काफी हो-हल्ला और उठापटक के बाद आखिरकार झारखंड से राज्यसभा के लिए एनडीए उम्मीदवार जयप्रकाश नारायण सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार परिमल नाथवाणी चुन लिये गये। जयप्रकाश नारायण का चुनाव जीतना तय था। सवाल था रिलायंस ग्रुप के प्रेसिडेंट परिमल नाथवाणी, सुप्रीम कोर्ट के वकील आर के आंनद और उद्योगपति किशोरीलाल में से चुनाव कौन जीतेगा। आखिरकार परिमल नाथवाणी ने चुनाव में जीत हासिल कर ली।
श्री नाथवाणी से झारखंडवासियों को काफी उम्मीदे हैं। झारखंड प्राकृतिक संसाधनो से धनी राज्य है लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में नहीं आ सका जबकि इसे देश का अव्वल दर्जे का राज्य होना चाहिए था। बहरहाल राज्य के विकास के लिये श्री नाथवाणी को गंभीरता से विचार करना चाहिये। नाथवाणी जी इतना ख्याल रखियेगा कि आपको लोग मीनू मसानी की तरह याद न करें। मसानी मुंबई के बड़े उद्योगपति थे और चुनाव जीते थे रांची लोकसभा से। लेकिन चुनाव जीतने के बाद वो वापस लौट कर रांची कभी नहीं गये। इसलिये आप राज्य के विकास के लिये काम करेंगे तो लोग आपको भी टाटा की तरह याद करेंगे। और आपका भी व्यापार बढेगा।
श्री सिंह से भी काफी उम्मीदें है कि वे राज्य के विकास में अपना अधिकतम योगदान देंगे। श्री सिंह साधारण परिवार से हैं और वे अच्छी तरह समझ पायेंगे कि एक आम आदमी की बुनियादी जरुरते क्या हैं। नाथवाणी जी और जयप्रकाश जी आप दोनों ही राज्यसभा के नये सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व करेंगे झारखंड का। इसलिये आम जनता को आप लोगों से काफी उम्मीद है कि आप राज्य की तरक्की के लिये विशेष योगदान देंगे।
Wednesday, March 26, 2008
Sunday, March 23, 2008
जरा याद उन्हें भी कर लो जो लौट कर घर न आये
आज शहादत दिवस है। आज हीं के दिन (23 मार्च 1931) को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। सभी क्रांतिकारी हमारे लिये आदरणीय हैं लेकिन उनमें भी भगत सिंह का नाम काफी उपर है। क्योंकि वे पहले आक्रमक क्रांतिकारी थे जो देश के अलग अलग कोने में अंग्रेजों के खीलाफ लड़ रहे क्रांतिकारियों को एक साथ जोड़ने का काम किया।
कम उम्र में ही आजादी के लिये संघर्ष के मैदान में कूद पड़े और कुशल तरीके से अंग्रेजों से लोहा लिया। इतना हीं नहीं उनके पास यह भी योजना थी कि आजादी के बाद देश की तरक्की के लिये क्या क्या किया जाना है। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह भी थी कि कहीं देश ऐसे लोगों के हाथों में न चला जाये जो लोग समाज में जहर घोलने का काम करते हों, जो लोग जनकल्याण के नाम पर अपनी जेबें भरतें हो। लेकिन आज देश में यही हो रहा है। बहरहाल शहीदे आजम ने कभी भी जान की परवाह नहीं की। वे तो आजांदी के दीवाने थे। उनका एक हीं जुनून था, किसी भी कीमत पर देश की आजादी। इसी मकसद से सोये हुये अंग्रेजो को जगाने के लिये संसद भवन के अंदर बम फेककर धमाका किया। वह बम धमाका किसी को मारने के लिये नहीं बल्कि अंग्रेजों को जगाने के लिये किया था। इसलिये ऐसी जगह फेंका गया था जहां से किसी को नुकसान न हो। बम शक्तिशाली भी नहीं था। उन्हें जेल भेज दिया गया। फांसी से पहले उनपर दबाब भी था कि यदि वे माफी मांग लेगं तो उन्हें माप कर दिया जायेगा। लेकिन वे इसके लिये कतई तैयार नहीं हुये। खैर उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाये। फांसी से पहले जेल में उनसे ईश्वर का नाम लेने के लिये कुछ लोगों ने कहा। इस बारे में उन्होंने जो कहा उसका आशय यही था कि ईश्वर कहां हैं ? यदि वे होते तो क्या अंग्रेज हमारी इज्जत से खेलते ? क्या किसी की बहन की इज्जत लुटती? क्या हमें मारा पीटा जाता? और यदि ईश्वर हैं उसके बाद भी ये सब हो रहा है और हमारी इज्जत बचाने कोई नहीं आ रहा है तो ऐसे इश्वर को मानने से क्या फायदा ? बहलहाल शहीद ए आजम का जन्म 27-28 सितंबर 1907 की रात लायलपुर में हुआ था जो पाकिस्तान में है। लायलपुर का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया गया है।
कम उम्र में ही आजादी के लिये संघर्ष के मैदान में कूद पड़े और कुशल तरीके से अंग्रेजों से लोहा लिया। इतना हीं नहीं उनके पास यह भी योजना थी कि आजादी के बाद देश की तरक्की के लिये क्या क्या किया जाना है। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह भी थी कि कहीं देश ऐसे लोगों के हाथों में न चला जाये जो लोग समाज में जहर घोलने का काम करते हों, जो लोग जनकल्याण के नाम पर अपनी जेबें भरतें हो। लेकिन आज देश में यही हो रहा है। बहरहाल शहीदे आजम ने कभी भी जान की परवाह नहीं की। वे तो आजांदी के दीवाने थे। उनका एक हीं जुनून था, किसी भी कीमत पर देश की आजादी। इसी मकसद से सोये हुये अंग्रेजो को जगाने के लिये संसद भवन के अंदर बम फेककर धमाका किया। वह बम धमाका किसी को मारने के लिये नहीं बल्कि अंग्रेजों को जगाने के लिये किया था। इसलिये ऐसी जगह फेंका गया था जहां से किसी को नुकसान न हो। बम शक्तिशाली भी नहीं था। उन्हें जेल भेज दिया गया। फांसी से पहले उनपर दबाब भी था कि यदि वे माफी मांग लेगं तो उन्हें माप कर दिया जायेगा। लेकिन वे इसके लिये कतई तैयार नहीं हुये। खैर उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाये। फांसी से पहले जेल में उनसे ईश्वर का नाम लेने के लिये कुछ लोगों ने कहा। इस बारे में उन्होंने जो कहा उसका आशय यही था कि ईश्वर कहां हैं ? यदि वे होते तो क्या अंग्रेज हमारी इज्जत से खेलते ? क्या किसी की बहन की इज्जत लुटती? क्या हमें मारा पीटा जाता? और यदि ईश्वर हैं उसके बाद भी ये सब हो रहा है और हमारी इज्जत बचाने कोई नहीं आ रहा है तो ऐसे इश्वर को मानने से क्या फायदा ? बहलहाल शहीद ए आजम का जन्म 27-28 सितंबर 1907 की रात लायलपुर में हुआ था जो पाकिस्तान में है। लायलपुर का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया गया है।
Friday, March 7, 2008
महिलायें किसी से कम नहीं
झारखंड में मिलेगा ढाई लाख को रोज़गार
झारखंड में अगले एक साल के भीतर प्रत्यक्ष रुप से कम से कम चालीस हजार और अप्रत्यक्ष रूप से दो लाख लोगों को रोजगार मिलना तय है। रोजगार मे भी लगभग 80 प्रतिशत नियुक्तियां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लिए होगी। राज्य के लातेहार जिले में कोल बेड मिथेन (सीबीएम) गैस का भंडार मिला है। छह महीने पहले भी धनबाद और बोकोरो जिले में मिथेन गैस का बहुत विशाल भंडार मिल चुका है। ओएनजीसी के मुताबिक देश भर में मिथेन गैस के कुल 10 प्रखंड हैं जिसमें से 6 अकेले झारखंड में है। उत्पादन शुरू होते हीं भारत दुनिया का मिथेन गैस उत्पादन करने वाला तीसरा बड़ा देश बन जायेगा। पहला स्थान है अमेरिका का और दूसरा आस्ट्रेलिया का। यह दावा है सरकारी उपक्रम ओएनजीसी का।
सभी जानते हैं कि झारखंड खनिज पदार्थ (कोयला, लोहा, यूरेनियम, अबरख, कॉपर, लेड आदि दर्जनों खनिज) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। लगभग तीस सालों बाद कोयला में कमी आने लगेगी। इसलिए विद्वानों में यह चिंता सताने लगी थी कि आने वाले दिनों में ऊर्जा का विकल्प क्या होगा? क्योंकि देश भर के कल कारखानो को चलाने के लिए लगभग 45 प्रतिशत ऊर्जा की पूर्ति झारखंड ही करता है। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि भविष्य में क्या होगा? झारखंड में मिथेन गैस के भंडार मिलने से ऊर्जा विकल्प की चिंता भी दूर हो गई है।
प्रतियोगिता के इस दौर में दुनिया के बड़े बड़े भारतीय उद्योगपति भी झारखंड मे ही उद्योग लगाने को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि उन्हें यहां पर माल बनाने में सस्ता पड़ेगा। अन्य जगहों पर उद्योग लगाने पर वे बाजार में मंहगे सामान के साथ टिक नहीं पाएंगे।
बहरहाल, खनिज पदार्थ के कारण दर्जनों कल कारखाने है झारखंड में। देश के हर कोने के साथ साथ दुनिया भर के लोग भी हैं जैसे रूस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि। लेकिन इन दिनों जो माहौल है महाराष्ट्र में और जिस प्रकार से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले हो रहे हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में हो सकता है कि देश के कुछ राज्यों के लोगों को झारखंड में नौकरी मिलने और वहां रहने में दिक्कत हो जाएगी। क्योंकि ऐसी स्थितियां पैदा की जा रही हैं अन्य राज्यों में। उसका साफ प्रभाव भी पड़ रहा है झारखंड मे, जो कि देश के हित में नहीं होगा। आज की तारीख में भी झारखंड यदि अपना वाजिब हिस्सा केन्द्र से मांगने लगे तो देश के कई शहरो की चमक कम पड़ जाएगी जिसमें दिल्ली–मुंबई-कोलकाता शामिल है।
सभी जानते हैं कि झारखंड खनिज पदार्थ (कोयला, लोहा, यूरेनियम, अबरख, कॉपर, लेड आदि दर्जनों खनिज) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। लगभग तीस सालों बाद कोयला में कमी आने लगेगी। इसलिए विद्वानों में यह चिंता सताने लगी थी कि आने वाले दिनों में ऊर्जा का विकल्प क्या होगा? क्योंकि देश भर के कल कारखानो को चलाने के लिए लगभग 45 प्रतिशत ऊर्जा की पूर्ति झारखंड ही करता है। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि भविष्य में क्या होगा? झारखंड में मिथेन गैस के भंडार मिलने से ऊर्जा विकल्प की चिंता भी दूर हो गई है।
प्रतियोगिता के इस दौर में दुनिया के बड़े बड़े भारतीय उद्योगपति भी झारखंड मे ही उद्योग लगाने को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि उन्हें यहां पर माल बनाने में सस्ता पड़ेगा। अन्य जगहों पर उद्योग लगाने पर वे बाजार में मंहगे सामान के साथ टिक नहीं पाएंगे।
बहरहाल, खनिज पदार्थ के कारण दर्जनों कल कारखाने है झारखंड में। देश के हर कोने के साथ साथ दुनिया भर के लोग भी हैं जैसे रूस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि। लेकिन इन दिनों जो माहौल है महाराष्ट्र में और जिस प्रकार से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले हो रहे हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में हो सकता है कि देश के कुछ राज्यों के लोगों को झारखंड में नौकरी मिलने और वहां रहने में दिक्कत हो जाएगी। क्योंकि ऐसी स्थितियां पैदा की जा रही हैं अन्य राज्यों में। उसका साफ प्रभाव भी पड़ रहा है झारखंड मे, जो कि देश के हित में नहीं होगा। आज की तारीख में भी झारखंड यदि अपना वाजिब हिस्सा केन्द्र से मांगने लगे तो देश के कई शहरो की चमक कम पड़ जाएगी जिसमें दिल्ली–मुंबई-कोलकाता शामिल है।
Tuesday, March 4, 2008
धोनी के गृह राज्य झारखंड में जश्न
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरे फाइनल में नौ रनों से हरा कर कॉमनवेल्थ बैंक सीरिज़ पर कब्ज़ा कर लिया । तीन फाइनल मैच होने थे लेकिन लगातार दो जीत दर्ज कर भारत ने आस्ट्रेलिया के गुरुर को आस्ट्रेलिया में हीं चकनाचूर कर दिया। पहला फाइनल मैच भारत ने सिडनी में जीता और दूसरा आज ब्रिस्बेन में जीत दर्ज की। आज के मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए 259 रनों का लक्ष्य रखा था लेकिन ऑस्ट्रेलिया निर्धारित 50 ओवरों में लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी। उसके सभी खिलाड़ी आउट हो गये 249 रनों पर।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया। झारखंड के रहने वाले धोनी ने दिखा दिया कि झारखंड के खनिजों में कितनी ताकत है। कोयले की इंधन से लोहे को गला कर इस्पात बनाने वाले राज्य झारखंड के खिलाड़ी धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने क्रिकेट प्रेमियों की झोली खुशियों से भर दिया है। इससे पहले भी 20-20 विश्व कप जीत कर धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने इतिहास रचा था और पूरी टीम को भारी वर्षा के बावजूद मुंबई में गरम जोशी के साथ स्वागत किया गया था। इस बार भी बीसीसीआई चेयरमैन शरद पवार ने पूरी टीम का जोरदार स्वागत दिल्ली में करने का ऐलान किया है और टीम को 10 करोड़ रुपये भी बतौर ईनाम देने की घोषणा की है। पहले उल्लेख किया गया सारे विश्वस्तरीय खनिज झारखंड में पाये जाते हैं। देश का एकमात्र राज्य है झारखंड जहां यूरेनियम पाया जाता है जिसका इस्तेमाल अगले विश्व कप में होगा।
पूरे देश के साथ साथ झारखंड में भी जश्न का माहौल है। लोग खुशियां मना रहे हैं। पटाखे छोड़े जा रहे है। लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे है। मानो होली से पहले हीं दिवाली और होली एक साथ मनाये जा रहे है। खुशियों के क्षण बहुत कम आते है। सभी लोगों को भारतीय क्रिकेट टीम की शानदार जीत पर बधाई।
टीमें :- ऑस्ट्रेलिया टीम- रिकी पोंटिंग(कप्तान), एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन, जेम्स होप्स, माइकल क्लार्क, एंड्र्यू साइमंड्स, माइक हसी, ब्रेट ली, मिशेल जॉनसन, स्टूअर्ट क्लार्क, नेथन ब्रेकन।
भारतीय टीम- महेंद्र सिंह धोनी(कप्तान सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, रॉबिन उथप्पा, युवराज सिंह, रोहित शर्मा, प्रवीण कुमार, इरफ़ान पठान, हरभजन सिंह, श्रीसंत, पीयूष चावाला।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया। झारखंड के रहने वाले धोनी ने दिखा दिया कि झारखंड के खनिजों में कितनी ताकत है। कोयले की इंधन से लोहे को गला कर इस्पात बनाने वाले राज्य झारखंड के खिलाड़ी धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने क्रिकेट प्रेमियों की झोली खुशियों से भर दिया है। इससे पहले भी 20-20 विश्व कप जीत कर धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने इतिहास रचा था और पूरी टीम को भारी वर्षा के बावजूद मुंबई में गरम जोशी के साथ स्वागत किया गया था। इस बार भी बीसीसीआई चेयरमैन शरद पवार ने पूरी टीम का जोरदार स्वागत दिल्ली में करने का ऐलान किया है और टीम को 10 करोड़ रुपये भी बतौर ईनाम देने की घोषणा की है। पहले उल्लेख किया गया सारे विश्वस्तरीय खनिज झारखंड में पाये जाते हैं। देश का एकमात्र राज्य है झारखंड जहां यूरेनियम पाया जाता है जिसका इस्तेमाल अगले विश्व कप में होगा।
पूरे देश के साथ साथ झारखंड में भी जश्न का माहौल है। लोग खुशियां मना रहे हैं। पटाखे छोड़े जा रहे है। लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे है। मानो होली से पहले हीं दिवाली और होली एक साथ मनाये जा रहे है। खुशियों के क्षण बहुत कम आते है। सभी लोगों को भारतीय क्रिकेट टीम की शानदार जीत पर बधाई।
टीमें :- ऑस्ट्रेलिया टीम- रिकी पोंटिंग(कप्तान), एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन, जेम्स होप्स, माइकल क्लार्क, एंड्र्यू साइमंड्स, माइक हसी, ब्रेट ली, मिशेल जॉनसन, स्टूअर्ट क्लार्क, नेथन ब्रेकन।
भारतीय टीम- महेंद्र सिंह धोनी(कप्तान सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, रॉबिन उथप्पा, युवराज सिंह, रोहित शर्मा, प्रवीण कुमार, इरफ़ान पठान, हरभजन सिंह, श्रीसंत, पीयूष चावाला।
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