Wednesday, August 29, 2007

झारखंड विधान सभा चुनाव 2005

निम्नलिखित राजनीतिक दलों ने वर्ष 2005 के झारखंड विधान सभा चुनाव में हिस्सा लिया । राज्य में विधान सभा की कुल 81 सीटें हैं। उस समय मतदाताओं की कुल संख्या 17766202 और पोलिंग बूथ 17397 थी। राजनितिक दल, किस राजनितिक दल से कितने लोग चुनाव लड़े और कितने विजयी हुये उनकी सूची नीचे दी गई है। य़े आंकड़े चुनाव आयोग के है।पिछले विधान सभा चुनाव में 57.03 प्रतिशत मतदान हुए । कुल 1390 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था इनमें से विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवार निम्नलिखत प्रकार से थे : - नेशनल पार्टियां - 220 उम्मीदवार, राज्य स्तरीय पार्टियां - 118 उम्मीदवार, राज्य स्तरीय पार्टियां (दूसरे राज्यों के) -144 उम्मीदवार, अन्य पंजिकृत पार्टियां - 246 उम्मीदवार, निर्दलिय - 662 उम्मीदवार।
1.भारतीय जनता पार्टी - 63 उम्मीदवारों में 30 जीते 2.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 41 उम्मीदवारों में 09 जीते 3.नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी - 13 उम्मीदवारों में 01 जीते4.बहुजन समाज पार्टी -75 उम्मीदवारों में एक भी नहीं 5.भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - 15 उम्मीदवारों में एक भी नहीं 6.मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी - 13 उम्मीदवारों में एक भी नहीं 7. झारखंड मुक्ति मोर्चा -49 उम्मीदवारों में 17 जीते 8 .राष्ट्रीय जनता दल - 51 उम्मीदवारों में 07 जीते 9. जनता दल यूनाईटेड -18 उम्मीदवारों में 06 जीते 10. यूनाइटेड गोआंस डेमोक्रेटिक पार्टी - 22 उम्मीदवारों में 02 जीते 11. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक - 12 उम्मीदवारों में 02 जीते 12. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(एम एल) (लिब्रेशन) - 28 उम्मीदवारों में कोई नहीं 13. समाजवादी पार्टी - 37 उम्मीदवारों में कोई नहीं 14. ऑल इंडिया त्रिनमूल कांग्रेस - 16 उम्मीदवारों में कोई नहीं 15. शिव सेना - 15 उम्मीदवारों में कोई नहीं 16. जनता दल सेक्यूलर - 09 उम्मीदवारों में कोई नहीं 17. राष्ट्रीय लोक दल - 05 उम्मीदवारों में कोई नहीं 18. ऑल झारखंज स्टुडेंटस यूनियन - 40 उम्मीदवारों में 02 जीते 19. झारखंड पार्टी - 27 उम्मीदवारों में कोई नहीं 20. लोक जनशक्ति पार्टी - 38 उम्मीदवारों में कोई नहीं 21. समता पार्टी - 19 उम्मीदवारों में कोई नहीं 22. झारखंड वनांचल कॉग्रेस - 18 उम्मीदवारों में कोई नहीं 23. झारखंड विकास दल – 17 उम्मीदवारों में कोई नहीं 24. झारखंड पिपल्स पार्टी – 12 उम्मीदवारों में कोई नहीं 25. अपना दल - 06 उम्मीदवारों में कोई नहीं 26. झारखंड की क्रांतिकारी पार्टी - 06 उम्मीदवारों में कोई नहीं 27. इंडियन जस्टिस पार्टी - 05 उम्मीदवारों में कोई नहीं 28. मार्क्सिट कॉअर्रडिनेशन - 05 उम्मीदवारों में कोई नहीं 29. जय जवान जय किसान मज़दूर कांग्रेस - 05 उम्मीदवारों में कोई नहीं 30. झारखंड दिसोम पार्टी - 05 उम्मीदवारों में कोई नहीं 31. नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी - 04 उम्मीदवारों में कोई नहीं 32. समाजवादी जनता पार्टी(राष्ट्रीय) - 04 उम्मीदवारों में कोई नहीं 33. समाजवादी जन परिषद - 04 उम्मीदवारों में कोई नहीं 34. राष्ट्रीय समानता दल - 04 उम्मीदवारों में कोई नहीं 35. जवान किसान मोर्चा - 03 उम्मीदवारों में कोई नहीं 36. सदन विकास पार्टी - 03 उम्मीदवारों में कोई नहीं 37. झारखंड पार्टी 03 उम्मीदवारों में कोई नहीं 38. अखिल भारत हिन्दू महासभा - 02 उम्मीदवारों में कोई नहीं 39. प्रोटिस्ट सर्व समाज पार्टी - 02 उम्मीदवारों में कोई नहीं 40. सोस्लिस्ट पार्टी - 02 उम्मीदवारों में कोई नहीं 41. जय प्रकाश जनता दल - 02 उम्मीदवारों में कोई नहीं 42. आमार बांगाली - 02 उम्मीदवारों में कोई नहीं 43. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (सुभासिस्ट) - 01 उम्मीदवारों में कोई नहीं 44. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया - 01 उम्मीवार - हार 45. राष्ट्रीय लोक सेवा मोर्चा - 01 उम्मीदवार - हार 46. मोमिन कान्फ्रेंस भारतीय मोमिन फ्रंट – 01 उम्मीदवार - हार 47. जनता पार्टी - 01 उम्मीदवार - हार 48. लोकतांत्रिक जन समता पार्टी - 01 उम्मीदवार - हार 49. बोलशेविक पार्टी ऑफ इंडिया - 01 उम्मीदवार - हार 50. निर्दलिय - 662 उम्मीदवारो में से 03 जीते ।

Tuesday, August 28, 2007

योग्य उत्तराधिकारी की खोज : रतन टाटा

टाट समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा है कि यदि कोई योग्य उत्तराधिकारी मिल जाता है तो वह पद छोड़ने को तैयार है हालांकि नियमानुसार वो अभी 5 साल तक अपने पद पर बने रह सकते हैं। लेकिन उन्होंने पद छोड़ने का संकेत दे कर कंपनी के प्रति साकारात्मक रुख अपनाया। भारत के प्रमुख उद्योग घराने टाटा समूह ने पूरी दुनियां में अपनी छाप छोड़ी है। रतन टाटा ने अपने पिछले 16 साल के कार्यकाल में दुनियां की कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया।
रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह की बागडोर संभाली थी। टाटा समूह के अंतर्गत 96 कंपनियां हैं और कर्मचारियों की संख्या लगभग 2.46 लाख है। उन्होने ने कहा कि हो सकता है कि एक समय टाटा का नाम भारत की तुलना में देश से बाहर अधिक हो। उन्होंने यह भी कहा कि कोरस अधिग्रहण करने के बाद उनका राजस्व 30 प्रतिशत से बढकर 50 प्रतिशत तक का राजस्व देश के बाहर से आयेगा।
टाटा मोटर्स के सिंगुर प्रोजेक्ट मामले को लेकर हुये आंदोलन और दिक्कतों के बारे में उनता कहना है कि जिन लोगों का भूमि अधिग्रहण किया गया है उन्हें परियोजना में हिस्सेदारी देने पर विचार किया जा रहा है। और उन्होंने उम्मीद जतायी कि पीपल्स कार 2008 के मार्च तक बाजा़र में आ जायेगा।

Sunday, August 26, 2007

झारखंड की शान है टाटा

प्रदीप खेमका
जमशेदपुर में टाटा स्टील की स्थापना जमशेदजी टाटा ने वर्ष 1907 में की। आज यह कंपनी पूरी दुनियां में छाई हुई है। साथ हीं देश का नाम भी पूरी दुनियां में रोशन किया टाटा ने खासकर व्यापार जगत के क्षेत्र में। जिस समय टाटा कंपनी की स्थापना की गई थी उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था। व्यापार करना उनके लिये उतना आसान नहीं था जितना आज है पर उन्होंने हर समस्याओं का सामना किया। इतना हीं नहीं वे स्वतंत्रता सेनानियों की भी मदद करते रहे। जमशेदजी टाटा के छोटे पुत्र सर रतनजी जमशेदजी नुसुरवनजी टाटा ने 1910 में बापू को रंगभेदी नीति के खिलाफ चलाये जा रहे आंदोलन के लिये सवा लाख रुपये दिये थे।उनकी सोच मानवीय और विश्वव्यापी थी।
जमशेदजी ने जब टाटा समूह का गठन किया था तभी उन्होंने अपनी कंपनी के बारे में एक ऐसा मॉडल तैयार कर लिया था जो मानवीय और विश्वस्तरीय हो।उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिये 8 घंटे की शिफ्ट तय की। ऐसा देश में पहली बार हुआ था। वर्तमान में टाटा समूह के पास 96 कंपनियां हैं और टाटा स्टील उन्हीं कंपनियों में से एक है। यह समूह अब प्रत्येक वर्ष 20 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करता है। विश्वस्तरीय स्टील,चाय,वाहन(ट्रक,बस,कारे) बनाने के अलावा टाटा समूह ने फॉन कॉल के लिये समुद्र के नीचे फ़ाइबर ऑप्टिक केबल भी बिछाये। ये काम आसान नहीं था। तकनीकी संचार के क्षेत्र में टाटा समूह ने 50साल पहले ही क्रांति कर दी थी।
टाटा समूह ने अपनी कंपनी को एक ऐसे ब्रांड में बदल दिया है जिसपर देश के लोग आंख मुंद कर विश्वास करते है। अपनी ठोस नीति और विश्वास के कारण हीं टाटा समूह ने अपनी कंपनी को विश्व भर में फैला दिया। विश्व भर में फैले टाटा कंपनियों की एक सूची -
वर्ष 2000(फरवरी)- ब्रिटेन की टेटली कंपनी को खरीदा 1870 करोड़ रुपए में टाटा टी ने।
वर्ष 2004(मार्च) – देवू कमर्शियल वेहिकल्स(कोरिया) का 459 करोड़ रुपए में अधिग्रहण।
वर्ष 2004(अग्स्त)-टाटा स्टील ने नैटस्टील (सिंगापुर) को खरीदा 1300 करोड़ रुपए में।
वर्ष 2005(जुलाई)- टेलीग्लोब इंटरनेशनल का 239 मिलियन डॉलर में अधिग्रहण।
वर्ष 2005(अक्टूबर)-टाटा टी ने 3 करोड़ 20 लाख डॉलर में गुड अर्थ क्राप का अधिग्रहण।
वर्ष 2005(अक्टूबर)- ब्रिटेन के आईएनसीएटी इंटरनेशनल को 411 करोड़ रुपए में खरीदा.
वर्ष 2005(अक्टूबर)- टाटा कंसल्टेंसी ने सिडनी स्थित कंपनी एफएनएस को अधिग्रहित किया.
वर्ष 2005(नवंबर)- बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कंपनी कोमीकॉर्न को क़रीब 108 करोड़ में खरीदा.

वर्ष 2005(दिसंबर)- थाईलैंड की मिलेनियम स्टील का 1800 करोड़ रुपए में अधिग्रहण।
वर्ष 2005(दिसंबर)- ब्रिटेन की ब्रूनर मोंड ग्रुप के 63.5 प्रतिशत शेयर खरीदे
वर्ष 2006(जून)- अमरीकी कंपनी 8 ओक्लॉक कॉफी कंपनी का क़रीब 1000 करोड़ रुपए अधिग्रहण ।
वर्ष 2006(अगस्त) -अमरीकी कंपनी ग्लेसॉ(एनर्जी कंपनी) के 30 प्रतिशत शेयर खरीदे. क़ीमत अदा की गई 67 करोड़ डॉलर।
बहरहाल, टाटा समूह साल के शुरुआत में जबरदस्त सुर्खियों मे था जब कोरस कंपनी को खऱीद लिया गया। एक मील का पत्थर माना जा रहा है टाटा- कोरस का समझौता। समझौते में यह तय हुआ कि कंपनी का नाम कोरस ही रखा जायेगा। अब इस कोरस कंपनी का मालिक टाटा समूह हो गया है। टाटा समूह ने एंग्लो-डच इस्पात कंपनी कोरस को नौ अरब डॉलर में ख़रीद।इस सौदे के बाद टाटा दुनियां की पाँचवी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बन गई है।टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने इसे एक 'रोमांचक क्षण' बताया है.उन्होंने कहा कि "कोरस को ख़रीदना हमारी विस्तार योजना के अनुरूप है जिसके तहत हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ रहे हैं।"उन्होंने कहा कि दोनों हीं कंपनियों की गौरवपूर्ण इतिहास रही है। इस सौदे से कोरस के चेयरमैन जिम लेंग भी काफ़ी ख़ुश हैं।

Thursday, August 23, 2007

हत्याकांड में शिबू सोरोन बरी

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन को शशिनाथ झा हत्याकांड मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. उन्हें निचली अदालत ने उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.दिशोम गुरु के नाम से मशहूर शिबू सोरोन के साथ उम्र कैद की सजा पाए शैलेद्र भट्टाचार्या, अजय कुमार मेहता, किशोर मेहता और पशुपति नाथ मेहता को भी बरी कर दिया गया। हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ( सीबीआई) ने अभियुक्तों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाये।इतना हीं नहीं, हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सभी तर्क को सिरे से खारिज कर दिया।
ट्रायल कोर्ट ने शिबू सोरोन को पिछले साल 28 नवम्बर(वर्ष 2000) को दोषी ठहराया और 5 दिसंबर को उम्र कैद की सजा दी थी । हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुआ कहा कि जब नरसिंह राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को रिश्वत देने का प्रमाण नहीं है तो शशिनाथ झा द्वारा शिबू सोरेन से घूस की रकम में अपना हिस्सा मांगने का सवाल हीं नहीं उठता। इतना हीं नहीं हाई कोर्ट ने सीबीआई के इस तर्क को भी मानने से इंकार कर दिया कि बरामद कंकाल सोरेन के निजी सचिव शशिनाथ झा की है। डीएनए टेस्ट में भी इसकी पुष्टि नहीं हुई थी।

बहरहाल शिबू सोरेन की रिहाई की ख़बर से सोरेन समर्थकों मे भारी उत्साह है। सोरेन के पुत्र दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और वंसत सोरेन ने इस पर खुशी जताई। उनकी पत्नी ऱुपी सोरेन ने कहा कि उन्हें न्यायलय पर पूरा भरोस था कि और न्याय की पूरी उम्मीद थी।हेंमत सोरेन ने कहा कि मेरे पिताजी का इस हत्याकांड से कोई लेना देना नहीं है लेकिन उन्हें काफी कष्ट झेलना पड़ा। मेरे परिवार को बदनाम किया गया लेकिन अंत में न्याय की जीत हुई। हम सभी परिवार को शुरु से ही न्यायलय पर भरोसा था कि पिताजी के साथ न्याय ज़रुर होगा।इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि शिबू सोरेन को देर से ही सही न्याय मिला है.उन्होंने कहा कि यदि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो वे उनके लिये कुर्सी छोड़ने को तैयार हैं।
उधर शशिनाथ झा के परिवार वाले हाई कोर्ट के फैसले से खुश नहीं है। उनकी मां प्रियवंदा ने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। परिवार वालो का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ वे उच्चतम न्यायलय जायेंगे।

Wednesday, August 22, 2007

प्रशासनिक क्षेत्र

झारखंड को 4 प्रमंडलों मे बांटा गया है।
उत्तरी छोटानागपुर
दक्षिणी छोटानागपुर
संथाल परगना
पलामू

झारखंड में कुल 22 जिलें हैं
- बोकारो , चतरा , देवघर, धनबाद, दुमका, पूर्वीसिंहभूम, गढवा , गिरिडीह , गोड्डा , गुमला, हजारीबाग , जामतारा, कोडरमा , लातेहार , लोहरदगा, पांकुर , पलामू , रांची , साहेबगंज, सरायकेला-खरसंव, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम ।

राज्य में कुल 14 लोक सभा की सीटें हैं । निम्नलिखित प्रत्याशी 14वीं लोक सभा चुनाव के विजेता हैं।
- चतरा धीरेन्द्र अग्रावाल राजद
- धनबाद चंद्रशेखर दुबे कांग्रेस
- दुमका(एस.टी) शिबू सोरेन झामुमो
- गिरिडीह टेकलाल महतो झामुमो
- गोड्डा फुरकन अंसारी कांग्रेस
- हजारीबाग भुवनेश्वर प्रासाद मेहता भाकपा
- जमशेदपुर सुनिल महतो(हत्या) झामुमो
- खुंटी(एस.टी) सुशिला करकेटा कांग्रेस
- कोडरमा बाबू लाल मंराडी झारखंड विकास मोर्चा
( बाबू लाल मंराडी झारखंड विकास मोर्चा गठन करने से पहले भाजपा में थे।)

- लोहरदगा (एस.टी)रामेश्वर उरांव कांग्रेस
- पलामू (एस.सी) धूरन राम(उप चुनाव विजेता) राजद
( इससे पहले राजद के ही मनोज कुमार थे लेकिन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा)
- राजमहल (एस.टी.) हेमलाल मुर्मू झामुमो
- रांची सुबोधकांत सहाय कांग्रेस
- सिंहभूम(एस.टी) बारुन सुम्ब्रइ कांग्रेस


राज्य सभा के लिए 6 सींटे हैं।

- यशवंत सिन्हा भाजपा
- देवदास आप्टे भाजपा
- एस एस आहलुवालिया भाजपा
- अजय मारु भाजपा
- दिग्विजय सिंह जदयू
- माबेज़ रिबेलो कांग्रेस

राज्य के जिले और उसके अंर्तगत आनेवाली विधान सभाएं -

- जिला बोकारो - विधान सभा सीटें(4) – गोमिया, बेरमो, बोकारो, चंदनकियारी (एस सी )
- चतरा - विधान सभा सीटें(2) – सिमरिया(एसी) और चतरा (एस.सी)
- देवघर - विधान सभा सीटें(3) – मधुपुर, सारत, देवघर (एस.टी)
- धनबाद - विधान सभा सीटें(6) – सिंद्री, निरसा, धनबाद, झरिया, टुंडी, बाघमारा
- दुमका - विधान सभा सीटें (4)- झरमुंडी, जामा(एस टी), दुमका(एस टी), शिकारीपाडा(एस टी),
- पूर्वी सिंहभूम- विधान सभा सीटें(6) – बहरागोडा, घाटशिला(एस टी), पोटका(एस टी), जुगसलाइ(एस सी), जमशेदपुर ईस्ट, जमशेदपुर.
- गढवा - विधान सभा सीटें(2) – गढवा, भवनाथपुर,
- गिरिडीह - विधान सभा सीटें(6)- धनवार, बगोदर, गाण्डेय, गिरिडीह, डूमरी, जमूआ(एस सी)
- गोड्डा - विधान सभा सीटें(3) - पोडयाहाट, गोड्डा, महगमा

- गुमला - विधान सभा सीटें (3)- सिसइ(एस टी), गुमला(एस टी), बि़ष्णूपुर(एस टी)
- हजारीबाग - विधान सभा सीटें(6) -बारकट्टा, बरही, बागांव, रामगढ, मांडू, हजारीबाग
- जामतारा - विधान सभा सीटें(2)- नाला और जामतारा
- कोडरमा (1) - विधान सभा सीटें(1)- कोडरमा
- लातेहार - विधान सभा सीटें(2) - लातेहार(एस सी) , मनिका(एस टी)
- लोहरदगा - विधान सभा सीटें(1) – लोहरदगा(एस टी)
- पांकुर - विधान सभा सीटें(3)-लिट्टपाडा(एस टी), पांकुर, महेश्वरपुर(एस टी)
- पलामू - विधान सभा सीटें(5) - पांकी, डाल्टनगंज, विश्रामपुर, चतरपुर(एस सी), हुसैनबाद
- रांची - विधान सभा सीटें(9)- तमध(एस टी), तोरापा(एस टी), खुंटी(एस टी), सिल्ली, खिजारी(एस टी), रांची, हटिया, कांके(एस सी), मंदार(एस टी)
- साहेबगंज - विधान सभा सीटें( 3)-ऱाजमहल, बोरिया(एस टी), बरहट(एस टी)
- सरायकेला-खरसंवा(3) - विधान सभा सीटें – इचगढ, सरायकेला(एस टी), खरसंवा.
- सिमडेगा - विधान सभा सीटें(2) - सिमडेगा(एस टी), कोलेबिरा(एस टी)
- पश्चिमी सिंहभूम - विधान सभा सीटें(5) – चाईबासा(एस टी), मझगांव(एस टी), जगनातपुर(एस टी), मनोहरपुर(एस टी), चक्रधरपुर(एस टी)

झारखंड राज्य की स्थापना

14-15 नवबंर,2000 की मध्य रात्रि को रांची में हजारो लोग खुशी से झुम रहे थे- आसमान ढोल- नगाड़ों से गूंज रहा था। मौका था देश के 28वें राज्य के गठन का। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार गुप्ता ने प्रभात कुमार को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई। इस प्रकार प्रभात कुमार झारखंड राज्य के प्रथम राज्यपाल बने और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेता बाबू लाल मंराडी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी। और वे झारखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। चारो तरफ खुशी और उल्लास का माहौल था। क्योंकि वर्षों बाद झारखंड वासियों की मांग पुरी हुई थी। इसी वर्ष झारखंड के अलावा दो और राज्यों का गठन किया गया। 26वें राज्य के रुप में छत्तीसगढ का गठन 1 नवबंर को किया गया, यह पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था। इसी प्रकार 9 नवबंर को 27 वें राज्य के रुप में उत्तरांचल राज्य का गठन किया गया जो पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। तीनों राज्यों के गठन में सबसे ज्यादा संघर्ष झारखंड के लोगों ने किया। हजारों लोग शहीद हुए । अलग राज्य के लिये किये गये आंदोलन की गाथा और अलग राज्य का गठन देश के इतिहास में स्वर्णो अक्षरों में लिखा जायेगा।