पिछले एक पखवाड़े से कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती 95 वर्षीय मार्क्सवादी नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का आज (रविवार, 17 जनवरी, 2010) निधन हो गया। सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे उनका निधन हुआ। देश में सबसे लंबे समय तक किसी राज्य का मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले ज्योति बसु ने रविवार को अस्पताल में अंतिम सांस लीं। एक जनवरी को उन्हें निमोनिया की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन पिछले कुछ दिन से उनके अधिकांश अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा जा रहा था।
ज्योति दा के जीवन पर एक नजर
1. लंदन में अपने जमे जमाये वकालत को छोड़ भारत में राजनीति को अपनाया।
2. एक ऐसे करिश्माई व्यक्तित्व थे जिन्हें दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी दलों के नेताओं ने भरपूर सम्मान दिया।
3. सबसे अधिक लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। इतने समय तक देश का कोई भी नेता लगातार मुख्यमंत्री नहीं रहा। 21 जून 1977 से लेकर 6 नंवबर 2000 तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहे। उन्होंने अपने मन से त्यागपत्र दिया था।
4. 1996 में संयुक्त मोर्चा ने ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया लेकिन उनकी पार्टी ने इस पर सहमति नहीं दी और पार्टी ने सत्ता में भागीदारी करने से ही इंकार कर दिया।
5. ज्योति बसु ने पार्टी के इस निर्णय को ऐतिहासिक भूल करार दिया। उनका मानना था कि मेरे प्रधानमंत्री बनने से न सिर्फ देश को ताकत मिलती बल्कि वामपंथ का प्रसार भी देशभर में हो जाता। लेकिन ज्योति बसु ने पार्टी के फैसले को स्वीकार किया।
6. आर्थिक जगत से लेकर विदेश नीति तक में उनकी समझ साफ साफ थी। वे एक अच्छे प्रशासक के साथ साथ एक कुशल राजनेता, सुधारवादी नेता थे।
7. बसु मार्क्सवाद में पूरी तरह विश्वास करने के बावजूद व्यवहारिक थे और पार्टी की कट्टर विचारधारा के बीच उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में विदेशी निवेश और बाजारोन्मुख नीतियां अपना कर अपने अद्भुत विवेक का परिचय दिया था।
8. ज्योति बसु 1952 से पश्चिम बंगाल विधान सभा के लगातार सदस्य रहे। इसमें एक बार केवल 1972 में व्यवधान आया था।
9. ज्योति बसु ने पंचायती राज और भूमि सुधार को प्रभावी ढंग से पश्चिम बंगाल में लागू किया।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने भी बसु के कामकाज की सराहना की थी और वर्ष 1989 में पंचायती राज पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था।
1. लंदन में अपने जमे जमाये वकालत को छोड़ भारत में राजनीति को अपनाया।
2. एक ऐसे करिश्माई व्यक्तित्व थे जिन्हें दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी दलों के नेताओं ने भरपूर सम्मान दिया।
3. सबसे अधिक लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। इतने समय तक देश का कोई भी नेता लगातार मुख्यमंत्री नहीं रहा। 21 जून 1977 से लेकर 6 नंवबर 2000 तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहे। उन्होंने अपने मन से त्यागपत्र दिया था।
4. 1996 में संयुक्त मोर्चा ने ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया लेकिन उनकी पार्टी ने इस पर सहमति नहीं दी और पार्टी ने सत्ता में भागीदारी करने से ही इंकार कर दिया।
5. ज्योति बसु ने पार्टी के इस निर्णय को ऐतिहासिक भूल करार दिया। उनका मानना था कि मेरे प्रधानमंत्री बनने से न सिर्फ देश को ताकत मिलती बल्कि वामपंथ का प्रसार भी देशभर में हो जाता। लेकिन ज्योति बसु ने पार्टी के फैसले को स्वीकार किया।
6. आर्थिक जगत से लेकर विदेश नीति तक में उनकी समझ साफ साफ थी। वे एक अच्छे प्रशासक के साथ साथ एक कुशल राजनेता, सुधारवादी नेता थे।
7. बसु मार्क्सवाद में पूरी तरह विश्वास करने के बावजूद व्यवहारिक थे और पार्टी की कट्टर विचारधारा के बीच उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में विदेशी निवेश और बाजारोन्मुख नीतियां अपना कर अपने अद्भुत विवेक का परिचय दिया था।
8. ज्योति बसु 1952 से पश्चिम बंगाल विधान सभा के लगातार सदस्य रहे। इसमें एक बार केवल 1972 में व्यवधान आया था।
9. ज्योति बसु ने पंचायती राज और भूमि सुधार को प्रभावी ढंग से पश्चिम बंगाल में लागू किया।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने भी बसु के कामकाज की सराहना की थी और वर्ष 1989 में पंचायती राज पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था।
10. बसु की पहल पर लागू किए गए भूमि सुधारों का ही नतीजा था कि पश्चिम बंगाल देश का ऐसा पहला राज्य बना जहां फसल कटकर पहले बंटाईदार के घर जाती थी और इस तरह वहां बिचौलियों की भूमिका खत्म की गई।
उन्होंने अपने निधन के बाद भी राष्ट्र को कुछ देकर विदा हुए। सात साल पहले जब कम्युनिस्ट लीडर ज्योति बसु ने बॉडी डोनेशन करने का ऐलान किया तब उन्होंने कहा था कि हम कम्युनिस्ट यह कहा करते हैं कि मरते दम तक लोगों की सेवा करनी चाहिए। लेकिन अब मुझे पता चला है कि मौत के बाद भी लोगों की सेवा की जा सकती है। मेडिकल रिसर्च के लिए बॉडी डोनेट करके उन्होंने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। मेडिकल से जुड़े लोगों का मानना है कि इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी इस नेक रास्ते पर चलेंगे।
उन्होंने अपने निधन के बाद भी राष्ट्र को कुछ देकर विदा हुए। सात साल पहले जब कम्युनिस्ट लीडर ज्योति बसु ने बॉडी डोनेशन करने का ऐलान किया तब उन्होंने कहा था कि हम कम्युनिस्ट यह कहा करते हैं कि मरते दम तक लोगों की सेवा करनी चाहिए। लेकिन अब मुझे पता चला है कि मौत के बाद भी लोगों की सेवा की जा सकती है। मेडिकल रिसर्च के लिए बॉडी डोनेट करके उन्होंने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। मेडिकल से जुड़े लोगों का मानना है कि इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी इस नेक रास्ते पर चलेंगे।
ज्योति दा के निधन पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी, आरजेडी नेता लालू यादव, से लेकर तमाम देश के हस्तियों ने शोक जताया।
2 comments:
कामरेड़ ज्योति बसु को लाल सलाम
दुखद समाचार।
श्री ज्योति बसु जी को श्रृद्धांजलि एवं उनकी आत्म की शांति के लिए प्रार्थना।
उनके अवसान से एक युग की समाप्ति हुई।
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