गरीबों के प्रति राहुल गांधी की सच्ची लगन को देखते हुए उनके पार्टी के उच्च वर्ण और सामंतवादी मानसिकता में रंगे नेता भी अपने को गरीबों का सेवक बताते हैं। बताया जाता है कि राहुल गांधी के ईद-गिर्द ऐसे लोग भले हों जो उच्च वर्ण और सामंतवादी मानसिकता वाले हों लेकिन राहुल गांधी इस बात का हमेशा ख्याल रखते हैं कि वे उनके भंवर जाल में नही फसेंगे।
राहुल गांधी अब इस बात को समझने लगे हैं कि विकास के नाम पर जो लुट खसोट हुआ। गरीबों के इलाके में विकास का काम नहीं हुआ। इसी कारण लोग नक्सली बने। कांग्रेस पार्टी के सबसे मजबूत स्तंभ राहुल गांधी का कदम गरीबो के हित में उठते देख गरीबों में एक नया सुर्योदय का अहसास होने लगा है। वही अच्छी बात यह है कि सरकारी स्तर पर भी यह मान लिया गया है कि नक्सली अपने हैं पराये नहीं। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि नक्सली अपने हैं पराये नहीं। नहीं तो पहले उन्हें सिर्फ आंतकवादी कहा जाता था सरकार की ओर से।
प्रधानमंत्री जी और राहुल जी आप दोनों हीं ईमानदार हैं और सामंतवादी प्रवृति के नही हैं। इसलिये आपसे उम्मीद की जा सकती है कि गरीबों के लिये विकास की प्रक्रिया तेजी से शुरू होगी। यदि आप चाहतें हैं कि नक्सल समस्या वास्तव में खत्म हो तो व्यवहार में गरीबों को सामतों और पुलिसिया अत्याचार से बचाना होगा और साथ हीं विकास के काम करने होंगे। यदि ऐसा व्यवहार में नहीं होता है तो फोर्स के बल पर नक्सली मूवमेंट को रोका नहीं जा सकेगा। आप एक मारोगे तो इस चार जुड़ जायेंगे।