क्या राजकिशोर महतो बीजेपी छोडने वाले हैं। इस बात को लेकर झारखंड में चर्चाएं जोरो पर है। कहा जा रहा है कि राजकिशोर महतो को सिंद्री विधान सभा सीट से चुनाव हराने में बीजेपी के लोगों ने हीं बड़ी भूमिका अदा की। इससे श्री महतो को करारा झटका लगा है। एक तो बीजेपी के अंदरूनी गुटबाजी के चलते श्री महतो को पिछले कई सालों से कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया। सिर्फ उनके नाम पर झारखंड में कुर्मी वोटों का बीजेपी इस्तेमाल करती रही।
श्री महतो समर्थक विवेक चंद्रवंशी ने कहा कि राजकिशोर दा को बीजेपी के लोगों ने हीं हराया। क्योंकि बीजेपी के कुछ नेताओं को डर था कि यदि राजकिशोर महतो चुनाव जीत जाते हैं तो उन्हें आगे निकलने से रोकना मुश्किल होगा। उनके एक और समर्थक गोपाल रवानी ने कहा कि बीजेपी ने राजकिशोर महतो के नाम पर सिर्फ पिछड़े वर्ग के लोगों के वोटों का इस्तेमाल किया है। लोकसभा के चुनाव में पिछड़े वर्ग के लोग बीजेपी के साथ थे इसलिये बीजेपी को अच्छी सफलता मिली। इसके बावजूद बीजेपी में राजकिशोर दा जैसे नेता को बीजेपी ने तरजीह नहीं दिया। यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई। रवानी ने बताया कि यही कारण है कि पिछड़ा वर्ग का बड़ा वोट बैंक झामुमो और आजसू के साथ चला गया। और बीजेपी की करारी हार हो गई।
इस बारे में राजकिशोर महतो से संपंर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपंर्क नहीं हो पाया। लेकिन जानकार यही बता रहे हैं कि राजकिशोर महतो झामुमो में जा सकते हैं। यह फैसला लगभग हो चुका है। झामुमो भी उन्हें लेने के लिये तैयार है। मामला सिर्फ रूका है दो कारणों से। एक राजकिशोर महतो द्वारा खुद हीं ठोस निर्णय करना। और दूसरा यह हो सकता है कि झामुमो की सरकार बीजेपी की मदद से चल रही है इस लिये इस मामले में कुछ समय और लग सकता है।
श्री महतो समर्थक विवेक चंद्रवंशी ने कहा कि राजकिशोर दा को बीजेपी के लोगों ने हीं हराया। क्योंकि बीजेपी के कुछ नेताओं को डर था कि यदि राजकिशोर महतो चुनाव जीत जाते हैं तो उन्हें आगे निकलने से रोकना मुश्किल होगा। उनके एक और समर्थक गोपाल रवानी ने कहा कि बीजेपी ने राजकिशोर महतो के नाम पर सिर्फ पिछड़े वर्ग के लोगों के वोटों का इस्तेमाल किया है। लोकसभा के चुनाव में पिछड़े वर्ग के लोग बीजेपी के साथ थे इसलिये बीजेपी को अच्छी सफलता मिली। इसके बावजूद बीजेपी में राजकिशोर दा जैसे नेता को बीजेपी ने तरजीह नहीं दिया। यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई। रवानी ने बताया कि यही कारण है कि पिछड़ा वर्ग का बड़ा वोट बैंक झामुमो और आजसू के साथ चला गया। और बीजेपी की करारी हार हो गई।
इस बारे में राजकिशोर महतो से संपंर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपंर्क नहीं हो पाया। लेकिन जानकार यही बता रहे हैं कि राजकिशोर महतो झामुमो में जा सकते हैं। यह फैसला लगभग हो चुका है। झामुमो भी उन्हें लेने के लिये तैयार है। मामला सिर्फ रूका है दो कारणों से। एक राजकिशोर महतो द्वारा खुद हीं ठोस निर्णय करना। और दूसरा यह हो सकता है कि झामुमो की सरकार बीजेपी की मदद से चल रही है इस लिये इस मामले में कुछ समय और लग सकता है।
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