झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोडा ने कहा कि मनसे नेता राज ठाकरे ने फिल्म हीरोईन तनुश्री दत्ता के खिलाफ काम न देने के मसले पर जो पत्र लिखा है फिल्म प्रोड्यूसर को। वह घृणित काम है। मुख्यमंत्री कोडा ने कहा है कि तनुश्री दत्ता पर झारखंड को नाज हैं। कला को किसी सीमा में बांधने की कोशिश न करे। मुंबई किसी की जागिर नहीं है। पूरा झारखंड तनुश्री के साथ है।
फिल्म कलाकार नाना पाटेकर ने एक फिल्म में गाने की शुटिंग के दौरान अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे। तनुश्री ने गाने की स्टेप बदलने की मांग की ताकि नाना पाटेकर की छेड़छाड़ से वे बच सके। इसी पर विवाद हुआ। क्षेत्रीय वाद की मानसीकता से ग्रस्त नाना पाटेकर के बारे में यह भी सुनने को मिला कि वे तनुश्री के गाल को बार बार छू छा कर रहे थे। यह सब तनुश्री को अच्छा नहीं लगा। बस किसी बहाने तनुश्री को फिल्म से हटा कर राखी सांवत को फिल्म में जगह दे दी गई।
मराठी मानुष के नाम पर राज ठाकरे ने भी नाना पाटेकर का साथ देते हुये तनुश्री को काम न देने के लिये फिल्म प्रोड्यूसरों को पत्र लिख भेजा। प्रांतवाद को लेकर कभी उत्तर भारतीय पर हमला तो कभी मारवाड़ी और जैन समाज की महिलाओं के साथ छेड़ छाड़ और हमला, तो कभी गुजराती मुंबई छोड़ो के नारे। ये सब कब तक चलेगा। सरकार कब देश को तोड़ने वाली ताकत के खिलाफ कारवाई करेगी?
यदि देश के दूसरे राज्यों में भी प्रांतवाद को लेकर मारकाट शुरु हो गई तो देश का क्या होगा? गुजराती, मारवाड़ी और पंजाबी यूपी, झारखंड और बिहार में भरे पड़े हैं। हां इनके अपेक्षा मराठियों की संख्या कम है लेकिन है। इन्हें कभी दिक्कत नहीं हुआ। आम नागरिक को हीं आगे आना पडे़गा देश की सुरक्षा में। क्योंकि आज की दुनियां में सरदार बल्लभ भाई पटेल नहीं हैं जिन्होंने आजादी के बाद प्रांतवाद और राजशाही पर रोक लगाकर देश को एकता के धागे में बांधा था।
Tuesday, April 1, 2008
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1 comment:
एकदम सही कहा आपने…
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