Sunday, December 30, 2007

बिलावल बने पीपीपी के नेता

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के 19 वर्षीय बेटे बिलावल भुट्टो ज़रदारी को पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी का नेता चुन लिया गया है। बिलावल भुट्टो ज़रदारी का नाम पहले बिलावल ज़रदारी था। इनके पिता आसिफ़ अली ज़रदारी पार्टी के सह-अध्यक्ष होंगे. इस बात का पीपीपी ने एलान कर दिया है। बेनजीर की हत्या के बाद कयास लगाये जा रहे थे कि पार्टी का कमान कौन संभालेगा। गम का बोझ लिये भूट्टों परिवार एक बार फिर चुनावी मैदान में कुद गया है। कमान संभालने के बाद बिलाल ने कहा कि मेरी माँ कहा करती थी कि लोकतंत्र ही बदला लेने का सबसे बेहतर तरीका होता है . इससे पहले बेनजीर के वसियत को पढा गया। पीपीपी के वरिष्ठ नेता मख़दूम अमीन फ़हीम ने कहा कि बेनज़ीर भुट्टो ने वसीयत में लिखा है कि अगर मैं न रहूँ तो फिर चेयरमैन आसिफ़ अली ज़रदारी बनें. इसका पूरे हाउस ने समर्थन किया. लेकिन फिर आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा कि वे अपने बेटे को ये ज़िम्मेदारी देना चाहते हैं. " और आखिर बिलाल को कमान दे दी गई। उसके पढाई लिखाई के दौरान उनके पिता ही पार्टी चालायेंगे।
इस बीच जरदारी ने बेनजीर की हत्या की जांच में यूनाईटेड नेशन और ब्रिटेन से मदद लेने की मांग की है। बहरहाल बिलावल बेनज़ीर भुट्टो और आसिफ़ अली ज़रदारी के बड़े बेटे हैं. उनका जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में सितंबर 1988 में हुआ. 90 के दशक में बेनज़ीर भुट्टो निर्वसान में चली गईं. इस दौरान बिलावल ने दुबई में स्कूली शिक्षा ली. उन्होंने 2007 में इंग्लैंड की ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई शुरू की थी.
बिलावल को राजनीतिक समझ नहीं के बराबर है लेकिन एक ताकतवर राजनीतिक परिवार के होने के कारण जनता के केन्द्र बिन्दु वो ही है। बिलावल ने ऐसे समय पीपीपी के नेता बने है जब उनके देश और परिवार दोनों ही संकट की दौर से गुजर रहा है। बिलावल के पूरे परिवार को सुरक्षा देने की जिम्मेवारी पाकिस्तान सरकार की है लेकिन कहा जाता है कि सरकार के ही लोग बेनजीर के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है ऐसे में ये परिवार किस पर विश्वास करे उन्हें समझ नहीं आ रहा।

1 comment:

इरफ़ान said...

नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.

www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
ramrotiaaloo@gmail.com