लेखक – डॉ सुभाष भदौरिया ने शहीद अलबर्ट एक्का परिवार के साथ हो रहे जुल्म पर अपनी राय दी। भदौरिया जी ने कुछ जानकारियां भी दी हैं अपनी प्रतिक्रिया में। उसे आपके समक्ष रख रहा हूं -
एन.सी.सी.अफ़्सर ट्रेनिंग स्कूल कामटी (नागपुर) पता चला था कि परमवीर चक्र से सम्मानित अलबर्ट एका गार्ड ब्रिगेड से के ज़ाबाज़ सिपाही थे.पाकिस्तानी फौज़ के सामने उन्होंने अपनी शूरवीरता दिखाते हुए शहादत हासिल की थी।कामटी में अलबर्ट एका की याद में उनके युद्ध समय की सारी ड्रिल का रिहर्सल किया जाता है। उन्हें भारी सम्मान के साथ सेना के तमाम रेंक श्रद्धांजली देते हैं।आपने उनके परिवार पर किये जा रहे ज़ुल्म को बता कर काफी वेदना से भर दिया। एक शायर का इसी हालात की ओर इशारा करता शेर याद आगया -
मेरे बच्चों के आँसू पोछ देना,
लिफाफे का टिकट ज़ारी न करना,
नंपुसक प्रशासन की बदमाशियों को अच्छी तरह जानता हूँ,
सब मिल कर लूट रहे हैं कमबख़्त,
कम से कम शहीदों को तो बख़्श दें।
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