जमशेदपुर में टाटा स्टील की स्थापना जमशेदजी टाटा ने वर्ष 1907 में की। आज यह कंपनी पूरी दुनियां में छाई हुई है। साथ हीं देश का नाम भी पूरी दुनियां में रोशन किया टाटा ने खासकर व्यापार जगत के क्षेत्र में। जिस समय टाटा कंपनी की स्थापना की गई थी उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था। व्यापार करना उनके लिये उतना आसान नहीं था जितना आज है पर उन्होंने हर समस्याओं का सामना किया। इतना हीं नहीं वे स्वतंत्रता सेनानियों की भी मदद करते रहे। जमशेदजी टाटा के छोटे पुत्र सर रतनजी जमशेदजी नुसुरवनजी टाटा ने 1910 में बापू को रंगभेदी नीति के खिलाफ चलाये जा रहे आंदोलन के लिये सवा लाख रुपये दिये थे।उनकी सोच मानवीय और विश्वव्यापी थी।
जमशेदजी ने जब टाटा समूह का गठन किया था तभी उन्होंने अपनी कंपनी के बारे में एक ऐसा मॉडल तैयार कर लिया था जो मानवीय और विश्वस्तरीय हो।उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिये 8 घंटे की शिफ्ट तय की। ऐसा देश में पहली बार हुआ था। वर्तमान में टाटा समूह के पास 96 कंपनियां हैं और टाटा स्टील उन्हीं कंपनियों में से एक है। यह समूह अब प्रत्येक वर्ष 20 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करता है। विश्वस्तरीय स्टील,चाय,वाहन(ट्रक,बस,कारे) बनाने के अलावा टाटा समूह ने फॉन कॉल के लिये समुद्र के नीचे फ़ाइबर ऑप्टिक केबल भी बिछाये। ये काम आसान नहीं था। तकनीकी संचार के क्षेत्र में टाटा समूह ने 50साल पहले ही क्रांति कर दी थी।
टाटा समूह ने अपनी कंपनी को एक ऐसे ब्रांड में बदल दिया है जिसपर देश के लोग आंख मुंद कर विश्वास करते है। अपनी ठोस नीति और विश्वास के कारण हीं टाटा समूह ने अपनी कंपनी को विश्व भर में फैला दिया। विश्व भर में फैले टाटा कंपनियों की एक सूची -
वर्ष 2000(फरवरी)- ब्रिटेन की टेटली कंपनी को खरीदा 1870 करोड़ रुपए में टाटा टी ने।
वर्ष 2004(मार्च) – देवू कमर्शियल वेहिकल्स(कोरिया) का 459 करोड़ रुपए में अधिग्रहण।
वर्ष 2004(अग्स्त)-टाटा स्टील ने नैटस्टील (सिंगापुर) को खरीदा 1300 करोड़ रुपए में।
वर्ष 2005(जुलाई)- टेलीग्लोब इंटरनेशनल का 239 मिलियन डॉलर में अधिग्रहण।
वर्ष 2005(अक्टूबर)-टाटा टी ने 3 करोड़ 20 लाख डॉलर में गुड अर्थ क्राप का अधिग्रहण।
वर्ष 2005(अक्टूबर)- ब्रिटेन के आईएनसीएटी इंटरनेशनल को 411 करोड़ रुपए में खरीदा.
वर्ष 2005(अक्टूबर)- टाटा कंसल्टेंसी ने सिडनी स्थित कंपनी एफएनएस को अधिग्रहित किया.
वर्ष 2005(नवंबर)- बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कंपनी कोमीकॉर्न को क़रीब 108 करोड़ में खरीदा.
वर्ष 2005(दिसंबर)- थाईलैंड की मिलेनियम स्टील का 1800 करोड़ रुपए में अधिग्रहण।
वर्ष 2005(दिसंबर)- ब्रिटेन की ब्रूनर मोंड ग्रुप के 63.5 प्रतिशत शेयर खरीदे
वर्ष 2006(जून)- अमरीकी कंपनी 8 ओक्लॉक कॉफी कंपनी का क़रीब 1000 करोड़ रुपए अधिग्रहण ।
वर्ष 2006(अगस्त) -अमरीकी कंपनी ग्लेसॉ(एनर्जी कंपनी) के 30 प्रतिशत शेयर खरीदे. क़ीमत अदा की गई 67 करोड़ डॉलर।
बहरहाल, टाटा समूह साल के शुरुआत में जबरदस्त सुर्खियों मे था जब कोरस कंपनी को खऱीद लिया गया। एक मील का पत्थर माना जा रहा है टाटा- कोरस का समझौता। समझौते में यह तय हुआ कि कंपनी का नाम कोरस ही रखा जायेगा। अब इस कोरस कंपनी का मालिक टाटा समूह हो गया है। टाटा समूह ने एंग्लो-डच इस्पात कंपनी कोरस को नौ अरब डॉलर में ख़रीद।इस सौदे के बाद टाटा दुनियां की पाँचवी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बन गई है।टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने इसे एक 'रोमांचक क्षण' बताया है.उन्होंने कहा कि "कोरस को ख़रीदना हमारी विस्तार योजना के अनुरूप है जिसके तहत हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ रहे हैं।"उन्होंने कहा कि दोनों हीं कंपनियों की गौरवपूर्ण इतिहास रही है। इस सौदे से कोरस के चेयरमैन जिम लेंग भी काफ़ी ख़ुश हैं।
वर्ष 2005(दिसंबर)- ब्रिटेन की ब्रूनर मोंड ग्रुप के 63.5 प्रतिशत शेयर खरीदे
वर्ष 2006(जून)- अमरीकी कंपनी 8 ओक्लॉक कॉफी कंपनी का क़रीब 1000 करोड़ रुपए अधिग्रहण ।
वर्ष 2006(अगस्त) -अमरीकी कंपनी ग्लेसॉ(एनर्जी कंपनी) के 30 प्रतिशत शेयर खरीदे. क़ीमत अदा की गई 67 करोड़ डॉलर।
बहरहाल, टाटा समूह साल के शुरुआत में जबरदस्त सुर्खियों मे था जब कोरस कंपनी को खऱीद लिया गया। एक मील का पत्थर माना जा रहा है टाटा- कोरस का समझौता। समझौते में यह तय हुआ कि कंपनी का नाम कोरस ही रखा जायेगा। अब इस कोरस कंपनी का मालिक टाटा समूह हो गया है। टाटा समूह ने एंग्लो-डच इस्पात कंपनी कोरस को नौ अरब डॉलर में ख़रीद।इस सौदे के बाद टाटा दुनियां की पाँचवी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बन गई है।टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने इसे एक 'रोमांचक क्षण' बताया है.उन्होंने कहा कि "कोरस को ख़रीदना हमारी विस्तार योजना के अनुरूप है जिसके तहत हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ रहे हैं।"उन्होंने कहा कि दोनों हीं कंपनियों की गौरवपूर्ण इतिहास रही है। इस सौदे से कोरस के चेयरमैन जिम लेंग भी काफ़ी ख़ुश हैं।
2 comments:
हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है।
झारखंड की ही नहीँ, समूचे भारत की शान कहिये जनाब!
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