भारतीय जनता पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष राजकिशोर महतोको झारखंड लॉ कमिशन यानी विधि आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। श्री महतो के अध्यक्षबनने के बाद अब कई ऐसे मसले हैं जिसपर राज्य की कानूनी नजरीया एकदम साफ होगी।
अभी राज्य में ताजा-ताजा सीएनटी एक्ट का मामला है। इसमामले को लेकर झारखंड की राजनीति चरम पर है। श्री महतो पर पहला दबाब यही होगा किइस मामले में कानूनी पक्ष क्या होगा उसको साफ करे। दूसरा दबाव यह होगा कि मेयर का चुनाव सीधे चुनाव के मार्फत हो या जीते हुए पार्षद अपने में से हीं किसी को मेयर चुने। अभी झारखंड में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे तौर पर होता है। लेकिन लोगों की मांग है कि पार्षद हीं अपने में किसी को मेयर और डिप्टी मेयर का चुनावकरें। इसके अलावा दर्जनों मामले हैं जिसका भार राजकिशोर महतो के कंधे पर होगा।
झारखंड लॉ कमिशन के अध्यक्ष बनने पर गिरिडीह के रहने वाले लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव राजकुमार राज ने श्री महतो को बधाई दिया है। उन्होंने कहा कि श्री महतो झारखंड के एक बड़े नाम है। सुप्रीम कोर्ट के वकील है। कानून के जानकार हैं। उनमें विवादित कानूनी विषयों को भी बारीकी से समझने की गजब की क्षमता है। श्री राजकुमार राज ने कहा कि मुख्यमंत्री अर्जुन मुंड़ा जी को भी बधाई क्योंकि इस महत्वपूर्ण पद पर उन्होंने एकदम उपयुक्त व्यक्ति का चयन किया है।
धनबाद के विलाल महतो और उदय चंद्रवंशी ने कहा कि अब समाज के कमजोर वर्ग से जुडे लोगों की हितो की रक्षा हो पायेगी। उनके हित में कानून बन पायेंगे। बहरहाल, राजकिशोर महतो, स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो के ज्येष्ठ पुत्र हैं। इनके पिता विनो
द बाबू झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) के संस्थापक अध्यक्ष रहे। राजकिशोर महतो भी अपनी राजनीति की शुरूवात झामुमो से की। लेकिन वर्तमान में वे भाजपा में हैं और धनबाद जिले के सिंद्री विधान सभा से विधायक रह चुके हैं।
इनका जन्म 23 सितंबर 1946 को हुआ। शुरू से मेधावी छात्र रहे श्री महतो ने धनबाद जिले स्थित विश्व प्रसिद्ध माइनिंग इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद कानून की पढाई कर कानून की डिग्री हासिल की। पटना उच्च न्यायलय के रांची पीठ में 1990-91 के दौरान दो वर्षों तक सरकारी वकील भी रहे।
18 दिंसबर 1991 को अपने पिताजी के निधन के बाद उनके स्थान पर गिरिडीह संसदीय सीट से उपचुनाव जीतकर लोक सभा पहुंचे। इनके पिताजी गिरिडीह से सांसद थे। बिनोद बाबू को झारखंड का भीष्मपिता माह भी कहा जाता है। वे सांसद से भी बढकर एक क्रांतिकारी थे। उन्होंने झारखंड में दब-कुचलों में चेतना जगायी – पढो और लड़ो के नारे साथ। बहरहाल बीजेपीनेता राजकिशोर महतो के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है।