Monday, February 4, 2008

झारखंड को गाली देने वाले आधुनिक लोग अपने गिरेबां में झांक, औकात में आ जाओगे।

झारखंड देश का एक ऐसा राज्य है जिसे भारत की रीढ कहा जाता है। कुछ आधुनिक तरह के लोग जो झारखंड को गाली देते हैं यह कह कर कि झारखंड – फारखंड की किताबें पुस्तक मेले में कैसे आयी ? ऐसे लोगों को मैं बता दूं कि झारखंड के आम लोग ईमानदार, मेहनती, तेजस्वी, मान मर्यादा व संस्कृति का पालन करने वाले होते हैं। उन लोगों में से नहीं है जो कम कपड़े पहन कर बाजार में घुमते और अपने आपको आधुनिक मानते हैं। अपना काम निकलवाने के लिये अपनी बहु बेटियों को अधिकारियों के पास भेजते है । झारखंड के लोग उन महानगर वालों की तरह नहीं हैं जो अपना काम निकलवाने के लिये अधिकारी से अपनी बहन की दोस्ती करवाते हैं।
खनिज संपदा के धनी झारखंडी यदि रेवन्यू देना बंद कर दे तो दिल्ली की रोशनी में कमी आ जायेगी। फिर आधुनिक बनने वाले लोग सही मायने में कम कपड़े में ही रह जायेंगे। विश्व स्तरीय कोयला, लोहा, अबरख और यूरेनियम सहित दर्जनों खनिज हैं। टाटा और बोकरो जैसे विश्व स्तरीय स्टील प्लांट हैं। इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स जैसे विश्व स्तरीय इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। ये सब उदाहरण मात्र है।

मसला यह है कि अन्य राज्यों की तुलना में खनिज संपदा का रेवन्यू बिहार-झारखंड जैसे राज्यों को अन्य राज्यों के अपेक्षा आधे से कम ही मिलता है। यहां केन्द्र सरकार की दोगली नीति है अन्य राज्यों को आगे लाने के लिये। अब समय आ गया है कि झारखंड वासी केन्द्र सरकार से लड़े। अन्य राज्यों की तरह अपनी हक का मांग करे। इससे कम से कम झारखंड को प्रत्येक साल 10 हजार करोड़ का लाभ होगा।

2 comments:

Rajesh Roshan said...

राजेश जी नमस्कार. मैं आपको काफी दिनों से पढ़ रहा हू लेकिन ऐसी तल्खी पहली बार देखी है. किसी ने कुछ कह दिया क्या? आप लोगो की बातो में न जाए इनका काम ही है इधर का उधर करना. झारखण्ड के लोग और वह की खनिज सम्पदा को जानने के लिए लोगो को वह जाना चाहिए. वो तभी समझ पाएंगे. बिना जाने और देखे कोई किसी चीज के बारे में कह रहा है टू उसकी बातो का बुरा न मान उसे अल्प्बुधि मान कर चुप हो जाना चाहिए

राजेश कुमार said...

राजेश रोशन जी आपने अपनी प्रतिक्रिया दी। आपका धन्यवाद। आम तौर पर कुछ लोग बिना समझे जाने किसी राज्य के बारे में प्रतिक्रियाएं अनाप शनाप शब्दों में देते रहते हैं। एक्का दुक्का घटनाओं को किसी राज्य से जोड़ उसका मजाक उड़ाते हैं। मजाक उड़ाने वाले अपने गिरेबां में झांके तो वे समाज में रहने के लायक हीं नहीं है। मैं कोशिश करुंगा कि आपके सुझाव का ध्यान रंखू लिखते समय।