Sunday, November 2, 2008

झारखंड दाना पानी बंद कर दे तो मुंबई दिल्ली के लोग भीख मांगेंगे

धनबाद से रजनीश महतो और अजय रवानी की रिपोर्ट -
मेरा खाते हो और मुझे ही गाली देते हो। तुम्हारे पास क्या है ? मेरे पास सब कुछ है। दिल्ली और मुंबई में जो रोशनी है उसमें सबसे बड़ा योगदान झारखंड का है। देश की रोशनी में झारखंड का सबसे बडा योगदान है। झारखंड की संपत्ति के कारण ही देश की बड़ी आबादी आज रोशन में है।

झारखंड में ये आवाज उठनी शुरू हो गयी है कि संपदा हमारी और हमारे साथ ही भेदभाव। महाराष्ट्र नव निर्मान सेना के नेता राज ठाकरे देश विभाजन की कोशिश कर रहे हैं। यदि यही स्थिति झारखंड में शुरू हो गयी तो देश का क्या होगा ? हम देश विभाजन जैसी कोई कदम नहीं उठायेंगे। क्योंकि झारखंड के लोगो ने देश की आजादी के लिये बड़ी कुर्बानी दी है। आपसी भाईचारा के कारण हीं हमारी खनिज संपदा का मुख्यालय दूसरे राज्यों में ले जाया गया और हम चुप रहे। लेकिन अब देशद्रोहियों और उसको समर्थन करने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।


विश्व स्तरीय कोयला झारखंड पैदा करता है यह हम दूसरे राज्यों को क्यों दे ? यह मांगे जोर पकड़ने लगी दूसरे राज्यों के लोगों के क्षेत्रवाद को देखते हुए। विश्व स्तरीय लोहा, अबरख, तांबा, यूरेनियम आदि दर्जनों खनिज पदार्थ झारखंड में पाये जाते हैं। जिसका मुख्यालय दूसरे राज्यों में हैं। इसका मुख्यालय झारखंड में आ जाये तो यहां कम से कम प्रत्य़क्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तीन लाख लोगों को नौकरी झटके में मिल जायेगी जिसपर दूसरे राज्य के लोग अधिकार जमाये बैठे हैं। हमारे पास खेती लायक जमीन, स्वस्थ्य वातावरण के लिये घने जंगल और नदी और झरने के भरमार है।

हमलोगों को दूसरे राज्यों से कुछ नहीं चाहिये। लेकिन जो मेरा ही धन छिनकर मुझसे ले गये हो और उसी का खाकर हमें गाली दे रहे हो उसे तो वापस करो। हम तो चुप थे कि पूरे देशवासी हम एक हैं। लेकिन हमारा ही खा कर हमें ही गाली दी जी रही है। बर्दाश्त एक हद तक ही की जा सकती है। बाहर के राज्य के लोगों को हमारे यहां के गरीबों से नफरत है लेकिन यहां की धन संपदा उन्हें चाहिये। अब जो अन्याय हो चुका है हमारे साथ अब वह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। झारखंड मे बड़े पैमाने पर दूसरे राज्य के लोग है उनके साथ भेदभाव शुरू हो जाये तो आप क्या करेंगे।

झारखंड के लोगों ने यह मांग शुरू कर दी है कि खनिज संपदा का मुख्यालय झारखंड में लाया जाये जो दूसरे राज्यों में हैं। झारखंड का खनिज विश्व स्तरीय है फिर भी दूसरे राज्यों के अपेक्षा रेवन्यू दर हमें कम मिलता है इसमें समानता लायी जाये। झारखंड में लगे कल कारखानों में दूसरे राज्य के लोग भरे हैं उसमें झारखंडवासियों को भरा जाये। यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है।

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

राज ठाकरे की अकल को ठिकाने लगाने के लिए मराठा ही सामने आने लगेंगे, देखते जाइए।

Vivek Gupta said...

मुंबई के लोग तो अपनी सब्जी तक नहीं उगा पाते | लेकिन नखरे बहुत करते हैं | जब मुख्यालय स्थानांतरित होगें तो समझ में आ जायेगा |

P.N. Subramanian said...

समझ में नहीं आता कि राज ठाकरे की अक्ल को ठिकाने लगाने में और कितनों की बलि देनी होगी. आभार.

दिवाकर प्रताप सिंह said...

आपका निर्णय बिल्कुल ग़लत है। सिर्फ़ एक राज ठाकरे की वजह से हज़ारों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे ! राज ठाकरे और एमएनएस के लोगों को मुंबई से बाहर जाना होगा। वे लोग देशद्रोही हैं उनके वजह से देश की एकता खतरे में पड़ गई है।

MANISH said...

राज ठाकरे को फाँसी की सज्जा होनी चाहिए