखिये अंदरी बाहरी का कोई मुद्दा नहीं है। जो लोग विनोद बाबू के नाम का विरोध कर रहे हैं और अंदरी बाहरी का मुद्दा उठा रहे हैं वे लोग जातीयता से ग्रस्त हैं। विनोद बाबू ने जितना काम किया हैं उतना किसी ने नहीं किया। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि विनोद बाबू का नाम का जो लोग विरोध कर रहे हैं वे सिर्फ इस लिये विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे पिछड़ वर्ग के है। यदि वे पिछड़ वर्ग के नहीं होते तो कोयलाचंल में कभी उनके नाम पर असहमति की बात कोई नहीं करता।

आपने जितने लोगों के प्रतिक्रिया पढे उनमें से अधिकांश लोग विनोद बिहारी महतो के नाम पर विश्व विद्यालय की स्थापना की सीधे तौर पर वकालत कर रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर राज्य सरकार धनबाद में विनोद बाबू के नाम पर विश्व विद्यालय की स्थापना की पहल क्यों नहीं कर रही है। विनोद बाबू के व्यक्तित्व को राजनीतिक दलगत की भावना से परे रख कर देखना चाहिए।
आप भी यदि अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो मुझे ई-मेल कर सकते हैं।

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