पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता बेनज़ीर भुट्टो की एक आंतकवादी हमले में मौत हो गई है. रावलपिंडी में आयोजित बेनजीर की एक रैली में ये आत्मघाती हमला हुआ है जिसमें कम से कम 50 लोग मारे गए हैं और अनेक घायल हुए हैं। इसी हमले में बेनजीर को भी विस्फोट के छरे लगे और इसके बाद उनपर गोलियां भी चलाई गई जो उनके गर्दन में लगी।विस्फोट के छरे और गोली लगने से घायल बेनजीर को पहले हॉस्पीटल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।शाम को 6:16 बजे भुट्टो की मौत हो गई। बेनज़ीर आठ जनवरी को होने वाले चुनाव के लिए प्रचार कर रही थीं ।वे कई वर्षों की राजनीतिक निर्वासन के बाद इसी साल के अक्तूबर में ही स्वदेश लौटी थीं। अक्तूबर में वापसी के बाद कराची में बेनज़ीर भुट्टो की एक विशाल रैली में भी भीषण बम विस्फोट हुए थे जिसमें लगभग 125 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और अनेक घायल हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के समर्थकों की एक रैली में भी गोलीबारी हुई है जिसमें कम से कम चार लोग मारे गए और तीन अन्य घायल हो गए. उस रैली में नवाज़ शरीफ़ नहीं थे। नवाज़ शरीफ़ ने बेनजीर की हत्या के लिये राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को ज़िम्मेदार ठहराया है.
जीवन का सफ़र -
बेनज़ीर भुट्टो का जन्म 1953 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत हुआ था. इनका परिवार पाकिस्तान का सबसे मशहूर राजनीतिक परिवार रहा है. बेनज़ीर के पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो सत्तर के दशक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. इनके पिता को फांसी दे दी थी वहां की सैन्य सरकार ने। बेनज़ीर के पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का तख़्तापलट जनरल ज़िया उल हक़ ने 1977 में किया था और गिरफ़्तारी के दो साल बाद भुट्टो को फांसी दे दी गई थी ।बहरहाल बेनज़ीर ने उच्च शिक्षा प्राप्त की अमरीका के हार्वर्ड और ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों से। बेनज़ीर दृढ़ निश्चय वाली महिला थी। उनके पिता को फांसी दिए जाने से कुछ समय पहले बेनज़ीर को गिरफ़्तार किया गया और उन्हें पांच साल तक जेल में बिताने पड़े थे.उन्होने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का गठन की थी लंदन में उस समय जब इलाज के लिये जेल से बाहर आया जाया करती थी। इस पार्टी के बैनर तले उन्होने जनरल जिया के खिलाफ आंदोलन शुरु की थी। लंदन से 1986 में पाकिस्तान से वापस आ गई थी। 1988 में एक विमान में हुए बम धमाके में ज़िया उल हक की मौत के बाद वो पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. बेनज़ीर भुटुटो दो बार प्रधानमंत्री बनी 1988-90 और 1993-96 में। उनके पति आसिफ़ ज़रदारी की प्रशासन में अहम भूमिका रहती थी. इस कारण उन्हें कई बार कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा। दोनो पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हालांकि उनके खिलाफ कोई भी आरोप सिद्द नहीं हो पाया। लेकिन जरदारी को 10 साल जेल में बिताने पड़े। वे 2004 मे रिहा हूये। पाकिस्तान सरकार के साथ हुए हाल के समझौते के तहत बेनज़ीर को कई मामलों में आममाफ़ी दे दी गई थी. बेनजीर पाक प्रशासन से परेशान हो कर 1999 में पाकिस्तान छोड़कर दुबई चली गई थी जहां वे अपने पति और तीन बच्चों के साथ रह रही थी। उनका भाई मुर्तजा पिता को फ़ांसी दिए जाने के बाद वह अफ़गानिस्तान चले गए थे. इसके बाद कई देशों मे रहे और उन्होंने पाकिस्तान के सैन्य शासन के खिलाफ़ अल-ज़ुल्फ़िकार नाम का चरमपंथी संगठन बनाकर अपना अभियान चलाया करते थे लेकिन उनकी भी पाकिस्तान लौटने पर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। बेनज़ीर के दूसरे भाई शाहनवाज़ भी 1985 में अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे. बहरहाल बेनज़ीर भुट्टो लगभग आठ साल बाद इस साल 18 अक्तूबर को पाकिस्तान वापस आई थीं. लेकिन बेनज़ीर भुट्टो के स्वदेश लौटने के बाद कराची में उनके काफ़िले में दो बम धमाके हुए जिनमें 125 लोग मारे गए हैं और लगभग 300 लोग घायल हुए हैं. उस हमले में बेनज़ीर बाल-बाल बच गई थीं।
जीवन का सफ़र -
बेनज़ीर भुट्टो का जन्म 1953 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत हुआ था. इनका परिवार पाकिस्तान का सबसे मशहूर राजनीतिक परिवार रहा है. बेनज़ीर के पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो सत्तर के दशक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. इनके पिता को फांसी दे दी थी वहां की सैन्य सरकार ने। बेनज़ीर के पिता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का तख़्तापलट जनरल ज़िया उल हक़ ने 1977 में किया था और गिरफ़्तारी के दो साल बाद भुट्टो को फांसी दे दी गई थी ।बहरहाल बेनज़ीर ने उच्च शिक्षा प्राप्त की अमरीका के हार्वर्ड और ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों से। बेनज़ीर दृढ़ निश्चय वाली महिला थी। उनके पिता को फांसी दिए जाने से कुछ समय पहले बेनज़ीर को गिरफ़्तार किया गया और उन्हें पांच साल तक जेल में बिताने पड़े थे.उन्होने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का गठन की थी लंदन में उस समय जब इलाज के लिये जेल से बाहर आया जाया करती थी। इस पार्टी के बैनर तले उन्होने जनरल जिया के खिलाफ आंदोलन शुरु की थी। लंदन से 1986 में पाकिस्तान से वापस आ गई थी। 1988 में एक विमान में हुए बम धमाके में ज़िया उल हक की मौत के बाद वो पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. बेनज़ीर भुटुटो दो बार प्रधानमंत्री बनी 1988-90 और 1993-96 में। उनके पति आसिफ़ ज़रदारी की प्रशासन में अहम भूमिका रहती थी. इस कारण उन्हें कई बार कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा। दोनो पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हालांकि उनके खिलाफ कोई भी आरोप सिद्द नहीं हो पाया। लेकिन जरदारी को 10 साल जेल में बिताने पड़े। वे 2004 मे रिहा हूये। पाकिस्तान सरकार के साथ हुए हाल के समझौते के तहत बेनज़ीर को कई मामलों में आममाफ़ी दे दी गई थी. बेनजीर पाक प्रशासन से परेशान हो कर 1999 में पाकिस्तान छोड़कर दुबई चली गई थी जहां वे अपने पति और तीन बच्चों के साथ रह रही थी। उनका भाई मुर्तजा पिता को फ़ांसी दिए जाने के बाद वह अफ़गानिस्तान चले गए थे. इसके बाद कई देशों मे रहे और उन्होंने पाकिस्तान के सैन्य शासन के खिलाफ़ अल-ज़ुल्फ़िकार नाम का चरमपंथी संगठन बनाकर अपना अभियान चलाया करते थे लेकिन उनकी भी पाकिस्तान लौटने पर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। बेनज़ीर के दूसरे भाई शाहनवाज़ भी 1985 में अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे. बहरहाल बेनज़ीर भुट्टो लगभग आठ साल बाद इस साल 18 अक्तूबर को पाकिस्तान वापस आई थीं. लेकिन बेनज़ीर भुट्टो के स्वदेश लौटने के बाद कराची में उनके काफ़िले में दो बम धमाके हुए जिनमें 125 लोग मारे गए हैं और लगभग 300 लोग घायल हुए हैं. उस हमले में बेनज़ीर बाल-बाल बच गई थीं।
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