दुनिया भर के लोग गर्मी से परेशान है। कई इलाकों में तापमान 43 डिग्री से नीचे उतरने का नाम हीं नहीं ले रहा है। कई ऐसे इलाके हैं जहां तापमान 46 डिग्री को भी पार कर चुका है। तालाब और नदियों का एक बड़ा हिस्सा प्रदूषित हो चुका हैं। आगे लिखने से पहले कालीदास जी से जुड़े एक प्रचलित वाक्य को याद दिलाउं। हम इंसान कालीदास जी का यह कह कर मजाक उड़ाते हैं कि वे इतना मूर्ख थे कि वे पेड़ के जिस डाल पर बैठे थे उसी डाल को काट रहे थे। अब मुझे लगता है कि उनका अपने प्रति इस तरह का किया गया व्यवहार पूरे तथाकथित मानव समाज के लिये उदाहरण था।
हम सभी जानते हैं कि जल और पेड-पौधों के बिना इंसान का कोई भविष्य नहीं है। और हम उन्हीं जल को प्रदूषित कर रहे हैं और उन्हीं पेड़ो को काट रहे हैं। कल-कारखानों के कारण किस तरह जल प्रदूषित हो रहा है हम सभी जानते हैं। जंगलों से पेड़ो की कटाई कैसे हो रही है हम आपको बताते हैं –
1. पेड़ो के आस पास के मिट्टी को काटकर इतना कमजोर कर दिया जाता है कि कुछ समय बाद बडे से बड़े पेड भी गिर जाते हैं।
2. चोरी चुपके पेड़ों के जड़ में कुछ दिनों तक लगातार एसिड डाला जाता है। परिणाम स्वरूप कुछ समय बाद पेड सुख जाते हैं। और उसे काटकर गिरा दिया जाता है।
3. सरकार द्वारा वृक्षारोपण के लिये यदि दो लाख पौधे लगाये जाने की बात की जाती है तो लगते हैं सिर्फ 20-25 फीसदी हिस्सा। बाकी हिस्से के पैसे अपने खजाने में। यही हाल एनजीओ का भी है।
यह सब तो उदाहरण मात्र है। आप सोचिये जिस पेड पौधे पर इंसान की जिंदगी निर्भर है हम उसी को नष्ट कर रहे हैं। कालीदास जी ने तो अपनी गलती को समझते हुए इतना सुधार किया और इतनी शिक्षा प्राप्त की कि उनकी गिनती दुनिया के विद्वानों में होने लगी है लेकिन हम और आप सब कुछ जानते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। हममें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो पेडों को भेल हीं नहीं कारट रहे हों लेकिन इस तरह के हरकतों पर मौन रह कर भी एक छोटा सा अपराध तो जरूर कर रहें हैं।
Sunday, April 25, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
अरे नहीं यार।
Post a Comment