इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने विवादित अयोध्या मसले(बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्मभूमि) पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया जाये। एक हिस्सा मंदिर के लिये होगा(जहां राम लल्ला की प्रतिमा है), दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाडा और तीसरा हिस्सा मस्जिद के लिये होगा।
न्यायाधीश एस यू खान, न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और न्यायाधीश धर्मवीर शर्मा की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले में आज (30 सिंतबर, 2010) दोपहर साढे तीन बजे फैसला सुनना शुरू किया था। यह फैसला बहुमत के आधार पर किया गया है सर्वसम्मति के आधार पर नहीं। एक अक्टूबर को रिटायर हो रहे है न्यायाधीश धर्मवीर शर्मा पूरी जमीन हिन्दुओं को देने के पक्ष में थे लेकिन न्यायाधीश अग्रवाल और न्यायाधीश खान जमीन को तीन हिस्सो को विभाजित करने के पक्ष में फैसला दिया।
तीनो जजों ने इस बात को स्वीकार किया कि विवादित जगह पर पहले मंदिर था। लेकिन न्यायाधीश खान ने यह भी कहा कि वहां पूजा नहीं की जाती थी। इस फैसले को 24 सितंबर को ही सुनाया जाना था लेकिन रमेश चंद्र त्रिपाठी की याचिका पर सु्प्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को निर्णय को एक हफ्ते के लिये टाल देने का आदेश दिया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को याचिक पर सुनवाई करते हुए याचिक खारिज कर दी। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले सुनाने का रास्ता साफ हो गया। और हाई कोर्ट ने 30 सितंबर को साढे तीन बजे फैसला सुनाने का निर्णय लिया। तीन जजों में एक न्यायाधीश धर्मवीर शर्मा फैसला सुनाने के अगले दिन यानी एक अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं।
फैसले के महत्वपूर्ण बिन्दु –
- सुन्नी वक्फ बोर्ड की राम जन्म भूमि से संबंधित दावे को खारिज कर दिया गया।
- जमीन को तीन भागो में बांटी जायेगी।
- जहां राम लल्ला की प्रतिमा है वही राम जन्मभूमि है।
- जहां राम लल्ला की प्रतिमा है वह इलाका और उसके आसपास के इलाके मंदिर के लिये दी जायेगी।
- अदालत ने यह माना है कि विवादित स्थान पर प्रतिमा बाहर से रखी गई थी।
- मस्जिद के लिये एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जायेगा।
- एक तिहाई जमीन निर्मोही अखाड़ा को भी दिया जायेगा। इनमें सीता रसोई और राम चबूतरा भी शामिल है।
- मंदिर बनने और पूजा करने पर कोई रोक नहीं।
- अदालत ने तीन महीने तक यथा स्थिति बनाये रखने के लिये कहा।
Thursday, September 30, 2010
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