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सभी जानते हैं कि झारखंड खनिज पदार्थ (कोयला, लोहा, यूरेनियम, अबरख, कॉपर, लेड आदि दर्जनों खनिज) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। लगभग तीस सालों बाद कोयला में कमी आने लगेगी। इसलिए विद्वानों में यह चिंता सताने लगी थी कि आने वाले दिनों में ऊर्जा का विकल्प क्या होगा? क्योंकि देश भर के कल कारखानो को चलाने के लिए लगभग 45 प्रतिशत ऊर्जा की पूर्ति झारखंड ही करता है। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि भविष्य में क्या होगा? झारखंड में मिथेन गैस के भंडार मिलने से ऊर्जा विकल्प की चिंता भी दूर हो गई है।
प्रतियोगिता के इस दौर में दुनिया के बड़े बड़े भारतीय उद्योगपति भी झारखंड मे ही उद्योग लगाने को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि उन्हें यहां पर माल बनाने में सस्ता पड़ेगा। अन्य जगहों पर उद्योग लगाने पर वे बाजार में मंहगे सामान के साथ टिक नहीं पाएंगे।
बहरहाल, खनिज पदार्थ के कारण दर्जनों कल कारखाने है झारखंड में। देश के हर कोने के साथ साथ दुनिया भर के लोग भी हैं जैसे रूस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि। लेकिन इन दिनों जो माहौल है महाराष्ट्र में और जिस प्रकार से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले हो रहे हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में हो सकता है कि देश के कुछ राज्यों के लोगों को झारखंड में नौकरी मिलने और वहां रहने में दिक्कत हो जाएगी। क्योंकि ऐसी स्थितियां पैदा की जा रही हैं अन्य राज्यों में। उसका साफ प्रभाव भी पड़ रहा है झारखंड मे, जो कि देश के हित में नहीं होगा। आज की तारीख में भी झारखंड यदि अपना वाजिब हिस्सा केन्द्र से मांगने लगे तो देश के कई शहरो की चमक कम पड़ जाएगी जिसमें दिल्ली–मुंबई-कोलकाता शामिल है।
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